यह मरीजों का अपमान है:कैंसर हॉस्पिटल में वाटर कूलर पर ताला, मेडिसिन विंग से एसी हटाए
ताले में बंद वाटर कूलर। इसे रात में खोला जाता है।
संभाग के सबसे बड़े पीबीएम हॉस्पिटल में मरीजों और उनके तीमारदारों को पीने के पानी के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है। कैंसर हॉस्पिटल की एक वाॅटर कूलिंग मशीन को दिनभर इसलिए ताले में रखा जाता है, क्योंकि यहां मरीजों के परिजन बर्तन धोते हैं। हॉस्पिटल प्रशासन रात 10 बजे बाद उसका ताला खोलता है। इस बीच मरीजों को पानी के लिए हॉस्पिटल के बाहर प्याऊ का सहारा लेना पड़ता है।
ये बदइंतजामी केवल कैंसर हॉस्पिटल में ही नहीं है, मर्दाना और जनाना हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों और उनके परिजनों भी पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं। आपातकालीन के पास और उसके सामने बनी प्याऊ लंबे समय से बंद है। हॉस्पिटल प्रशासन की अनदेखी और मरीजों को होने वाली परेशानी को देखते हुए यहां भामाशाहों ने पानी के कैंपर रखे हैं। हॉस्पिटल के डॉक्टर और मरीज भी पानी के लिए सेवादारों की मदद ले रहे हैं।
महिला वार्ड में वाटर कूलर लगाया, ताला लगाना मजबूरी-निदेशक
कैंसर हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. एचएस कुमार ने बताया कि वाटर कूलिंग मशीन के ताला लगाना हमारी मजबूरी है। दिन में मरीजों के तीमारदार बर्तन साफ कर गंदगी फैलाते हैं। रात को इसका ताला खोल दिया जाता है। महिला वार्ड में एक वाटर कूलिंग मशीन लगाई है, जहां पुरुष मरीज और उनके तीमारदार जा सकते हैं। हॉस्पिटल के बाहर भी प्याऊ बनी है।
मेडिसिन विंग में 10 एसी खराब, ठीक करने की बजाय हटा दिए
आपातकालीन वार्ड के पास बने 20 बेड के मेडिसिन विंग में खराब पड़े 10 एसी को ठीक करवाने की बजाय उन्हें हटा दिया गया है। अब यहां मरीजों के लिए महज तीन कूलर ही है। मेडिसिन विंग के साथ-साथ मर्दाना हॉस्पिटल की ओटी के बाहर लगे पंखे भी लंबे समय से बंद हैं।
यहां तीमारदारों को घंटों पसीने और उमस का सामना करना पड़ता है। मर्दाना हॉस्पिटल के कई वार्डों में भी कूलर-पंखों की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। लोग अपने घरों से कूलर-पंखे ला रहे हैं। हॉस्पिटल प्रशासन की अनदेखी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हॉस्पिटल के बाहर कूलर-पंखों को किराए पर देने वालों का बिजनेस फलने-फूलने लगा है।
हार्ट हॉस्पिटल में भी चरमराई व्यवस्था
पीबीएम की हार्ट हॉस्पिटल के सेंट्रल एसी 15 दिन से खराब होने के कारण वहां की व्यवस्थाएं भी चरमरा गई है। शनिवार को खबर प्रकाशित कर हेल्थ डिपार्टमेंट का ध्यान आकृष्ट किया था। मरीजों को घर से कूलर लाकर लगाना पड़ रहा है। कैंसर और हार्ट हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों के लिए गर्मी और उमस किसी खतरे से कम नहीं है। कैंसर स्पेशलिस्ट कीमोथेरेपी या रेडिएशन इलाज लेने वाले मरीजों को धूप और उमस से बचने की सलाह देते हैं। मरीजों के ऐसा नहीं करने पर रेडिएशन थेरेपी से त्वचा में सूखापन, खुजली, लालिमा, छाले सहित वे डिहाइड्रेशन के शिकार हो सकते हैं।
धूप में रहने से ये प्रभाव और भी खराब हो सकते हैं और परेशानी बढ़ सकती है। कुछ कीमोथेरेपी दवाएं फोटोसेंसिटिविटी पैदा कर सकती हैं, जिससे त्वचा सूरज की रोशनी के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती है और सनबर्न और त्वचा को नुकसान पहुंचाने का जोखिम बढ़ जाता है। यही हिदायत हार्ट पेशेंट्स को दी जाती है।
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