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बीकानेर ! एशिया की सबसे बड़ी मोठ मंडी में अव्यवस्थाओं का अंबार

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एशिया की सबसे बड़ी मोठ मंडी में अव्यवस्थाओं का अंबार

नालियों की सफाई नहीं होने और कीचड़-गंदगी की बदबू लोग परेशान, प्याऊ सूखी व वाटर कूलर खराब, मंडी में पानी निकासी की सही व्यवस्था नहीं होने से होता जलभराव

एशिया की सबसे बड़ी मोठ मंडी में अव्यवस्थाओं का अंबार

नोखा. एशिया की सबसे बड़ी मोठ मंडी के नाम से प्रसिद्ध नोखा कृषि उपज मंडी में समस्याओं व अव्यवस्थाओं का अंबार लगा है। यहां सुविधाओं का विस्तार करना तो दूर मूलभूत सुविधाओं का टोटा है। मंडी में पेयजल की समस्या है। महीने में 15 दिन ही पेयजल आपूर्ति होती है। व्यापारियों व किसानों के लिए पेयजल व्यवस्था के तहत लगवाए गए तीन वाटर कूलर में दो खराब हैं। एक वाटर कूलर को कुछ दिन पहले व्यापारियों ने ठीक करवाया है। मंडी परिसर में रात्रि को रोशनी व्यवस्था के तहत से पांच रोड़ लाइट टावर लगे हैं। इसमें एक में आठ लाइट लगी हुई हैं, लेकिन रात्रि को दो-तीन लाइट ही जलती हैं।

मंडी में सुरक्षा दृष्टि से 15 सीसीटीवी कैमरे भी लगे हैं, जो अधिकतर समय बंद रहते हैं। कृषि मंडी में साफ-सफाई सही नहीं होने से चारों तरफ कचरे के ढेर लगे हैं, मुख्य नालियों में गंदा पानी भरा है, जिससे कीचड़ और बदबू से लोग परेशान हैं। मंडी परिसर में पानी निकासी की उचित व्यवस्था नहीं होने से बारिश में तो हाल-बेहाल हो जाते हैं। बारिश में जलभराव होने से टिनशेड व व्यापारियों की दुकान के बाहर कीचड़, गंदगी और बदबू फैल जाती है। व्यापारियों व किसानों का कहना है कि मंडी प्रशासन शुल्क तो पूरा वसूल करती है, लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है। बारिश के समय मंडी में गंदगी के कारण फैली बदबू से व्यापारियों के अलावा वहां आने वाले किसान भी परेशान होते हैं। मंडी के जिम्मेदार अधिकारी मूकदर्शक बनकर बैठे हैं, वे व्यापारी व किसान की समस्या पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

शौचालय पड़े खराब
कृषि उपज मंडी में बनाए गए शौचालय की साफ-सफाई नहीं होने से खराब हो रहे हैं, वहां पर गंदगी व बदबू फैल रही है। यूरिन पॉट टूटे पड़े हैं, ऐसे में व्यापारी व किसान खुले में जाकर लघुशंका निवारण करने के लिए मजबूर हैं।

मूंगफली व मोठ की रहती बंपर आवक
नोखा कृषि उपज मंडी में वैसे तो सभी जिसों की आवक रहती है, लेकिन, दीपावली के बाद मूंगफली और मोठ की बंपर आवक होती है। मोटे तौर पर सीजन में मंडी में रोजाना 60 से 80 हजार बोरी मूंगफली और 10 से 15 हजार बोरी मोठ की आवक रहती है। उस समय तो मंडी में जिंसों की नीलामी के लिए जगह कम पड़ती है। करीब 56 बीघा में फैली नोखा कृषि उपज मंडी में 260 व्यापारियों की दुकानें हैं। मंडी में बनाए गए टिनशेड पर्याप्त नहीं है। गत दिनों मुख्यमंत्री के जसरासर आगमन के दौरान मंडी व्यापारियों ने नोखा कृषि मंडी का विस्तार करने की मा

कोई सुनवाई नहीं
नोखा कृषि उपज मंडी में सीवरेज लाइन नहीं है। यहां पानी निकासी की व्यवस्था नहीं होने से नालियों में गंदा पानी भरा रहता है। गंदगी व बदबू से सभी परेशान हैं। सफाई व्यवस्था बहुत खराब है। मंडी परिसर में सफाई, लाइट, पानी निकासी की व्यवस्था करने और टिनशेड चौकी मरम्मत कराने सहित अन्य समस्याओं को लेकर कई बार सचिव को लिखित में ज्ञापन दिए जा चुके हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं किया जा रहा है।
-शिवकुमार डेलू, अध्यक्ष कच्ची आढ़त व्यापार संघ कृषि उपज मंडी नोखा।

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