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भारत को क्यों तैनात करने पड़े 5 युद्धपोत:भारत आ रहे जहाजों पर ड्रोन हमले बड़ा खतरा; इसके पीछे कौन है

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भारत को क्यों तैनात करने पड़े 5 युद्धपोत:भारत आ रहे जहाजों पर ड्रोन हमले बड़ा खतरा; इसके पीछे कौन है

23 दिसंबर 2023 की शाम। कॉमर्शियल जहाज ‘MV Chem Pluto’ सऊदी अरब के जुबैल पोर्ट से मंगलोर जा रहा था। अरब सागर में इस जहाज पर ड्रोन हमला हुआ। उस वक्त ये जहाज गुजरात के पोरबंदर से 217 समुद्री मील यानी करीब 390 किमी दूर था।

ये एक केमिकल टैंकर जहाज था, जिस पर लाइबेरिया का झंडा था। इसके चालक दल में 21 भारतीय और एक वियतनामी नागरिक था। हमले की खबर मिलते के बाद भारतीय तटरक्षक जहाज आईसीजीएस विक्रम की सुरक्षा में ये जहाज मुंबई पहुंचा।

इससे ठीक पहले लाल सागर में MV Saibaba जहाज पर भी हमला हुआ था। ये जहाज भारत आ रहा था और इसमें सवार ऑपरेटिव टीम के सभी 25 लोग भारतीय थे। इस पर गैबॉन का झंडा लगा था। दोनों हमलों के बाद इस ट्रेड रूट की सुरक्षा के लिए भारत ने अपने 5 वॉरशिप उतार दिए हैं।

जानेंगे कि ये हमले कौन और क्यों करवा रहा, भारत ने क्यों उतारे 5 वॉरशिप और जहाजों पर हमले से कैसे दुनियाभर के व्यापार पर असर पड़ेगा…

हमले के पीछे कौनः हूती और ईरान पर उठ रही उंगलियां

शनिवार देर शाम को अमेरिका ने दावा किया कि ‘MV केम प्लूटो’ पर ड्रोन हमला ईरान की तरफ से किया गया है, लेकिन ईरान ने इसका खंडन किया है। इससे पहले लाल सागर में भारत आ रहे जहाज “MV साई बाबा’ पर भी हमला हुआ था। गैबॉन के इस जहाज को लेकर भी अमेरिका ने कहा है कि भारतीय जहाज पर हूती विद्राेहियों ने हमला किया है। इसके बाद इंडियन नेवी ने स्पष्ट किया था कि हमला भारत के जहाज पर नहीं हुआ है।

हमले क्यों हुएः हमास पर इजराइली जंग से नाराजगी

कॉमर्शियल जहाजों पर हाल ही में जो हमले हाे रहे हैं वो गाजा पर इजराइल हमले का परिणाम है। पिछले महीने इन हमलों की शुरुआत यमन में हुई थी। वहां हूती विद्रोहियों ने इजराइल से जुड़े जहाजों पर हमला किया था। इजराइल के एक जहाज पर कब्जा करने के बाद हैती समूह के प्रवक्ता मोहम्मद अब्दुल सलाम ने कहा था कि ये शुरुआत है। हम जानते हैं कि इजराइल केवल ताकत की भाषा समझता है। तब से हूती विद्रोहियों ने 15 से ज्यादा जहाजों को लाल सागर में निशाना बनाया है। इसी कड़ी में इजराइल के मित्र देशों के जहाजों पर भी हमला किया जा रहा है।

जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर अरुण कुमार कहते हैं कि इजराइल लगातार हमास पर हमले कर रहा है। इससे हमास की कमर टूट गई है। गाजा में हजारों लोग मारे गए हैं। इससे इस्लामिक देशों में नाराजगी बन गई है। ईरान इसकी अगुआई कर रहा है।

यही कारण है कि हमास के हिमायतियों ने अंतरराष्ट्रीय समुद्री मार्ग को निशाना बनाया है। हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में जहाजों को निशाना बनाया है। अरब सागर के हमलावरों की जांच चल रही है। भारत ने हमलों पर कड़ा रुख दिखाते हुए कहा है कि वो जहाजों पर हमला करने वालों को छोड़ने वाला नहीं है।

हमले से चिंता क्योंः भारत का 80% व्यापार इस रूट से

अरुण कुमार बताते हैं कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि अंतरराष्ट्रीय बिरादरी व्यापार के समुद्री मार्ग की सुरक्षा को लेकर चिंतित है। अमेरिका, चीन, भारत सहित कई देश एक साथ नजर आ रहे हैं।

भारत का 80% व्यापार समुद्री रास्ते से होता है। वहीं 90% ईंधन भी समुद्री मार्ग से ही आता है। अगर समुद्री रास्ते में कोई सीधे हमला करेगा तो भारत के कारोबार पर असर पड़ेगा। देश की सप्लाई चेन बिगड़ जाएगी।

पूरी दुनिया का समुद्री यातायात का 12% लाल सागर और स्वेज कैनाल से होकर गुजरता है। लाल सागर अदन की खाड़ी में और अदन की खाड़ी अरब सागर में खुलती है। स्वेज कैनाल भूमध्यसागर में खुलती है। भूमध्यसागर और उसके पिछले हिस्से में पूरा यूरोप है। उसके नजदीक से अटलांटिक सागर के पीछे नॉर्थ और साउथ अमेरिका है। ये कॉमर्शियल ट्रैफिक चेन टूट जाती है तो इससे ग्लोबल बिजनेस को नुकसान होगा।

भारत और इस रूट के बीच इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट मुम्बई, कोच्चि, मेंगलुरु, गोवा और चेन्नई से होते हुए सिंगापुर, मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड, वियतनाम, फिलीपींस जैसे दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में होता है। यहां से जापान, कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड जाने वाले शिप अरब सागर आते हैं।

इससे पहले ये जहाज हिंद महासागर, अरब सागर, अदन की खाड़ी, लाल सागर, स्वेज नगर और भूमध्यसागर से दूसरे रूट से यूरोप जाते हैं। यहां से अटलांटिक सागर और आगे अमेरिका जाते हैं। यदि कहीं भी बीच में ब्रेक होता है तो पूरा बिजनेस रूट डिस्टर्ब हो जाएगा।

हमले का क्या असरः ट्रांसपोर्ट खर्च 50% बढ़ जाएगा

प्रो. अरुण कुमार बताते हैं कि अगर इन पर कोई समस्या आती है तो पूरा रूट बदल जाएगा। इसके बाद पूरे सामान को दक्षिण अफ्रीका से लाना पड़ेगा। इससे इस बिजनेस रूट की दूरी 40 से 50% बढ़ जाएगी। अगर दूरी बढ़ेगी तो जहाजों को ईंधन भी ज्यादा खर्च करना पड़ेगा। समय भी 15 से 20 दिन ज्यादा लगेगा।

ऐसे में जो भी सामान आएगा उसकी कीमत आम आदमी तक आते-आते बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी। सबसे ज्यादा असर तेल की कीमतों पर पड़ेगा।

भारत सहित अमेरिका और चीन भी ऐसी स्थिति पैदा नहीं होना देना चाहते हैं। यही कारण है कि भारत ने अपने वॉरशिप इस समुद्री मार्ग की सुरक्षा के लिए उतार दिए हैं । चीन और अमेरिका ने भी अपने पोत रवाना कर दिए हैं।

हमलों के बाद क्याः राजनाथ बोले- सागर के तल से भी ढूंढ निकालेंगे हमलावरों को

हमले के तुरंत बाद कॉमर्शियल जहाजों की सुरक्षा के लिए इंडियन नेवी ने अरब सागर के विभिन्न इलाकों में INS मोर्मुगाओ, INS कोच्चि और INS कोलकाता, INS चेन्नई और INS विशाखापट्‌टनम को तैनात किया है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया कि जिन्होंने भी ये हमला किया है हम उन्हें सागर के तल से भी ढूंढ निकालेंगे और सख्त कार्रवाई करेंगे।

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