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बीकानेर ! बाजार में बिक रहे चांदी के नकली सिक्के

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*बाजार में बिक रहे चांदी के नकली सिक्के*                                  
*बीकानेर*। दीपावली पर सुख और समृद्धि के प्रतीक के रूप में चांदी के सिक्के खरीदने का प्रचलन है। तमाम सराफा कारोबारी इस बात का दावा करते हैं कि बाजार में शुद्ध चांदी और ब्रिटिश काल में चलन में रहे चांदी के सिक्के आज भी उपलब्ध हैं। लोग दीपावली पर इन्हीं सिक्कों को खरीदने में प्राथमिकता देते हैं, लेकिन इन दिनों शहर में बड़ी तादाद में नकली सिक्के तैयार किए जा रहे हैं। जानकारी के अभाव में लोग ठगे जा रहे हैं। यहीं नहीं लक्ष्मी और गणेश की आकृति वाले नकली सिक्के भी बड़ी संख्या में बाजार में उपलब्ध हैं । शहर में तैयार किए जा रहे नकली सिक्के बड़ी तादात में दिल्ली समेत देश के अन्य जिलों के सराफा बाजार में सप्लाई किए जा रहे हैं। ग्राहकों के लिए नकली और असली में पहचान करना भी मुश्किल है। ऐसे मेें कई ज्वैलर्स ग्राहकों की आंखों में धूल झोंककर धड़ल्ले से चांदी के सिक्के बेच रहे है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बीकानेर के आभूषण बाजार में साठ प्रतिशत नकली चांदी के सिक्के बिक रहे है। जानकारी में रहे कि दिवाली के मौके चांदी के सिक्के खरीदने की परंपरा सदियों पुरानी है। इसलिये लोग दिवाली के त्यौहारी मौके पर उत्साह से चांदी के सिक्के खरीदते है। एक अनुमान के मुताबिक दिवाली के सीजन में हर साल सौ करोड़ रूपये से ज्यादा चांदी के सिक्कों की बिक्री होती है। त्यौहारी सीजन में डिमांड बढऩे पर बीकानेर में छोटे मोटे ज्वैलर्स से लेकर ज्वैलरी के नामी प्रतिष्ठानों में नकली चांदी के सिक्के धड़ल्ले से बेचे जाते है।
*पड़ताल में सामने आई असलियत*
इस मामले की पड़ताल करने के लिये चांदी के सिक्के की परख करवाई तो नकली सिक्के की असलियत सामने आ गई। परख करने के लिये चांदी के सिक्के पर नाइट्रिक एसिड की एक बूंद डाली गई। इसके बाद सिक्के का ऊपरी हिस्सा हरे रंग में बदल गया और बाद में सिक्के की ऊपरी हिस्से का रंग काला हो गया। जब इसी एसिड को शुद्ध चांदी के सिक्के पर डाला गया, तो उस सिक्के की ऊपरी सतह सफेद हो गई । जानकारी के अनुसार ज्वैलरी बाजार में फिलहाल तीन तरह के सिक्के बिक रहे है। इनमें एक  अंग्रेजों के जमाने का सिक्का, जिस पर ब्रिटिश हुकूमत का प्रतीक बना रहता है। दूसरा हॉलमार्क वाला सिक्का, इस सिक्के को भी सैकड़ों वर्ष पुराना कह कर बेचा जाता है। तीसरा भगवान की तस्वीर वाला सिक्का, इन सिक्कों पर लक्ष्मी आदि देवताओं की तस्वीर बनी रहती है । इनमें कई सिक्के तो ऐसे भी बिक रही है जो पूरी तरह खोटे है।
*-ऐसे की जा सकती है पहचान*
जानकारों ने बताया कि त्यौहारी मौके पर अगर आप चांदी के सिक्के की खरीदारी करने जा रहे हैं तो उसकी ऐसे पहचान करें। असली सिक्के को जमीन पर गिराए छन्न की आवाज होने से समझे कि वह नकली है। चांदी के ठोस धातु होने के कारण जमीन पर से गिराने से यह ढक की आवाज करती है। यही असली सिक्का होता है। इसके अलावा असली चांदी के सिक्के पर बर्फ का टुकड़ा रखें। अगर बर्फ तेजी से पिघलने लगे तो समझे कि सिक्का असली है। देर से पिघलने पर वह नकली व मिलावटी होता है। चुंबक से भी असली नकली चांदी के सिक्के की पहचान होती है।  इसके अलावा असली सिक्कों का वजन लगभग 11.64 ग्राम होता है। किसी भी सूरत में वजन इससे अधिक नहीं हो सकता है, जबकि नकली सिक्कों का वजन अधिक होता है। असली सिक्के की गरारी चिकनापन लिए हुए है, जबकि नकली चांदी के सिक्कों के दोनों पहलू और किनारी उठी हुई होती है। सिक्कों पर उंगली फेरकर ही असली और नकली का पता लगाया जा सकता है।

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