महावीर रांका के पैदल मार्च में समर्थकों की भीड़ से भाजपा में खलबली, क्या करना ही होगा पुनर्विचार?
पैदल मार्च में भाजपा का कोई निशान नहीं, ऐसे में पुनर्विचार की बजाय नये विचार का प्रचार, निर्णय जल्द आयेगा सामने
बीकानेर
बीकानेर पूर्व विधानसभा में लगातार चौथी बार सिद्धी कुमारी को टिकट देने से खफा टिकट के प्रबल दावेदार महावीर रांका के समर्थक बुधवार को सड़क पर उतर आये। बड़ी तादाद में जूनागढ़ के आगे एकत्रित हुए समर्थक पैदल मार्च के रूप में कोटगेट की ओर बढ़े। रांका समर्थकों की यह भीड़ अपेक्षा से ज्यादा होना भाजपा और खासतौर पर बीकानेर पूर्व से भाजपा के टिकट पर चौथी बार चुनाव लड़ रही सिद्धी कुमारी के लिए चिंता का विषय बन गया है।
रैली में कहीं भाजपा का झंडा या कमल निशान नहीं :
कहने को यह भाजपा के टिकट पर पुनर्विचार की रैली थी लेकिन इसमें भाजपा का कहीं नामोनिशान नहीं था। मतलब यह कि कहीं पार्टी का झंडा, कमल का निशान या भाजपा का दुरंगी दुपट्टा तक किसी के गले में नहीं दिखा। मतलब साफ है कि टिकट से कम कुछ भी स्वीकार नहीं और पार्टी से अब कोई उम्मीद भी नहीं बची है।
तीन दिन इंतजार किया, बात नहीं बनी :
भाजपा का नामोनिशन रैली में नहीं होने का एक आशय यह भी है कि महावीर रांका को अब पार्टी से कोई उम्मीद नहीं बची है। उन्होंने पैदल मार्च निकालने की घोषणा तीन दिन पहले कर दी थी। इस दौरान पार्टी के नेताओं ने बातचीत भी की, संपर्क भी साधा लेकिन बात नहीं बनी। एकबारगी यह बात जोर-शोर से फैली कि उन्होंने पदमार्च का निर्णय स्थगित कर दिया है। इसका खंडन करने के लिए उन्हें सोशल मीडिया पर लाइव आकर कहना पड़ा कि ऐसी बातें करने वाले जान-बूझकर अफवाह फैला रहे हैं। हमारा पैदल मार्च यथावत रहेगा।
दूसरा विचार तय, उसका प्रचार शुरू:
रांका को नजदीक से जानने वालों का मामना है कि उनके हर निर्णय पूर्व निर्धारित और अपनी एक खास मंत्रणा-मंडली से विचार, विमर्श के बाद होते हैं। आगे की रणनीति पहले तय होती है। भाजपा का टिकट घोषित होने से पहले उनकी आगे की रणनीति तय थी। कई पार्टियों ने उनसे संपर्क साधा है, कुछ नेताओं से उनके समर्थक मिले हैं। ऐसे में पैदल मार्च में भाजपा का कोई निशान नहीं होने का साफ आशय यह है कि टिकट पर पुनर्विचार की बजाय नये विचार की प्रचार रैली है। यह निर्णय भी जल्द सामने आएगा।
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