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पाकिस्तान : इमरान खान का आखिरी दांव काम आया, पांच बिंदुओं में समझें पाकिस्तानी पीएम ने कैसे चली चाल?

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पाकिस्तान : इमरान खान का आखिरी दांव काम आया, पांच बिंदुओं में समझें पाकिस्तानी पीएम ने कैसे चली चाल?
पाकिस्तान की संसद में रविवार को नाटकीय अंदाज में इमरान सरकार के खिलाफ विपक्ष की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया। नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर कासिम खान सूरी ने पाकिस्तानी संविधान के अनुच्छेद 5 का हवाला दिया। उधर, इमरान खान की मांग पर राष्ट्रपति ने संसद भंग कर दिया है। अब जल्द ही देश में चुनाव होगा।

REPORT BY SAHIL PATHAN

पड़ोसी देश पाकिस्तान में चल रहे सियासी घटनाक्रम ने रविवार को नाटकीय मोड़ लिया। पाकिस्तान की संसद में इमरान खान के खिलाफ पेश अविश्वास प्रस्ताव खारिज कर दिया गया। वह भी बिना वोटिंग के। डिप्टी स्पीकर कासिम खान सूरी ने इसके लिए पाकिस्तानी संविधान के अनुच्छेद 5 का हवाला दिया। कहा, ‘पाकिस्तान के खिलाफ विदेशी ताकतों ने मिलकर साजिश रची है। ये राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। इसलिए ये अविश्वास प्रस्ताव खारिज किया जाता है।’इसके तुरंत बाद इमरान खान की मांग पर राष्ट्रपति ने संसद भंग कर दी। अब देश में फिर से चुनाव होंगे। इमरान के इस आखिरी दांव ने विपक्ष के सारे सपने को एक झटके में तोड़ दिया।

पहले जान लीजए अब तक क्या-क्या हुआ?
इमरान खान 2018 में सत्ता में आए थे। उनके पास बहुमत के लिए जरूरी 172 सीटों से ज्यादा का आंकड़ा था। इसके साथ ही उन्हें कुछ अन्य छोटे दलों का भी समर्थन था। उस वक्त विपक्ष बिखरा हुआ था। विपक्ष के ज्यादातर नेताओं पर भ्रष्टाचार के मामले चल रहे थे। पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था चरमराई हुई थी। जिसे बेहतर करने का वादा करके इमरान सत्ता में आए थे। पिछले एक महीने से सरकार को गिराने के लिए विपक्ष एकजुट होना शुरू हुआ।
20 मार्च : इमरान के साथ मिलकर सरकार बनाने वाली दो पार्टियों ने अपना समर्थन वापस ले लिया।
24 मार्च : सात सांसदों वाली एमक्यूएमपी, पांच सांसदों वाली पीएमएलक्यू, पांच सांसदों वाली बीएपी और एक सांसद वाली जेडब्ल्यूपी ने भी इमरान खान का साथ छोड़ दिया और वह अल्पमत में आ गए।
25 मार्च : विपक्ष ने संसद में इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। 31 मार्च को इसपर चर्चा होने की बात कही गई।
30 मार्च : पाकिस्तान आर्मी के चीफ जनरल बाजवा प्रधानमंत्री इमरान खान से मिलने पहुंचे।
31 मार्च : पाकिस्तान की संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के लिए तीन अप्रैल की तारीख घोषित कर दी गई।
3 अप्रैल : पाकिस्तान संसद के डिप्टी स्पीकर कासिम खान सूरी ने आर्टिकल-5 का हवाला देते हुए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया। राष्ट्रपति ने संसद भंग कर दिया।

आर्टिकल-5, जिसका हवाला देकर सरकार बचाई
राज्य के प्रति वफादारी प्रत्येक नागरिक का मूल कर्तव्य है।
संविधान और कानून का पालन करना हर नागरिक का दायित्व है। फिर वह पाकिस्तान के भीतर हो या बाहर

पांच बिंदुओं में समझें इमरान की चाल इमरान खान

30 मार्च को बदल गया था पूरा खेल : पाकिस्तान की संसद में इमरान खान के खिलाफ पेश अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने की स्क्रिप्ट 30 मार्च को ही लिखी जा चुकी थी। जब इमरान खान और पाकिस्तानी सेना के चीफ जनरल बाजवा की मुलाकात हुई थी। बताया जाता है कि जिस तरह से आखिरी वक्त में जनरल बाजवा ने इमरान खान से मुलाकात की थी, वो विपक्ष के लिए बड़ा संदेश था। तभी तय हो गया था कि इमरान खान को सेना का साथ मिल गया है।

पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार सैय्यद अली जिया भी कुछ इसी ओर इशारा करते हैं। कहते हैं, ‘इमरान खान की सरकार और सेना के बीच अनबन की खबरें बेकार थीं। जनरल बाजवा के कार्यकाल को इमरान सरकार ने ही बढ़ाया था। समय-समय पर बाजवा के बयान भी इमरान के पक्ष में ही आते रहे हैं।’ हालांकि पाकिस्तान की राजनीति पर अच्छी पकड़ रखने वाले एहसान अफजल कहते हैं इसके उलट राय रखते हैं। वह कहते हैं कि बाजवा और इमरान की मुलाकात में बात नहीं बनी। तभी तो यूक्रेन से युद्ध करने वाले जिस रूस की इमरान तारीफ कर रहे थे, उसी का बाजवा विरोध करने लगे।

नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल का साथ भी लिया: इमरान खान चाहते तो 31 मार्च को ही विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करवा सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। एक अप्रैल को उन्होंने इसका प्रारूप तैयार किया। नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के साथ बैठक की और विपक्ष के खिलाफ माहौल बनाने के लिए रिपोर्ट तैयार करवाई।
नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल से ये लिखवाया कि देश के खिलाफ विदेशी ताकतें रणनीति बना रहीं हैं। इसमें विपक्ष के नेता भी शामिल है। इसी को मुद्दा बनाकर इमरान ने विपक्ष के सपनों को तोड़ दिया।

राष्ट्रवादी चेहरा बन गए : इमरान खान ने विपक्ष को राष्ट्र विरोधी का तमगा दिया। खुद अति राष्ट्रवाद का चेहरा बन गए। देश के युवाओं, महिलाओं को अपने साथ लिया। इमरान अपने हर भाषण में देश की बात करते थे। अमेरिका का नाम लेकर वह विपक्ष को घेरते थे। पाकिस्तानी जनता को इमरान की ये बातें खूब पसंद की जाने लगी।

चुनाव में मिलेगा फायदा : अब 90 दिनों में पाकिस्तान के अंदर चुनाव होंगे। वरिष्ठ पत्रकार सैय्यद अली जिया कहते हैं कि जिस तरह से इमरान खान ने विपक्ष को राष्ट्र विरोधी बताया है, उसका फायदा उन्हें चुनाव में मिलेगा। इमरान ने साढ़े चार साल के कार्यकाल में युवाओं के बीच अच्छी पकड़ बना ली है। अमेरिका के खिलाफ खुलकर बोलने का फायदा भी इमरान को मिलेगा।

कोर्ट से भी विपक्ष को फायदा मिलने की गुंजाइश कम : इमरान खान की आखिरी चाल से विपक्ष सदमे में है। विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कोर्ट ने इस पूरे मसले पर स्पेशल बेंच का गठन भी कर दिया है। हालांकि, उम्मीद कम है कि विपक्ष को यहां से कुछ राहत मिले। सैय्यद अली बताते हैं कि पूर्व में भी संसद के मामलों में कोर्ट दखल देने से इंकार कर चुका है। ऐसे ज्यादातर मामलों में कोर्ट ने संसद के ऊपर ही फैसला लेने के लिए छोड़ दिया है। इसलिए यह संभव है कि कोर्ट की स्पेशल बेंच भी कुछ यही फैसला सुनाए।

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