‘फलस्तीनियों की चिंताओं पर ध्यान दें, आतंकवाद से कोई समझौता नहीं’, एस. जयशंकर ने कही यह बात
डिजिटल रूप से आयोजित ब्रिक्स की बैठक में भारत ने फलस्तीनियों की पीड़ा पर चिंता व्यक्त की। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, इस्राइल और हमास के बीच चल रहे युद्ध से पीड़ित नागरिकों की ओर ध्यान देना चाहिए। यहां पढ़ें…
ब्रिक्स की बैठक में भारत ने दो टूक शब्दों में कहा, आतंकवाद पर किसी तरह का समझौता नहीं होना चाहिए। साथ ही फलस्तीनियों की समस्याओं का स्थायी समाधान किया जाना चाहिए। इस्राइल और हमास युद्ध पर चर्चा के लिए मंगलवार को ब्रिक्स की बैठक आयोजित की गई। इस दौरान भारत ने स्पष्ट शब्दों में कहा, पश्चिम एशिया में शुरू हुए युद्ध का कारण एक आतंकवादी हमला था। आतंकवाद को जड़ से खत्म किया जाना चाहिए। साथ ही बैठक में भारत ने फलस्तीनियों की चिंताओं को दूर करने का आह्वान करते हुए दो राज्य के समाधान पर बल दिया।
जयशंकर बोले, मानवीय सहायता के लिए भारत प्रतिबद्ध
डिजिटल रूप से आयोजित बैठक में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, गाजा के रह रहे लोगों के संकट को देखते हुए भारत ने अबतक 70 टन की मानवीय सहायता भेजी है और इस तरह की सहायता जारी रहेगी। इस्राइल और हमास युद्ध के कारण नागरिकों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। तनाव को कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का स्वागत करते हैं। जयशंकर ने कहा, फिलहाल आवश्यक यह है कि मानवीय सहायता और राहत गाजा स्थित जरूरतमंदों तक पहुंचे।
सात अक्तूबर को हुए हमले का परिणाम यह युद्ध- जयशंकर
जयशंकर ने बैठक में इस बात पर भी जोर दिया कि इस्राइल और हमास के युद्ध में बंधक बनाएं सभी बंधकों को रिहा किया जाए। अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करना सभी का दायित्व है। हम सब जानते हैं सात अक्तूबर को आतंकी समूह हमास द्वारा इस्राइल पर पांच हजार रॉकेट दागे गए, जिसके बाद से ही यह युद्ध शुरू हुआ। आतंकवाद के सवाल पर किसी भी समझौते के हम पक्षधर नहीं है। इस तरह से नागरिकों बंधक बनाना जायज नहीं, इसे माफ नहीं किया जा सकता है।
जयशंकर बोले, पीएम मोदी मुद्दे को लेकर बेहद सजग
जयशंकर ने बैठक में जानकारी देते हुए कहा, पीएम मोदी ने इस संदर्भ में दुनियाभर के कई नेताओं से बातचीत की। उन्होंने शांति के लिए अनुकूल स्थितियां बनाने, सार्थक शांति वार्ता पर जोर दिया। जयशंकर ने कहा, हमारा मानना है कि फलस्तीनी लोगों की चिंताओं को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। केवल दो राज्य के समाधान ही इसका एकमात्र हल दिखाई देता है, जो शांतिपूर्ण सह अस्तित्व पर आधारित है। बता दें ब्रिक्स के सदस्य देशों में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं।
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में रूसी राष्ट्रपति पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, ब्राजील के राष्ट्रपति डिसल्वा और मिस्र के राष्ट्रपति अल सिसी समेत कई लोग मौजूद रहें।
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