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बेहतर शोध के लिए अभिलेखीय भाषा का ज्ञान होना आवश्यक -डॉ. नितिन गोयल

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बीकानेर, 25 फरवरी। राजस्थान विश्वविद्यालय के इतिहास एवं भारतीय संस्कृति विभाग के शोधार्थियों द्वारा मंगलवार को राजस्थान राज्य अभिलेखागार का अकादमिक शोध भ्रमण किया गया। इस दौरान शोधार्थियों ने अभिलेखागार संग्रहालय की राजपत्र, ताम्रपत्र, टैस्सीटोरी दीर्घाओं का बारीकी से अवलोकन किया।
शोधार्थियों ने शैक्षिक विचार विमर्श में भाग लिया तथा भविष्य में शोध को उन्नत करने के लिए अपने विचार रखे। उन्होंने विभाग की कार्यप्रणाली को गहनता से समझा, साथ ही इतिहास संबंधी शोध में अभिलेखागारीय स्रोतों के महत्व को जाना। शोधार्थियों ने सुझाव दिए कि क्यू.आर. कोड के माध्यम से प्रदर्शित संग्रहालय दस्तावेज का हिन्दी या अंग्रेजी में अनुवाद उपलब्ध करवाया जाये।
अभिलेखागार के निदेशक डॉ नितिन गोयल ने बताया कि जल्द ही विभाग द्वारा उपलब्ध शोध अभिलेखों को कैसे ऑनलाईन एक्सेस किया जा सकता है, इसके बारे में विस्तरित योजना पर कार्य किया जाएगा। शोधार्थी को अभिलेखों की भाषा का अच्छे शोध हेतु ज्ञान होना आवश्यक है, इसके साथ विश्वविद्यालय म्यूजोलोजी के विद्यार्थी अपने पंजीकृत कोर्स की केस स्टडी के रूप में विभागीय संग्राहलय को चुने।
इस दौरान विश्वविद्यालय के सहायक आचार्य डॉ दिनेश शर्मा एवं डॉ रामदेव जाट साथ रहे।

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