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राजस्थान में 6 नए जिले बना सकती है सरकार:24 जिलों से 60 क्षेत्र दावेदार; रामलुभाया कमेटी की रिपोर्ट पर होगा फैसला

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राजस्थान में 6 नए जिले बना सकती है सरकार:24 जिलों से 60 क्षेत्र दावेदार; रामलुभाया कमेटी की रिपोर्ट पर होगा फैसला

चुनावी साल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजस्थान में पांच से छह नए जिले बनाने की घोषणा कर सकते हैं। नए जिलों के गठन पर सिफारिश के लिए रिटायर्ड आईएएस रामलुभाया की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी की रिपोर्ट आने में दो महीने की देरी के आसार हैं। दिसंबर तक कमेटी अपनी रिपोर्ट सरकार को दे सकती है, जिसमें प्रदेश के 60 अलग-अलग जगहों को जिला बनाने की मांग पर कमेटी अपना मत देगी।

रामलुभाया कमेटी को विधायकों, नेताओं के अलावा सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम लोगों ने भी जिला बनाने के लिए अलग-अलग ज्ञापन दिए हैं। नए जिलों के लिए आई डिमांड के बाद कमेटी अब रिपोर्ट तैयार करने के काम में जुटी है। हर जगह का डिटेल से ब्यौरा तैयार किया जा रहा है। कौन सा क्षेत्र या कस्बा जिला बनने के मापदंड पूरे करता है, कौन सा नहीं, कौन से फैक्ट पक्ष या विपक्ष में हैं, इसका उल्लेख रिपोर्ट में होगा।

पांच से छह नए जिले संभव
सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री अगले बजट से पहले ही रामलुभाया कमेटी की रिपोर्ट और सिफारिशों पर फाइनल मुहर लगा सकते हैं। रामलुभाया कमेटी जिस तेजी से रिपोर्ट पर काम कर रही है, उससे लग रहा है कि सरकार पांच से छह नए जिले बना सकती है। कोटपूतली, बालोतरा, फलोदी, डीडवाना, ब्यावर, भिवाड़ी नए जिले बनाने की रेस में आगे हैं, हालांकि इस पर सरकार के स्तर पर ही फैसला होगा।

रामलुभाया कमेटी का मार्च तक कार्यकाल बढ़ाया
इस साल के बजट में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नए जिलों के गठन के लिए हाईपावर कमेटी बनाने की घोषणा की थी, इसके बाद 17 मार्च को रामलुभाया की अध्यक्षता में कमेटी बनाई थी। छह महीने में रिपोर्ट देनी थी, लेकिन सितंबर में कमेटी का कार्यकाल पूरा हो गया। बाद में इसे मार्च 2023 तक के लिए बढ़ा दिया गया। अब कमेटी दो महीने में रिपोर्ट देने की तैयारी कर रही है। पहले कमेटी को सितंबर तक रिपोर्ट देनी थी। कार्यकाल बढ़ाने से अब यह रिपोर्ट इस साल के आखिर तक आने की संभावना है।

पिछले 14 साल से कोई नया जिला नहीं बना
प्रदेश के पिछले 14 साल से कोई नया जिला नहीं बना है। वसुंधरा राजे की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार ने 26 जनवरी 2008 में प्रतापगढ़ को जिला बनाया था। इसके बाद तीन सरकारें आईं और हर सरकार ने नए जिलों के लिए कमेटी बनाई, लेकिन जिले नहीं बने।

बीजेपी राज में नए जिलों के लिए 2014 में रिटायर्ड IAS परमेश चंद की अध्यक्षता में कमेटी बनाई थी। कमेटी ने 2018 में सरकार को रिपोर्ट दे दी थी लेकिन कोई नया जिला बनाने की घोषणा नहीं हुई। गहलोत सरकार ने परमेश चंद कमेटी की रिपोर्ट मानने से इनकार कर दिया और नए सिरे से रिपोर्ट तैयार करने के लिए रामलुभाया कमेटी बनाई।

नए जिलों के लिए बढ़ रहा विधायकों का दबाव
प्रदेश में नए जिले बनाने के लिए कांग्रेस और समर्थक विधायक लगातार सरकार पर दबाव बना रहे हैं। कांग्रेस विधायक मदन प्रजापत बालोतरा को जिला बनाने की मांग को लेकर मार्च से ही जूते नहीं पहन रहे हैं। मदन प्रजापत ने बालोतरा को जिला नहीं बनाने तक नंगे पैर रहने की घोषणा कर रखी है।

सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायक भी दबाव बना रहे हैं। निर्दलीय विधायक बाबूलाल नागर दूदू, आलोक बेनीवाल ने शाहपुरा को जिला बनाने की मांग पर दबाव बना रखा है। महादेव सिंह खंडेला ने खंडेला, मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा उदयपुरवाटी को जिला बनाने की मांग कर रहे हैं।

जिला बनाने की मांग पर विवाद, मंत्री- विधायक हुए आमने-सामने
नीमकाथाना को जिला बनाने की मांग पर कांग्रेस के मंत्री विधायक के बीच ही विवाद हो चुका है। ग्रामीण विकास राज्य मंत्री राजेंद्र गुढ़ा नीमकाथाना को जिला बनाने के लिए उदयपुरवाटी के क्षेत्र को शामिल करने का विरोध कर रहे हैं।

कांग्रेस विधायक सुरेश मोदी नीमकाथाना को जिला बनाने की पैरवी कर रहे हैं। गुढ़ा के विरोध को दरकिनार करते हुए सुरेश मोदी अब भी मांग पर अडिग हैं। इस तरह का टकराव और जगहों से भी सामने आ सकता है।

नए जिले बनने से नाराजगी का भी खतरा
विधायकों को राजी करने और क्षेत्रीय सियासी समीकरणों को साधने के लिए नए जिलों का गठन करने की घोषणा होगी, लेकिन इसमें कई जगह समीकरण बिगड़ने का भी डर है। मौजूदा 33 जिलों में से 24 जिलों की 60 जगहों से नए जिले बनाने की मांग है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक नए जिलों से जितने राजी होंगे, उसकी तुलना में नाराज होने वालों की संख्या भी ज्यादा होने के आसार हैं।

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