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‘मथुरा-काशी के लिए भी अयोध्या जैसी मुहिम’:जयपुर में संत बोले- बातचीत से विवाद करेंगे खत्म; मंदिर वहीं बनाएंगे नारे का बनाया था मजाक

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‘मथुरा-काशी के लिए भी अयोध्या जैसी मुहिम’:जयपुर में संत बोले- बातचीत से विवाद करेंगे खत्म; मंदिर वहीं बनाएंगे नारे का बनाया था मजाक

अयोध्या में राम मंदिर में भगवान राम अपने गर्भ गृह में विराज चुके हैं। इस मंदिर के लिए सारे संतों ने एक होकर मुहिम चलाई थी। अब ऐसी ही मुहिम संत एक बार फिर मथुरा और काशी के लिए करने जा रहे हैं। संतों ने कहा कि अयोध्या में मंदिर बन गया है, जो केवल झांकी है। काशी-मथुरा बाकी है।

आज हम यह बोल रहे हैं। कुछ समय के बाद हम देखेंगे कि इन दोनों जगहों का भी समाधान हो गया है। हमारा यह अभियान निरंतर-निरंतर आगे बढ़ता जाएगा। जयपुर में जवाहर नगर स्थित माहेश्वरी पब्लिक स्कूल के तक्षशिला सभागार में हुए संत समागम में श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद गिरी ने यह बात कही।

गोविंद गिरी ने कहा- राम मंदिर के बाद अब श्री कृष्ण जन्मभूमि मथुरा और काशी की बारी है। सारे समुदायों से इसके लिए शांतिपूर्वक बातचीत की जाएगी और जमीन के विवाद को खत्म करने की रणनीति बनाई जाएगी। अगर बात नहीं बनी तो संत हरिद्वार और प्रयागराज में होने वाले समागम में उग्र आंदोलन को लेकर फैसला करेंगे।

अखिल भारतीय संत सम्मेलन में श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद गिरी भी शामिल हुए।

अखिल भारतीय संत सम्मेलन में श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद गिरी भी शामिल हुए।

लोगों ने मंदिर वहीं बनाएंगे नारे का बनाया था मजाक
गोविंद गिरी ने कहा- राम लला हम आएंगे मंदिर भव्य बनाएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे का नारा दशकों तक हम लगाते आए। इस नारे का कुछ लोग मजाक बनाते थे। कहते थे- मंदिर कब बनाएंगे, तारीख नहीं बताएंगे। यह काफी समय तक चलता रहा, लेकिन संतों की संकल्प शक्ति का अनुभव हम सब लोगों ने किया। आज हम बड़े गर्व के साथ कह सकते हैं कि अयोध्या जी में मंदिर बनाने के बाद पहली बार एकत्रित हो रहे हैं।

स्वामी गोविंद गिरी ने कहा- अयोध्या में मंदिर की जब प्राण प्रतिष्ठा हो रही थी। उस पूरे कार्यक्रम के दौरान बार-बार मेरी आंखें भीग रही थी, क्योंकि उस वक्त मैं उन तमाम लोगों को याद कर रहा था, जिन लोगों के कारण आज हम वहां रामलला के दर्शन कर पाएं। इन लोगों में पहला नाम कोई याद आ रहा था, तो वो धर्मेंद्र महाराज का था, जिनकी पुण्य स्मृति में हम जयपुर में एकत्र हुए हैं। हम महाराज की ओजस्वी वाणी को नहीं भूल सकते। हम उनके अंदर की उस आग को कभी नहीं भूल सकते, जिस आग ने सारे देश में अलख जगाई। मंदिर आज अयोध्या में खड़ा है, उसमें अनेक लोगों का त्याग और बलिदान लगा है।

संत समागम में अमेरिका, स्पेन, कैलिफोर्निया इंग्लैंड से भी कई संत शामिल हुए। इन संतों ने गौसेवा और गौरक्षा पर भी एक प्रस्ताव पारित किया।

संत समागम में अमेरिका, स्पेन, कैलिफोर्निया इंग्लैंड से भी कई संत शामिल हुए। इन संतों ने गौसेवा और गौरक्षा पर भी एक प्रस्ताव पारित किया।

सनातनियों को मिलना चाहिए कृष्ण जन्मभूमि-ज्ञानवापी के परिसर का अधिकार
श्री पंचखण्ड पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी सोमेन्द्र महाराज ने कहा- अखिल भारतीय संत सम्मेलन ने अखिल भारतीय न होकर बल्कि अंतरराष्ट्रीय रूप ले लिया। इस सम्मेलन में विश्व से आए सभी संतों ने एक स्वर से प्रस्ताव पारित किया कि अयोध्या के बाद भारत के करोड़ों भारतीय के आस्था के केंद्र मथुरा कृष्ण भूमि जन्म क्षेत्र और काशी विश्वनाथ के ज्ञानवापी परिसर का अधिकार सनातन धर्मियों को मिलना चाहिए, जिससे उन जगहों पर भी अयोध्या के जैसे भव्य मंदिर का निर्माण करवाया जा सके।

इस सम्मेलन में गौसेवा और गौरक्षा पर एक प्रस्ताव पारित हुआ है। साथ ही सारे संतों ने यह मांग भी रखी है कि समान आचार संहिता (यूसीसी) पूरे भारत में लागू होनी चाहिए। संतों की मांग है कि धार्मिक पूजा पाठ के अधिकार से संबंधित जो धारा है, वह सभी लोगों पर समान रूप से लागू हो। जनसंख्या नियंत्रण कानून पर भी संतों ने अपने विचार प्रकट किए।

इन सारे मुद्दों को लेकर सभी संत पूरे विश्व में जन जागरण अभियान चलाएंगे। इसके साथ एक ऐसा वातावरण तैयार करेंगे, जिससे मुस्लिम पक्ष स्वेच्छा से दोनों तीर्थ सौहार्द के साथ सनातनियों को सौंप देंगे। इस अभियान की शुरुआत जयपुर में हुए इस सम्मेलन से कर दी गई है। होली के बाद सारे संत हरिद्वार और प्रयागराज में से किसी एक जगह पर जयपुर जैसा संत सम्मेलन होगा। इसके बाद गोवा और इंडिया के बाहर यूरोप और अमेरिका में भी सारे संत होगा। यह क्रम तब तक जारी रहेगा, जब तक हमें हमारी जगह नहीं मिल जाती।

गोविंद गिरी ने कहा- राम मंदिर के बाद अब श्री कृष्ण जन्मभूमि मथुरा और काशी की बारी है। सारे समुदायों से इसके लिए शांतिपूर्वक बातचीत की जाएगी

गोविंद गिरी ने कहा- राम मंदिर के बाद अब श्री कृष्ण जन्मभूमि मथुरा और काशी की बारी है। सारे समुदायों से इसके लिए शांतिपूर्वक बातचीत की जाएगी

उन्होंने कहा- हम सरकार से तो बात करेंगे ही इसके साथ ही दूसरे पक्ष के साथ भी हमारे संतों का प्रतिनिधिमंडल मिलेगा और वैश्विक तौर पर समरसता के साथ यह समझौता हो सके। इसमें पूरा विश्व जानता है कि मथुरा भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि है। इसके साथ ही काशी विश्वनाथ का हिंदू और सनातन धर्म में कितना महत्व है, यह किसी से नहीं छुपा। आस्था की इन दोनों जगहों के लिए किसी का कोई विवाद नहीं है तो इसका हल कोर्ट के जरिए नहीं किया जा सकता। इसलिए हम चाहते हैं कि एक ऐसा वातावरण तैयार हो कि यह दोनों तीर्थस्थल सौहार्द के साथ हिंदुओं को मिले।

सोमेन्द्र महाराज बोले- सनातनी हमेशा शांति और वैश्विक एकता का संदेश पूरे विश्व को देते आए हैं। हम वसुदेव कुटुम्बकम की बात करते हैं। सनानत धर्मी ही वसुधैव कुटुम्बकम बोलता है। दूसरा कोई भी धर्म इस बात को न कहता है और न मानता है। हम भारत माता की संतानें हैं और भारत माता एक ही है। भारत में जो पैदा हुए हैं वो सब भारत माता की संतानें हैं। भारत माता की सब संतानें मिल बैठकर सब तय कर ले तो इससे अच्छा क्या होगा।

देश-विदेश के संत भी समागम में शामिल हुए
श्री धर्म फाउंडेशन ट्रस्ट के अध्यक्ष सुधीर जैन गोधा ने बताया- कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद गिरी, जबकि अध्यक्ष रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष महेन्द्र स्वामी नृत्य गोपाल दास जी के उत्तराधिकारी महामंडलेश्वर स्वामी कमलनयनदास जी महाराज (अयोध्या) रहे। विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकारी अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार, गोवा के श्रीदत पद्नाभ पीठाधीश्वर स्वामी बह्मेश्नानदचार्य महाराज रेवासा धाम के स्वामी राघवाचार्य महाराज, अमेरिका के स्वामी बह्म नंद सरस्वती महाराज, स्पेन से स्वामी उमेश योगी महाराज, कैलिफोर्निया (अमेरिका) से स्वामी स्वालामंद महाराज, इंग्लैंड से राज रामेश्वर गुरुजी महाराज और अनेक संत महात्मा आचार्य महा मंडलेश्वर ने भाग लिया।

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