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महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा का इंटरव्यू:हमें लगा BJP कश्मीर पर अटल जी के रास्ते पर बढ़ेगी, लेकिन उन्होंने धोखा दिया

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महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा का इंटरव्यू:हमें लगा BJP कश्मीर पर अटल जी के रास्ते पर बढ़ेगी, लेकिन उन्होंने धोखा दिया

नामः इल्तिजा मुफ्ती, उम्रः करीब 33 साल, पहचानः जम्मू कश्मीर की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, यानी PDP चीफ महबूबा मुफ्ती की बेटी। हालांकि इल्तिजा को ये पसंद नहीं कि लोग उन्हें सिर्फ महबूबा की बेटी की तरह जाने। इल्तिजा चाहती हैं कि लोग उन्हें जम्मू-कश्मीर की बेटी और PDP की चीफ मीडिया एडवाइजर के तौर पर जानें।

कश्मीर से आर्टिकल-370 हटने के बाद से इल्तिजा चर्चा में आई थीं। टीवी चैनलों पर वे अपनी मां के हाउस अरेस्ट और कश्मीर के हालात पर बात करती थीं। कश्मीरी पंडितों के पलायन पर इल्तिजा कहती हैं, ‘बिना पंडितों के कश्मीर अधूरा है।’

आर्टिकल-370 हटाने के बाद कश्मीर में क्या बदलाव हुए, सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तो क्या हालात थे, लोकसभा चुनाव की क्या प्लानिंग है, पॉलिटिकल करियर के बारे में क्या सोचती हैं, ऐसे कई सवाल हमने इल्तिजा मुफ्ती से पूछे। पढ़िए पूरा इंटरव्यूः

सवालः आर्टिकल-370 हटाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने सही बता दिया। कश्मीर की अवाम इस बारे में क्या सोचती है, कोई रिएक्शन क्यों नहीं दिखा?
जवाबः 
2019 के बाद से कश्मीर में खौफ का माहौल है। ऐसा नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के पहले लोग यहां प्रदर्शन कर रहे थे। कुछ औरतें बिजली के स्मार्ट मीटर लगाने के खिलाफ प्रदर्शन करने निकलीं तो उन्हें रोक दिया गया।

हालात तो ये हैं कि सरकारी मुलाजिम हैं और सरकार की किसी नीति की आलोचना कर दी या शिकायत दर्ज करा दी तो नौकरी से निकाल दे रहे हैं। मेरा एक प्रोग्राम था, उसकी भी इजाजत नहीं दी गई।

सवालः अभी कश्मीर किस हाल में है, क्या हालात सुधरे हैं या शांति सिर्फ ऊपर-ऊपर है?
जवाबः
 पत्थरबाजी और बंद से बच्चों की पढ़ाई रुक जाती थी, अब वो सब खत्म हो गया है, लेकिन ये लोगों के हकों की आजादी की कीमत पर हो रहा है। अभी पुंछ में पिछले दिनों जो हुआ, वहां महबूबा मुफ्ती जाना चाहती थीं, लेकिन सरकार ने उन्हें नहीं जाने दिया। एक वीडियो में दिखा कि जिन 3 कश्मीरी सिविलियंस का शव मिला था, उनके प्राइवेट पार्ट पर मिर्च छिड़की जा रही है।

मुझे नहीं लगता कि देश उन सिविलियंस के साथ सहानुभूति रख रहा है। कुछ बेशर्म उस वीडियो पर मजे ले रहे हैं। ये सब देखकर मेरा दिल दुखता है। मैं दिल्ली में पली-बढ़ी हूं, दिल्ली को अपना घर ज्यादा मानती थी। पूरे देश के लोग जब कश्मीर के बारे में इतनी गंदी-गंदी बातें बोलते हैं तो मुझे ये सब बहुत चुभता है।

सवालः 6 अगस्त, 2019 को आर्टिकल-370 हटाने का फैसला हुआ तो आप कहां थीं, आपका और परिवार वालों का रिएक्शन क्या था?
जवाबः
 कश्मीर में दो हफ्ते पहले ही भनक लग चुकी थी कि कुछ होने वाला है, लेकिन क्या होगा ये नहीं पता था। कुछ लोग कह रहे थे कि पाकिस्तान में अटैक करेंगे, टूरिस्ट और अमरनाथ यात्रियों को कश्मीर से निकालने लगे।

4 अगस्त की रात मैं घर पर थी। पुलिस ने घर पर ताला लगाया, तब अंदाजा हो गया कि कुछ गलत होने वाला है। अगले दिन पुलिस ने महबूबा जी को अरेस्ट वारंट दिखाया। तब मुझे लगा कि कुछ बड़ा हुआ है, इसी वजह से हाउस अरेस्ट किया गया है।

सवालः महबूबा को नजरबंद कर लिया गया, फिर पूरे देश ने आपको टीवी पर कश्मीर की आवाज बनते देखा, ऐसी जिम्मेदारी लेने का फैसला कब लिया?
जवाबः
 जिस वक्त आपसे आपकी गरिमा छीनी जाती है तो उस वक्त आप क्या योजना बना सकते हैं। हमें कोई आइडिया नहीं था कि क्या हो रहा है? इसके पहले मैं कभी मीडिया के सामने नहीं गई थी। हमारे परिवार में सारे लोग पॉलिटिशियन हैं। हमें मीडिया से बात करने के खूब मौके मिले, लेकिन उस तरह के मुश्किल वक्त में लोगों से बात करना बहुत जरूरी होता है।

सवालः आप अपने बारे में बताएं, पढ़ाई में क्या किया है, पहले से ही पॉलिटिक्स में आना था या किसी घटना ने ट्रिगर किया?
जवाबः 
मैंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में बीए किया है। इंग्लैंड से एमए किया है। इंग्लैंड और दुबई में मैंने काम किया है। 2014 में मैं कश्मीर लौटी, फिर अपने नाना मुफ्ती मोहम्मद सईद साहब के साथ भी काम किया। मुफ्ती साहब बहुत सख्त मिजाज थे। वो कई बातों पर मुझे डांटते थे, मेरी मां और नाना में फर्क इतना है कि नाना काफी तेज थे और हर बात पर डांटते थे, लेकिन मां माफ कर देती हैं।

सवालः पिछले 4 साल से आप आर्टिकल-370 फिर लागू कराने की लड़ाई लड़ रही थीं। अब कश्मीर के लिए अगला प्लान क्या है?
जवाबः
 कश्मीर में किसी को भी ऐसा नहीं लग रहा था कि सुप्रीम कोर्ट ऐसा फैसला सुनाएगा। JNU के स्टूडेंट लीडर उमर खालिद 2 साल से जेल में हैं, उनकी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई ही नहीं हो पा रही है। ऐसे में ये तय ही था कि आर्टिकल-370 पर सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला सुनाएगा। आर्टिकल-370 सिर्फ कानूनी नहीं, ये जम्मू-कश्मीर के लोगों के हक की लड़ाई है।

सवालः अमित शाह कश्मीर आते हैं तो 2 परिवारों के परिवारवाद की पॉलिटिक्स पर टारगेट करते हैं। इस पर आपका क्या कहना है?
जवाबः 
लेकिन, ये भी तो देखिए कि वे सरकार भी PDP के साथ मिलकर बनाते हैं।

सवालः 2014 में BJP के साथ PDP ने सरकार बनाई थी, क्या आपको लगता है कि गलत लोगों से हाथ मिलाया था। BJP फिर सरकार बनाने का ऑफर देगी तो क्या करेंगी?
जवाबः 
अटल बिहारी वाजपेयी भी BJP में थे, लेकिन उस वक्त उन्होंने कश्मीर में ऐसी चीजें कि जो कांग्रेस के प्रधानमंत्री भी नहीं कर पाए। वो पाकिस्तान गए, आगरा समिट की, दोनों देशों के बीच उरी-मुजफ्फराबाद के रास्ते खुलवाए।

सवालः कश्मीर फाइल्स मूवी के बाद कश्मीरी पंडितों का पलायन बड़ा मुद्दा बना, पंडितों के पलायन के बारे में क्या सोचती हैं?
जवाबः 
सहानुभूति की सीमा नहीं होती और होनी भी नहीं चाहिए। जिसके साथ गलत हुआ है, हमें उसके हक में आवाज उठानी चाहिए। कश्मीरी पंडितों के प्रति हमारी सहानुभूति है, लेकिन अब समझना होगा कि उनका इस्तेमाल किया जा रहा है।

मैं मुसलमान होने से पहले इंसान हूं, BJP के पास पिछले 5 साल से बागडोर है, वो क्या कर रहे हैं। कश्मीरी पंडितों की टारगेट किलिंग हो रही है, उनकी कौन सुन रहा है।

सवालः आपके नाना होम मिनिस्टर थे, तब आपकी मौसी को किडनैप किया गया था, क्या बचपन की ऐसी बुरी यादों ने पॉलिटिक्स में आने से रोका नहीं?
जवाबः 
कश्मीर में मेरे बचपन की खास यादें नहीं हैं, तब हम दिल्ली में रहते थे। मैं महबूबा जी के साथ कश्मीर आती थी। रात में फायरिंग की ही आवाज सुनाई देती थी। कश्मीर में 1993-94 में मिलिटेंसी चरम पर थी। हिंदू, मुस्लिम, सिख हर परिवार ने दिक्कतें झेली हैं।

आर्टिकल-370 की वजह से ही कश्मीर के लोग भारत से जुड़ने के लिए तैयार हुए थे। तब और आज के भारत को देखेंगे तो पता चलेगा कि हमारे साथ धोखा हुआ है।

सवालः सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल ने कश्मीरी पंडितों के पलायन की जांच की बात कही थी, आपका इस पर क्या कहना है?
जवाबः
 ये सब मुझे लिप सर्विस लगता है। अगर जस्टिस कौल ट्रुथ एंड रिकॉन्सिलिएशन कमीशन यानी TRC चाहते हैं और गलत को हटाना चाहते हैं तो संसद के गैरकानूनी फैसले पर रोक लगानी चाहिए थी। यहां पंडित, मुसलमान, सिख यहां तक की आर्मी वाले भी सेफ नहीं हैं।

पुंछ में हमारे सिविलियंस के साथ जो हुआ, वो भी तो गलत है। सरकार नहीं चाहती कि कश्मीर की असली तस्वीर लोगों के सामने आए। सरकार की सिक्योरिटी को लेकर जो आंकड़े हैं, मैं उन पर कैसे यकीन करूं। सरकार ने मेरा पासपोर्ट ब्लॉक कर दिया है। कोर्ट में कहा कि मेरे पासपोर्ट पर कोई पाबंदी नहीं है।

सवालः कश्मीर रीजन में लोकसभा की तीनों सीटें नेशनल कॉन्फ्रेंस के पास है। उमर कह चुके हैं कि जितनी सीटें हैं, उतने पर लड़ेंगे। ऐसे में क्या PDP को कोई सीट नहीं मिलेगी?
सवालः 
ये महबूबा जी और पार्टी के दूसरे नेता तय करेंगे। मैं ये कह सकती हूं कि 2019 के बाद से महबूबा जी ने सच्चाई की आवाज उठाने की कीमत चुकाई है। दिल्ली से हमारी पार्टी को तोड़ने की कोशिश की गई। महबूबा लोगों के पास जाएंगी तो वे उनका समर्थन करेंगे। BJP का असली नाम ब्लैकमेल पार्टी है, उन्होंने हमारे लोगों को तोड़ने की हर कोशिश की है।

सवालः 5 साल में आपने कश्मीर में क्या बदलते देखा, आर्टिकल 370 हटाने के समय जो वादे किए थे, वो पूरे हुए क्या, पत्थरबाजी, अलगाववादियों पर रोक लगी क्या?
जवाबः
 न करप्शन में कोई कमी आई है न बाबूगीरी कम हुई, उल्टे ये दोनों चीजें बढ़ गई हैं। अधिकारी कभी नहीं चाहते कि कश्मीर में चुनाव हों। वे घूस खा रहे हैं, खिला रहे हैं और लोग कुछ नहीं बोल पा रहे हैं। यहां तानाशाही चल रही है।

हां, ये जरूर हुआ है कि सड़कों पर चहल-पहल बढ़ गई है। काम-काज होते हुए दिख रहा है। नाइट लाइफ शुरू हुई है, लेकिन सरकार ने 2019 के बाद से कई लोगों को जेल में डाला है। टूरिस्ट आते हैं तो सब कुछ ठीक लगता है।

या तो आप सच के साथ खड़े रहिए या फिर BJP जॉइन कर लीजिए, बीच का कोई रास्ता नहीं है। पिछले 4 साल में एलजी रूल में कुछ अच्छे काम हुए हैं, जैसे डोमेस्टिक एब्यूज की पीड़िताओं के लिए अच्छा काम हुआ है।

सवालः क्या आपको हम महबूबा मुफ्ती का उत्तराधिकारी मान सकते हैं? जवाबः महबूबा मुफ्ती खुद तय करेंगी कि उनका उत्तराधिकारी कौन होगा। जरूरी नहीं कि मैं ही उनकी जगह लूं, पार्टी का कोई भी नेता उनकी जगह ले सकता है। महबूबा जी जब राजनीति में आईं तो उन्हें कोई पश्मीना शॉल विरासत में नहीं मिली। उन्हें खुद मेहनत करनी पड़ी। वो राजनीति में आईं, जब उनके पिता की राजनीति खत्म मानी जा रही थी।

मेरी और महबूबा जी की बिल्कुल नहीं बनती है। हम कई मुद्दों पर बहुत लड़ते हैं। हमारे बीच कई चीजों पर खुलकर बात होती रहती है। घर में लड़ाई होती रहनी चाहिए, बाद में हंसी-खुशी उसका समाधान होना चाहिए, तभी डेमोक्रेसी का मजा है

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