मर्दों की वो बेगैरत दुनिया:औरतों के लिए यहां जगह नहीं;12 साल की बहन को पीरियड आने पर भी मार डाला
संसार में हर चीज की कीमत है, लेकिन इतना महंगा, इतना दुखदायी और कुछ भी नहीं कि जितना अपनी मां की कोख से कोख लेकर पैदा होना। धरती के किसी भी कोने में, किसी भी मुल्क में, किसी भी नस्ल, जाति, धर्म में और किसी भी सभ्यता में लड़की होने की भारी कीमत चुकानी ही पड़ती है। कई बार कुछ घटनाएं दुख और शर्म का ऐसा कॉकटेल होती हैं कि देख-सुनकर न जिंदा रहा जाता है, न मरा जाता है।
लड़की को प्रेम करने, सेक्स करने, अपनी मर्जी से शादी करने और यहां तक कि स्कूल-कॉलेज जाने की इच्छा के लिए भी मार डाला गया है, लेकिन आज तक शायद ही कोई लड़की इसलिए मर गई क्योंकि उसे पहली बार पीरियड्स हुए थे। लड़कियों को एक उम्र के बाद हर महीने पीरियड्स होते हैं। उनके शरीर से हर महीने खून रिसता है। ये हमेशा होता है, लेकिन ऐसा होने के लिए कोई लड़की जान से नहीं मार डाली जाती।
पिछले दिनों महाराष्ट्र के उल्हासनगर में कुछ ऐसा ही हुआ। एक 12 साल की लड़की थी। मां की मौत हो गई तो भाई-भाभी के पास रहने शहर आ गई। यहां आने के बाद उसे पहली बार पीरियड्स हुए। कपड़ों में अचानक लग आए खून की वजह लड़की को खुद भी नहीं पता थी। वो घबराई हुई खुद भी समझने की कोशिश ही कर रही थी कि तभी उसके भाई ने उसके कपड़ों में लगे खून को देख लिया।
बजाय इसके कि कोई बच्ची की हालत समझता, समझाता, भाई ने उल्टे अपनी 12 साल की नाबालिग बहन को बेरहमी से पीटना शुरू कर दिया। उसने तीन दिनों तक उसे इतना मारा-पीटा कि लड़की की मौत हो गई। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से सारा सच सामने आया।
जिस बहन को उस नाजुक वक्त में दुलार और मदद की जरूरत थी, जिंदगी ने उसे मौत दे दी। अपने सगे भाई ने उसे मौत दे दी। पितृसत्ता ने उसे मौत दे दी। पूरे समाज और उसके तथाकथित संस्कारों ने उसे मौत दे दी।
अगर आपको लगता है कि उस नन्ही बच्ची की हत्या सिर्फ उसके भाई ने की है और इस हत्या में हमारे महान समाज के महान संस्कारों की कोई भूमिका नहीं तो आपको सोशल मीडिया पर इस मामले पर आ रही लोगों की टिप्पणियों पर गौर फरमाना चाहिए।
महान देश के महान नागरिकों की राय है कि यह दुखद घटना देश में सेक्स एजुकेशन की कमी की वजह से हुई। एक 25 साल का शादीशुदा नौकरीपेशा आदमी सेक्स एजुकेशन की कमी के कारण अपनी सगी छोटी बहन की हत्या कर बैठा। मानो इस सारे कांड के पीछे सिर्फ इतनी मामूली सी वजह है कि आदमी को लड़कियों के पीरियड्स के बारे में एबीसीडी भी नहीं मालूम रहता।
कितना भोला सा जवाब है न। कितनी मासूमियत से लोग मर्दों की हैवानियत को इतने भोलेपन का मीठा सा आवरण ओढ़ा देते हैं। बेचारा मर्द… कुछ जानता ही नहीं। सरकार को बड़े पैमाने पर सेक्स एजुकेशन कार्यक्रम चलाना चाहिए। सरकार ऐसा कर देगी तो मर्द बेरहमी से औरतों का कत्ल करना बंद कर देंगे।
एक 12 साल की लड़की की हत्या न पीरियड्स के कारण हुई, न सेक्स एजुकेशन की कमी के कारण। यह हत्या हुई सेक्स के कारण। जो लड़की ने कभी किया ही नहीं। जिसके हो जाने का भाई को शुबहा भर था। सिर्फ इस ख्याल भर ने कि किसी पराए मर्द ने उसकी बहन के शरीर को हाथ लगाया है, उस आदमी को इस कदर गुस्से से पागल कर दिया कि उसे हत्या करने में भी संकोच नहीं हुआ।
यह हत्या दरअसल सेक्स के कारण भी नहीं हुई थी क्योंकि सेक्स तो वो खुद भी करता ही होगा। बिना शादी के भी किया हो सकता है। उसके आसपास के ढेरों मर्द, हमउम्र, कमउम्र लड़के करते होंगे। उनके करने का, करने की इच्छा का उसे पता भी होगा।
यह हत्या दरअसल इसलिए हुई क्योंकि वह लड़की थी। वह लड़की थी, इसलिए पहले अपने पिता की, फिर भाई की, फिर होने वाले पति की और फिर बेटे की प्रॉपर्टी थी।
यह हत्या इसलिए हुई क्योंकि फितूरी, अहंकारी भाई को शक हुआ कि उसकी प्रॉपर्टी पर किसी और ने हाथ मारा है।
उसकी इज्जत पर किसी ने बट्टा लगा दिया है। यह हत्या इसलिए हुई क्योंकि अपनी बहन की इज्जत का पहरेदार बना भाई दूसरों की बहनों की इज्जत पर नजर गाड़े रखता था और इसमें कुछ भी गलत नहीं लगता था। यह हत्या इसलिए हुई क्योंकि चोर की दाढ़ी में तिनका था।
यह हत्या इसलिए भी हुई क्योंकि वो 12 साल की नन्ही मासूम बच्ची अपने पैरों के बीच में इज्जत लेकर पैदा हुई थी। घरवालों ने, परिवार ने, समाज ने, मुल्क ने सबने मिलकर अपनी इज्जत लड़की के पैरों के बीच में रख दी थी और उन्हें शक हुआ कि वो इज्जत मिट्टी में मिल गई है।
यह हत्या इसलिए नहीं हुई कि देश में सेक्स एजुकेशन की कमी है, यह हत्या इसलिए हुई क्योंकि पूरे देश में मनुष्यता की, करुणा की, भलाई की, इंसान-इंसान के बीच बराबरी की, औरत-मर्द के बीच प्रेमपूर्ण सौहार्द्रपूर्ण रिश्तों की कमी है। यह हत्या इसलिए हुई कि मर्दों की बनाई दुनिया दुर्गंध से बजबजा रही है और यहां सुंदरता की बहुत कमी है
यह हत्या उसी वजह से हुई, जिस वजह से आज भी इस देश में हर साल सैकड़ों लड़कियां अपने मां, बाप, भाई और परिवार वालों के हाथों मार दी जाती हैं। यह हत्या इसलिए हुई कि जाने कितने मामलों में सगा भाई, चाचा, ताऊ, मामा और यहां तक कि अपना पिता भी नाबालिग नन्ही बच्ची को प्रेग्नेंट कर देता है।
यह हत्या इस वजह से हुई, जिस वजह से बेटियां अपने ही घरों के आंगन में मारकर गाड़ दी जाती हैं, जिस वजह से बेटियां जिंदा जलाकर मार डाली जाती हैं, जहर खिलाकर मार डाली जाती हैं। जिंदा पेड़ पर लटकाकर मार डाली जाती हैं, छत से धकेलकर मार डाली जाती हैं, कुएं में डालकर मार डाली जाती हैं, एसिड फेंककर मार डाली जाती हैं। और तो और, पैदा होने से पहले पेट में ही मार डाली जाती हैं।
और जैसा कि कानून कहता है, कोर्ट-कचहरी के दस्तावेज कहते हैं, देश का मीडिया कहता है, ऐसी हर हत्या के पीछे कोई एक हत्यारा जिम्मेदार नहीं होता। पूरा का पूरा देश, समाज, समूची मर्दवादी संस्कृति जिम्मेदार होती है। इन हत्याओं की जिम्मेदार वो बेगैरत दुनिया है, जो इन मर्दों ने मिलकर आपसी साझेदारी से बनाई है। मर्दों की इस दुनिया में हम औरतों के लिए कोई जगह नहीं।
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