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भारत में कितने टाइगर? सुंदरवन में बाघों की गिनती शुरू, जानें कैमरा ट्रैप से कैसे होती है पहचान

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भारत में कितने टाइगर? सुंदरवन में बाघों की गिनती शुरू, जानें कैमरा ट्रैप से कैसे होती है पहचान

Tiger Counting In India: पश्चिम बंगाल के मैंग्रोव डेल्टा, सुंदरवन में बाघों की गिनती शुरू हो गई है। राष्‍ट्रीय स्‍तर पर, केंद्र सरकार हर चार साल में राष्ट्रीय बाघ जनगणना कराती है।

नई दिल्ली: सुंदरवन डेल्टा में बाघों की गणना सोमवार से शुरू हो गई। हर साल होने वाली यह कवायद हमें बताएगी कि यहां कितने बाघ हैं। बाघों की आबादी वाले राज्यों के वन विभाग हर साल ‘कैमरा ट्रैप’ के जरिए बाघों की गिनती करते हैं। राष्‍ट्रीय बाघ गणना हर चौथे साल होती है और केंद्र उसे करता है। आखिरी बार नैशनल लेवल पर बाघों की गिनती 2022 में हुई थी। पिछले साल ‘इंटरनैशनल टाइगर डे’ के मौके पर 29 जुलाई को ‘स्टेटस ऑफ टाइगर्स 2022’ रिपोर्ट जारी हुई। नैशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरिटी ने भारत में बाघों की कुल संख्‍या 3,682 बताई थी। 2022 तक सुंदरवन में बाघों की आबादी 101 पाई गई। सुंदरवन में इस साल 35 दिन तक कैमरा रहेंगे। जानिए क्‍या है वह ‘कैमरा ट्रैप’ तकनीक जिसकी मदद से होती है बाघों की गिनती।

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भारत में कितने टाइगर? सुंदरवन में बाघों की गिनती शुरू, जानें कैमरा ट्रैप से कैसे होती है पहचान

सुंदरवन में बाघों की गिनती कैसे होगी

सुंदरवन में बाघों की गिनती कैसे होगी
  • सुंदरवन के जंगलों में 2-2 वर्ग किलोमीटर के ग्रिड बनाए गए हैं। ऐसे कुल 732 ग्रिड हैं।
  • हर ग्रिड के दोनों ओर, एक-दूसरे से उल्टी दिशा में एक जोड़ी कैमरा लगे रहेंगे।
  • बाघों की गिनती के लिए इस साल सुंदरवन में कुल 1,464 ऑल-वेदर नाइट-विजन कैमरा लगाए जाएंगे।

‘कैमरा ट्रैप’ से कैसे गिने जाते हैं बाघ

कैमरा ट्रैप से कैसे गिने जाते हैं बाघ
  • कैमरा ट्रैप के जरिए बाघों की गिनती के लिए पूरे जंगल को कई वर्गाकार टुकड़ों में बांट दिया जाता है। आमतौर पर एक टुकड़ा 1-2 वर्ग किलोमीटर का होता है।
  • हर टुकड़े के भीतर कम से कम एक जोड़ी कैमरा लगाया जाता है। ये कैमरे अगले 25 से 45 दिन तक बाघों की फोटोज खींचते हैं।
  • बाघों के लिए कैमरे की ऊंचाई इंसानी घुटने के बराबर रखी जाती है ताकि क्लियर शॉट मिल सके। कैमरा एक-दूसरे को फेस करते हुए नहीं लगाए जाते।
  • कैमरा में मूवमेंट पर टाइमर सेट कर दिया जाता है। एक बार साइटिंग पर 15, 20, 25 या ज्यादा सेकेंड के गैप पर तस्वीरें ली जाती हैं।
  • बाघों की तस्वीरें रेंज ऑफिस से होते हुए डिवीजन लेवल, फिर स्‍टेट लेवल और आखिरी में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया तक आती हैं। ​

कितना सही होता है राज्यों का डेटा

कितना सही होता है राज्यों का डेटा

सुंदरवन बायोस्फीयर रिजर्व (STR) के डायरेक्टर नीलांजन मलिक के अनुसार, राज्‍य स्‍तर पर हर साल बाघों की आबादी का अनुमान भर लगाया जाता है।

उन्‍होंने ‘द टेलीग्राफ’ से बातचीत में कहा कि ‘नैशनल लेवल पर गिनती अधिक व्यापक स्तर पर होती है। उसमें हैबिटैट, संभावित शिकार का बेस, मानवीय दखल समेत कई पहलुओं को ध्‍यान में रखते हैं।’ सुंदरबन के बाद बंगाल का वन विभाग दक्षिण 24 परगना जिले में भी बाघों की गिनती करेगा।

दस हजार वर्ग किलोमीटर में फैले सुंदरवन का 4,000 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा हिस्सा भारत में है, बाकी बांग्लादेश में।

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