राजस्थान में ओल्ड पेंशन स्कीम का क्या होगा?:3 आदेशों से हंगामा, मंत्री ने अफसरों को फटकारा; 12 लाख कर्मचारियों की बढ़ी टेंशन
ओल्ड पेंशन स्कीम और न्यू पेंशन स्कीम को लेकर एक बार फिर राजस्थान की राजनीति में हलचल मच गई है।
कांग्रेस का आरोप है कि राज्य की भाजपा सरकार लोकसभा चुनाव के बाद गहलोत सरकार के ओल्ड पेंशन स्कीम के फैसले को पलट देगी। भजनलाल सरकार अधिकारियों-कर्मचारियों को वापस न्यू पेंशन स्कीम के दायरे में लाना चाह रही है।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने यह मुद्दा उठाया और भाजपा पर जमकर आरोप जड़े। राज्य सरकार की ओर से इस मुद्दे पर रुख स्पष्ट करने को भी कहा। हालांकि, अब तक राज्य सरकार की ओर से सदन में कोई ऑफिशियल जवाब नहीं आया है।
इधर, कृषि विभाग के 3 नियुक्ति आदेशों से शुरू हुए इस विवाद से कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा एक्शन मोड में आ गए। लापरवाही के कारण आला अधिकारियों पर नाराजगी जताई और जांच के आदेश दे दिए।
आखिर भजनलाल सरकार के किस विभागीय आदेश के कारण OPS-NPS का मुद्दा छाया? क्या कोई चूक हुई, जिससे ये कन्फ्यूजन पैदा हुआ? भजनलाल सरकार क्या गहलोत सरकार के OPS के फैसले को पलट सकती है?
स्पेशल रिपोर्ट में पढ़िए इन सभी सवालों के जवाब…
सबसे पहले टीकाराम जूली का विधानसभा में ये बयान…
‘इस सरकार में प्रदेश के लाखों कर्मचारियों के हितों पर कुठाराघात करने के लिए दिल्ली से पर्ची आ चुकी है। सरकार केवल लोकसभा चुनाव का इंतजार कर रही है। सरकार OPS पर अपना रूख स्पष्ट करें। कर्मचारी भी चाहते है कि सरकार OPS पर अपनी मंशा बताए।’
अब वो आदेश जिसका जूली ने हवाला दिया…
RPSC ने सहायक कृषि अनुसंधान अधिकारी के तीन तरह के पदों (रसायनिक, वनस्पति और पौध व्याधि) पर नियुक्ति निकाली थी। परीक्षा संबंधी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद कृषि विभाग को नियुक्ति पत्र जारी करना था। गत 22 जनवरी को कृषि विभाग ने चयनित सहायक कृषि अनुसंधान अधिकारियों के नियुक्ति के 3 आदेश जारी किए।
कृषि विभाग के इन ऑर्डरों में चयनित सहायक कृषि अनुसंधान अधिकारियों (रसायनिक, वनस्पति और पौध व्याधि) की नियुक्ति आदेशों में शर्त नंबर 2 में OPS के बजाय NPS का जिक्र था।
ऑर्डरों में नियुक्ति शर्त नंबर 2 के तहत लिखा था…
‘नवनियुक्त अधिकारियों के लिए अंशदायी पेंशन योजना वित्त विभाग के परिपत्र दिनांक 20.01.2004 एवं 13.03.2006 के अनुसार लागू होगी।’
मतलब यह कि प्रदेश में 2004 से OPS बंद कर NPS लागू की गई थी। लेकिन आदेश की शर्त नंबर 2 कह रही थी कि इन अधिकारियों को OPS के बजाए मार्केट बेस अंशदायी पेंशन योजना यानी NPS का लाभ ही दिया जाएगा।
इन आदेशों के बाद से ही यह मुद्दा सियासी गलियारों में भी उठने लगा और विधानसभा तक पहुंच गया। आमजन में भी इस मुद्दे की चर्चा रही।
आदेश में लिखी गई इस लाइन के बाद सारा विवाद शुरू हुआ। इसे लेकर विधानसभा में भी विपक्ष ने हंगामा किया।
कृषि मंत्री तक पहुंची बात, करना पड़ा संशोधन
कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा तक जब आदेश संबंधी चर्चा पहुंची कि सहायक कृषि अनुसंधान अधिकारियों के नियुक्ति आदेश में दी गई सेवा शर्तों में NPS का जिक्र है, तो उन्होंने आला अधिकारियों से जवाब-तलब किया। मंत्री ने अधिकारियों से तुरंत कन्फ्यूजन दूर करने को कहा।
सूत्रों के अनुसार मंत्री ने कृषि विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी वैभव गालरिया को इस मामले में कृषि आयुक्त कन्हैया लाल स्वामी की लापरवाही मानते हुए नोटिस देने तक के निर्देश दे दिए।
इसके बाद कृषि विभाग के अधिकारी सक्रिय हुए और विभाग में हंगामा मच गया। अधिकारियों को अपनी गलती का अहसास हो गया था। अधिकारियों ने आदेशों में दिए गए सेवा शर्त नंबर 2 के लिए संशोधन की प्रक्रिया शुरू कर दी।
हंगामा बढ़ने के बाद कृषि विभाग की ओर से ये संशोधित आदेश जारी किया गया।
कृषि विभाग ने 23 जनवरी को स्थिति स्पष्ट की और संशोधन आदेश में लिखा…
’22 जनवरी को सहायक कृषि अनुसंधान अधिकारी (रसायनिक), सहायक कृषि अनुसंधान अधिकारी (वनस्पति) और सहायक कृषि अनुसंधान अधिकारी (पौध व्याधि) के पदों पर नियुक्ति आदेश जारी किए थे। इन आदेशों में नियुक्तियों की शर्तों के तहत अंकित बिन्दु संख्या 2 को विलोपित किया जाता है।’
मतलब साफ है कि कृषि विभाग ने संशोधन आदेश में तीनों पदों पर निकाली गए नियुक्ति आदेश से शर्त नंबर 2 को हटा दिया गया है। इससे कन्फ्यूजन दूर हो गया कि NPS के बजाय इन पदों पर नियुक्त होने वाले अधिकारियों को OPS का ही लाभ मिलेगा।
एक दिन पूर्व आए संधोधित आदेश के बावजूद बुधवार को विधानसभा में इस मुद्दे पर हंगामा हुआ और विपक्ष ने शक जताया कि नई सरकार लोकसभा चुनाव के बाद OPS को बंद कर NPS लागू करने की मंशा रखती है।
: नई सरकार ने यदि OPS का लाभ रोका, तो क्या प्रक्रिया अपनानी होगी?
एक्सपर्ट : नई सरकार अपने स्तर पर ही सर्विस रूल्स में बदलाव कर सकती है। सरकार के पास इसका पूरा पावर है। प्रक्रिया के तहत सरकार को सर्विस रूल्स में संशोधन कर विधानसभा में बताना होता है। इस पर किसी तरह की बहस नहीं होती। ये केवल एक प्रक्रिया है बस, इस पर सदन में कोई बहस नहीं होती। केवल विधानसभा को नॉलेज में रखने के लिए सरकार को ऐसा करना पड़ता है।
: यदि पिछली सरकार OPS के लिए कानून बना देती तो क्या होता?
एक्सपर्ट : हां, तब जरूर OPS को रोककर NPS को फिर लागू करने के लिए सरकार की प्रक्रियागत परेशानी बढ़ जाती। सरकार को सदन में सर्विस रूल्स में बदलाव को लेकर संशोधन प्रस्ताव सदन में रखना पड़ता और सत्ता पक्ष व विपक्ष के बीच बहस होती। इसके बाद सरकार को बिल पास कराना होता और पास करवाकर बिल राज्यपाल के पास स्वीकृति के लिए भेजना होता। इस पूरी प्रक्रिया के बाद ही सर्विस रूल्स में बदलाव होता।
: इससे कितने कर्मचारी प्रभावित होते हैं?
एक्सपर्ट : पेंशन से रिटायर कार्मिक ही नहीं, बल्कि वर्तमान में कार्यरत करीब 7 लाख कार्मिक भी प्रभावित होते हैं। दोनों तरह के कार्मिकों की संख्या 12 लाख से अधिक हो जाती है। ऐसे में यह बहुत बड़ा वर्ग हो जाता है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार एक बड़े वर्ग के विरोध के कारण NPS वापस लागू करने का डिसीजन लेना और इसे लागू करना काफी कठिन हो सकता है।
(एक्सपट्र्स ने वर्तमान में सेवा में होने के कारण नाम न छापने का आग्रह किया। ऐसे में उनकी पहचान गुप्त रखी जा रही है।)
सरकार के खजाने पर बढ़ेगा कई गुना बोझ : RBI
RBI ने अक्टूबर 2022 में अपनी मासिक रिपोर्ट इकोरैप में कहा था कि यदि राज्य OPS लागू करते हैं तो संबंधित राज्य के सरकारी खजाने पर बोझ 4 गुना तक बढ़ जाएगा। यदि राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड की बात करें, तो OPS लागू करने पर इन तीन राज्यों के खजाने पर 3 लाख करोड़ रुपए से अधिक का भार आएगा। यदि सभी राज्यों में OPS फिर लागू हो जाए, तो यह बोझ 31.04 लाख करोड़ रुपए का हो जाएगा।
योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक अहलूवालिया ने पुरानी पेंशन स्कीम को लेकर कहा था कि कुछ राज्य सरकारों द्वारा पुरानी पेंशन योजना को फिर से शुरू करना वित्तीय दिवालियापन की रेसिपी है।
लापरवाही जानबूझकर हुई तो नोटिस देंगे : कृषि मंत्री
कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने बताया कि मुझे जब कृषि विभाग के इन आदेशों के बारे में पता चला, तो मैने प्रिंसिपल सेक्रेटरी वैभव गालरिया को बुलाया और उनके इस आदेश के बारे में पूछा। इसके बाद मैने संशोधन आदेश निकलवाया। मैने आदेश दिए कि कृषि आयुक्त कन्हैया लाल स्वामी से पूछें कि आखिर ये लापरवाही कैसे हुई? लापरवाही अनजाने में हुई या जानबूझकर, इसकी जांच करवाकर उचित कार्रवाई करेंगे। लापरवाही जानबूझकर हुई है, तो नोटिस देंगे।
कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा तक जब आदेश संबंधी चर्चा पहुंची तो उन्होंने अधिकारियों से तुरंत कन्फ्यूजन दूर करने को कहा।
सरकार की मंशा जाहिर हो गई : लोढ़ा
पूर्व सीएम सलाहकार संयम लोढ़ा का कहना है कि राजस्थान में भाजपा की सरकार बनने के साथ ही राज्य कार्मिकों को आशंका है कि यह सरकार OPS बंद करेगी। कृषि विभाग की नियुक्ति में राज्य सरकार की मंशा जाहिर हो गई है। राज्य में आक्रोश के कारण आदेश में NPS के बिन्दु को बदल दिया।भाजपा की सरकार पेंशन स्कीम में बदलाव की मंशा नहीं है तो वित्त मंत्री को आगे आकर OPS लागू रहने देने और विधानसभा में OPS को लेकर कानून लेकर आने की बात कहनी चाहिए।
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