महायुद्ध का मंडराने लगा खतरा, भारत सरकार की सलाह- ईरान और इजरायल न जाएं
इजराइल पर हमला कर सकता है। विदेश मंत्रालय ने एक परामर्श में ईरान और इजराइल में रहने वाले भारतीयों को सलाह दी है कि अपनी सुरक्षा के बारे में अत्यधिक सतर्कता बरतें और अपनी गतिविधियां कम से कम रखें।
भारत ने शुक्रवार को अपने नागरिकों से ईरान या इजरायल की यात्रा नहीं करने को कहा है। सीरिया में 11 दिन पहले ईरानी वाणिज्य दूतावास पर हमले के बाद दोनों देशों में बढ़ते तनाव के बीच ये चेतावनी आई है। ईरान ने इस हमले के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया है और ऐसी आशंका जताई गई है कि तेहरान जल्द ही इजरायल पर हमला कर सकता है। विदेश मंत्रालय ने एक परामर्श में ईरान और इजरायल में रहने वाले भारतीयों को सलाह दी है कि अपनी सुरक्षा के बारे में अत्यधिक सतर्कता बरतें और अपनी गतिविधियां कम से कम रखें।
उसने कहा, ‘‘क्षेत्र में मौजूदा स्थिति के मद्देनजर सभी भारतीयों को सलाह दी जाती है कि अगले नोटिस तक ईरान या इजरायल की यात्रा नहीं करें।’’ विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘वे सभी जो वर्तमान में ईरान या इजरायल में रह रहे हैं, उनसे अनुरोध है कि वे वहां भारतीय दूतावासों से संपर्क करें और अपना पंजीकरण कराएं।’’
ऐसी खबरें हैं कि ईरान अपनी एक इमारत पर घातक बमबारी के बाद जवाबी हमले की तैयारी कर रहा है, जिसके बारे में इजरायल का दावा है कि वह उसके हितों के खिलाफ खतरों से जुड़ी थी। इस पूरे घटनाक्रम से मध्य पूर्व में संघर्ष बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है। तेहरान द्वारा बदला लेने की चेतावनी के बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इजरायल को भरपूर समर्थन देने की बात कही है। एक अप्रैल, 2024 के इस हमले के लिए व्यापक रूप से इजरायल को जिम्मेदार माना जा रहा है।
अब इजरायल नहीं जा पाएंगे भारतीय कामगार?
इजरायल में लगभग 18,000 भारतीय नागरिक हैं, जिनमें से अधिकांश देखभालकर्ता और आईटी जैसे क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। ईरान में करीब 5 हजार भारतीय हैं। इनमें से ज्यादातर छोटे व्यापारी और शिक्षाविद शामिल हैं। मामले से परिचित लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि सरकार की सलाह का मतलब है कि अब कोई भी भारतीय कामगार निर्माण क्षेत्र में काम करने के लिए सरकार-से-सरकार (जी2जी) व्यवस्था के तहत इजरायल की यात्रा नहीं कर पाएगा। 64 भारतीय श्रमिकों का पहला बैच 2 अप्रैल को इजरायल के लिए रवाना हुआ था। अप्रैल और मई के दौरान कुछ 6,000 और लोगों को भेजे जाने की उम्मीद थी।
इजरायली सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि इजरायली प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्त मंत्रालय और निर्माण एवं आवास मंत्रालय ने संयुक्त रूप से निर्णय लिया है कि इन श्रमिकों को रियायती विशेष विमान से लाया जाएगा। बयान में कहा गया कि इस निर्णय के बाद भारत से कामगारों को ‘एयर शटल’ से लाया जाएगा। इजराइल का निर्माण उद्योग विशिष्ट क्षेत्रों में कामगारों की भर्ती करता है जहां इजराइली कामगारों की भारी कमी है। लगभग 80,000 श्रमिकों का सबसे बड़ा समूह फलस्तीन प्राधिकरण-नियंत्रित वेस्ट बैंक से आया और 17,000 श्रमिक गाजा पट्टी से यहां आ कर काम कर रहे थे लेकिन अक्टूबर में संघर्ष शुरू होने के बाद उनमें से अधिकतर का कार्य परमिट रद्द कर दिया गया।
इजरायल ने नहीं मानी अपनी गलती
दमिश्क में हमले को इजरायली सरकार ने अभी तक सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं किया है। हालांकि यह हमला इजरायल और ईरान के बीच लंबे समय से चल रहे छाया युद्ध में एक नाटकीय मोड़ था। दशकों से, ईरान और इजरायल दोनों भौतिक और आभासी दुनिया में एक-दूसरे के खिलाफ अभियानों में लगे हुए हैं।
इन हमलों में साइबर ऑपरेशन, प्रॉक्सी बलों को समर्थन, हवाई हमले और लक्षित हत्याएं शामिल हैं, जिनसे दोनों पक्षों को नुकसान हुआ है। हालांकि, दमिश्क हमला विशेष रूप से नाटकीय था, क्योंकि इसमें इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कोर के कुद्स फोर्स के दो जनरलों और पांच अन्य अधिकारियों की मौत हो गई कुद्स फोर्स ईरान की अपरंपरागत युद्ध शाखा है जिसने दशकों से तेहरान के प्रॉक्सी और क्षेत्रीय साझेदारों को धन, हथियार और उपकरण से समर्थन दिया है। इसके अलावा, यह एक राजनयिक एन्क्लेव पर हुआ, जिसके खिलाफ इज़राइल ने पहले दमिश्क में भी कोई कार्रवाई नहीं की थी।
इजरायल के दूतावास सुरक्षित नहीं: ईरान
ईरान के एक शीर्ष सैन्य सलाहकार ने हाल में दमिश्क में हुए हमले के बाद रविवार को इजरायल को चेतावनी दी कि उसके दूतावास सुरक्षित नहीं हैं। सीरिया की राजधानी दमिश्क में एक हवाई हमले में ईरान के दो जनरल की मौत हो गई थी। हमले के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। हमले में ईरान का वाणिज्य दूतावास नष्ट हो गया था।
हमास के खिलाफ इजरायल के युद्ध के छह महीने पूरे होने पर क्षेत्रीय तनाव से पश्चिम एशिया में संघर्ष की स्थिति बनने की आशंका है। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के सैन्य सलाहकार जनरल रहीम सफवी की टिप्पणी से ऐसा संकेत मिलता है कि राजनयिक मिशन पर हमले का इसी तरह से जवाब दिया जा सकता है। इजरायल ने हमले में अपनी संलिप्तता स्वीकार नहीं की है।
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