पीसीपीएनडीटी मामलों की विशेष अदालत महानगर प्रथम ने राजस्थान विश्वविद्यालय की परीक्षाओं के पेपर लीक मामले में गिरफ्तार किए गए दो एसोसिएट प्रोफेसर राजीव शर्मा और महेश चन्द्र गुप्ता सहित परीक्षा नियंत्रक के पीए सुरेन्द्र मोहन शर्मा, गोपनीय शाखा के अनुभाग अधिकारी नंदलाल सैनी और डिप्टी रजिस्ट्रार महेश चन्द्र गुप्ता को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है.
Jaipur: पीसीपीएनडीटी मामलों की विशेष अदालत महानगर प्रथम ने राजस्थान विश्वविद्यालय की परीक्षाओं के पेपर लीक मामले में गिरफ्तार किए गए दो एसोसिएट प्रोफेसर राजीव शर्मा और महेश चन्द्र गुप्ता सहित परीक्षा नियंत्रक के पीए सुरेन्द्र मोहन शर्मा, गोपनीय शाखा के अनुभाग अधिकारी नंदलाल सैनी और डिप्टी रजिस्ट्रार महेश चन्द्र गुप्ता को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है.

अदालत ने आरोपी बनाए गए विवि कर्मियों को राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा अनुचित साधनों की रोकथाम अधिनियम में दोषमुक्त करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि इन्होंने पेपर लीक किया हो. अदालत ने कहा कि इन्हें आपराधिक षडयंत्र और धोखाधडी के आरोप से पूर्व में डिस्चार्ज किया जा चुका है. वहीं, इनके खिलाफ न तो विवि और ना ही किसी परीक्षार्थी ने मामला दर्ज कराया. इसके अलावा किसी स्वतंत्र गवाह ने भी अभियोजन पक्ष की कहानी का समर्थन नहीं किया है.
बचाव पक्ष के अधिवक्ता विपुल शर्मा और अन्य ने बताया कि बताया कि 17 अप्रेल 2017 को एसओजी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पुष्पेंद्र सिंह राठौड ने मुखबिर की सूचना के आधार पर एसओजी में पेपर लीक को लेकर मामला दर्ज कराया था. एफआईआर में दोनों एसोसिएट प्रोफेसर और विवि कर्मियों के साथ ही लाभार्थी छात्रा को आरोपी बनाया गया था. वहीं, बाद में एसओजी ने लाभार्थी छात्रा के अलावा अन्य के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया था. इसके बाद अदालत ने सभी को आईपीसी की धारा 120बी और 420 से डिस्चार्ज किया था। वहीं अब इन्हें राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा अनुचित साधनों की रोकथाम अधिनियम से भी बरी कर दिया है.
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