भारत और श्रीलंका के वैज्ञानिकों की नौ टीमें विभिन्न क्षेत्रों पर केंद्रित अनुसंधान का काम करेंगी। इन क्षेत्रों में खाद्य प्रौद्योगिकी, संयत्र आधारित दवाएं, माप-विज्ञान, अंतरिक्ष अनुसंधान एवं अनुप्रयोग, रोबोटिक्स एवं ऑटोमेशन, औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिक्स, नवीकरणीय ऊर्जा, कचरा प्रबंधन और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी शामिल हैं।
उन्हें भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) और श्रीलंका के डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट रिपब्लिक सरकार के कौशल विकास, व्यावसायिक शिक्षा, अनुसंधान एवं नवाचार राज्य मंत्रालय से कई क्षेत्रों के प्रस्तावों के संयुक्त आह्वान को लेकर सहयोगात्मक समर्थन प्राप्त हुए हैं।
इस प्रस्ताव की शुरुआत 2008 में भारत और श्रीलंका के बीच विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में अंतर-सरकारी सहयोग के निष्कर्ष संबंधी एक परिणाम के रूप में हुई। भारत और श्रीलंका के बीच विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग की शुरुआत और चर्चा अंतर-सरकारी भारत-श्रीलंका संयुक्त आयोग के तहत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर भारत-श्रीलंका उप-आयोग के माध्यम से की गई। वहीं नवंबर, 2010 में कोलंबो में आयोजित अपनी बैठक में इसने भारतीय उपग्रह का इस्तेमाल कर सामाजिक सेवाओं के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग सहित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और आपसी हित से संबंधित क्षेत्रों की पहचान करने पर सहयोग के एक कार्यक्रम के विकास की सिफारिश की थी।
इनके अलावा, दोनों देशों ने आह्वान की प्रतिक्रिया में प्राप्त 193 आम प्रस्तावों में से तीन कार्यशाला प्रस्तावों का समर्थन करने का भी निर्णय लिया। अब तक खाद्य प्रौद्योगिकी, सामग्रियों, संयंत्र आधारित दवा और औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिक्स में 27 संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं को सहायता दी गई है। पीआई द्वारा कई गुणवत्ता वाले संयुक्त अनुसंधान पत्र/पेटेंट प्रकाशित किए गए हैं और शोधार्थियों ने अपने संबंधित क्षेत्र के विभिन्न राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भी हिस्सा लिया है।
परिणाम के लिए वेबसाइट का लिंक :
(https://aistic.gov.in/ASEAN/AbstractFilePath?FileName=Indo-SriLanka_Joint_bilateral_2019।pdf&PathKey=imrcd_files)
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