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राजस्थान के रमजान के बनाए सिंहासन पर विराजित हुए रामलला:25 साल पहले हुई निर्माण को लेकर बात, तब से सीक्रेट रखा मंदिर का हर डिजाइन

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राजस्थान के रमजान के बनाए सिंहासन पर विराजित हुए रामलला:25 साल पहले हुई निर्माण को लेकर बात, तब से सीक्रेट रखा मंदिर का हर डिजाइन

9 नवंबर 2019 को अयोध्या राम मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आया।

उसके कुछ समय बाद एक दिन राजस्थान के मकराना शहर के 59 साल के मोहम्मद रमजान के पास उनके पुराने लैंडलाइन फोन पर कॉल आया।

रिंग सुनकर रमजान चौंके, क्योंकि मोबाइल के दौर में काफी दिनों से ये लैंडलाइन फोन खामोश था। खैर, रमजान ने फोन उठाया तो सामने से आवाज आई- ‘मैं चंपत राय बोल रहा हूं। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर मीटिंग है। आपको आना है।’

रमजान अयोध्या गए। मीटिंग में चंपत राय ने वही बात दोहराई, जो उन्होंने 25 साल पहले कही थी-‘राम मंदिर का काम रमजान ही करेगा।’

इसके बाद से रमजान और उनकी टीम अपने काम में जुट गए।

22 जनवरी को होने वाले रामलला प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पहले रामलला की मूर्ति गर्भगृह में बने जिस सिंहासन पर विराजित की गई है, वो मोहम्मद रमजान ने ही तैयार किया है। मंदिर के गर्भगृह की दीवारों, छतों, दरवाजों, फर्श और सीढ़ियों को अपनी कला से भव्य बनाया है।

3 दिन पहले उन्हें और उनके चीफ आर्किटेक्ट गनी मोहम्मद को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने के लिए निमंत्रण मिला है। गुरुवार को वे अयोध्या के लिए रवाना हुए।

मकराना में राम मंदिर ट्रस्ट के चंपत राय और मंदिर निर्माण से जुड़ी कमेटी के सदस्यों के साथ मोहम्मद रमजान।

मकराना में राम मंदिर ट्रस्ट के चंपत राय और मंदिर निर्माण से जुड़ी कमेटी के सदस्यों के साथ मोहम्मद रमजान।

25 साल पहले दी जिम्मेदारी

करीब 25 साल पहले मेरे पिता सेठ बाहुद्दीन के पास विश्व हिन्दू परिषद से जुड़े लोग आए थे। अशोक सिंघल व चंपत राय समेत ट्रस्ट मंडल के लोग भी साथ में थे।

उन्होंने यहां मकराना शहर में कई जगह पर जाकर राम मंदिर में लगने वाले मार्बल और इसकी कारीगरी को लेकर सर्वे किया। उन सभी को हमारी कारीगरी पसंद आई।

इसके बाद उन्होंने हमें कुछ नहीं बताया और वापस अयोध्या चले गए। अयोध्या जाकर सर्व सहमति से ये तय किया कि रमजान ही रामलला का काज करेगा।

हिदायत दी गई- डिजाइन या नक्शा लीक न हो

एक बार काम मिला तो उसी के साथ ही ये जिम्मेदारी भी दे दी गई कि इस पूरे काम में हमें गोपनीय रखना है। हमने सुनिश्चित किया कि रामलला के मंदिर निर्माण से जुड़ी कोई भी डिजाइन या नक्शा लीक और चोरी न हो पाए।

ऐसे में हमने इस काम से जुड़ी कोई भी बात अपने घर-परिवार के करीबी लोगों को भी नहीं बताई। यहां तक कि इस काम में लगे कारीगरों को भी इस प्रकार काम बांटे गए कि कहीं से भी कुछ लीक न हो पाए।

अब जब रामलला इस भव्य मंदिर के गर्भगृह में विराजित होने के लिए पहुंचे हैं तो हम ट्रस्ट मंडल की अनुमति के बाद ही आपसे इस सिंहासन, गर्भगृह की भव्यता और मंदिर की कारीगरी को लेकर बात कर पा रहे हैं।

किसी भी दूसरे मार्बल से ज्यादा अच्छी क्वालिटी

राम मंदिर के गर्भ गृह के सभी सिंहासन, दरवाजों, खंभों, सीढ़ियों और इंटीरियर से जुड़ा पूरा निर्माण कार्य हमने ही किया है। ग्राउंड, फर्स्ट और सेकेंड फ्लोर पर भी हमने काम किया है।

राम मंदिर में लगे मकराना के संगमरमर की दुनिया के किसी भी दूसरे मार्बल से तुलना ही नहीं की जा सकती। ये सबसे सुन्दर तो है ही, साथ ही इसमें जीरो प्रतिशत आयरन और 95 प्रतिशत कैल्शियम है। ऐसे में ये पुराना नहीं होगा, बल्कि गुजरते समय के साथ और खूबसूरत होता जाएगा।

अयोध्या राम मंदिर के गर्भगृह में मकराना के संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है।

अयोध्या राम मंदिर के गर्भगृह में मकराना के संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है।

ऐसी क्वालिटी का संगमरमर भी इतनी बड़ी क्वांटिटी में मिलना आसान नहीं था। पिछले डेढ़ साल से मकराना में हमारे कारखाने में कारीगर दिन-रात इसी काम में लगे हुए थे।

ट्रस्ट मंडल के दो सदस्य, एल एन्ड टी और टाटा कंपनी के दो सदस्यों को मिलाकर बनी इंस्पेक्शन कमेटी की देखरेख में सारा काम होता था। ये इंस्पेक्शन कमेटी अप्रूव करती, उसके बाद ही यहां से तैयार हुआ माल अयोध्या के लिए लोड होता था।

वे ही ये तय करते थे कि हमारे द्वारा तराशा हुआ कौन सा पत्थर मंदिर में लगेगा। रिजेक्टेड माल मेरे पास यहीं पड़ा है।

पिछले डेढ़ साल में हमारी 650 लोगों की हमारी टीम काम कर रही थी। माल पहुंचने के बाद आगे का काम भी अयोध्या में हमारी टीम ने ही किया।

आखिरी अब हमारी मेहनत साकार हुई है। मुझे भी मेरे चीफ आर्किटेक्ट गनी भाई के साथ उस गौरवशाली पल का हिस्सा बनने के लिए अयोध्या पहुंचने का निमंत्रण मिला है। हम 21 जनवरी को सुबह तक अयोध्या पहुंच जाएंगे। वहां थ्री स्टार होटल में हमारे रुकने का इंतजाम किया गया है।

दादा ने सोमनाथ मंदिर के निर्माण में की मजदूरी

मंदिरों से हमारे परिवार का गहरा जुड़ाव है। पांच पीढ़ियों से हम मंदिर ही बना रहे है और आने वाली सभी पीढ़ियां भी मंदिर ही बनाएगी। जब सोमनाथ का मंदिर बना था तब मेरे दादा ने वहां मजदूरी की थी।

इसके बाद जो ये सिलसिला शुरू हुआ वो टाटा, अडानी, अम्बानी, बच्चन परिवार और देश की हर आम और खास शख्सियत के साथ बढ़ता चला गया।

इनमें से बहुत से लोगों के घरों में आज भी हम मंदिर का काम कर रहे हैं। भगवान की मेहरबानी है कि मंदिर बनाने के लिए उन्होंने हमें चुना है।

चंपत राय ने दिया आशीर्वाद

मंदिर का डिजाइन तैयार करने वाले सोमपुरा परिवार से भी हमारा पीढ़ियों का जुड़ाव है। चंपत राय ने भी हमें आशीर्वाद दिया और कहा कि रमजान तुमने साबित कर दिया कि हमें राम काज के लिए तुम्हें चुनकर कोई गलती नहीं की थी।

पिछले डेढ़ साल से हर महीने में दो बार अयोध्या जाना हो रहा है। इतने कम समय में अयोध्या का जो परिवर्तन हुआ है वो अद्भुत है। अयोध्या को इतना सुन्दर कर दिया गया है कि क्या कहें आपको।

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की साइट पर मोहम्मद रमजान के चीफ आर्किटेक्ट गनी अपनी टीम के साथ।

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की साइट पर मोहम्मद रमजान के चीफ आर्किटेक्ट गनी अपनी टीम के साथ।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बढ़ी काम की रफ्तार

मोहम्मद रमजान के चीफ आर्किटेक्ट गनी भाई ने बताया कि अभी करीब 3 साल और काम चलेगा। ये काम हमें 25 साल पहले मिल गया था।

तब हमें काम भी शुरू कर दिया था, लेकिन समय के साथ ही ये धीरे हो गया था। उस समय ये पुरानी डिजाइन के आधार पर बनाया जा रहा था।

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट आया। एक दिन अचानक रमजान भाई के पुराने लैंडलाइन नंबर की घंटी बजी। सामने से आवाज आई कि मैं चंपत राय बोल रहा हूं। रमजान भाई, अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण कार्य को लेकर मीटिंग है और आपको इसमें आना है।

रमजान भाई वहां पहुंचे और मीटिंग में शामिल हुए। PMO से नृपेंद्र मिश्रा भी मीटिंग में थे। उनके सामने चंपत राय जी ने कहा कि, रमजान को अशोक सिंघल ने और मैंने चुना था, अब मार्बल से जुड़ा राम काज यहीं पूरा करेगा।

करीब डेढ़ साल से रमजान और उनकी टीम दिन-रात मंदिर को भव्य बनाने में जुटी है।

करीब डेढ़ साल से रमजान और उनकी टीम दिन-रात मंदिर को भव्य बनाने में जुटी है।

मंदिर का डिजाइन बदलने से बढ़ी चुनौती

चीफ आर्किटेक्ट गनी ने बताया कि ट्रस्ट ने मंदिर की पूरी डिजाइन को बदल दिया था और मंदिर की हाइट भी बढ़ा दी थी। ऐसे में उस दिन तक तैयार किया गया माल फिलहाल मंदिर में काम नहीं लिया गया है। पूरे माल को नई डिजाइन के हिसाब से ही तैयार किया गया। हम समझते हैं कि जो माल पहले तैयार हुआ था, वो भी आगे मंदिर में परिक्रमा में काम आ जाएगा।

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