Article By Yunus Mansuri
छुटकी घर से निकली और नजदीक किराने की दुकान पर जाकर खड़ी होते हुए ₹1 का सिक्का दुकानदार दे कर बोली अंकल मुझे टॉफी दे दीजिए दुकानदार ने बरनी से टॉफी निकाली और छुटकी को दे दी, छुटकी ने टॉफी का कवर (रैपर) हटाया और तपाक से मुंह में रख ली और खुशी खुशी घर पहुंची। उससे पहले मुंह से उसने टॉफी फिर हाथ में ले ली तो टॉफी चिपचिपी हो गई थी और हाथ भी उससे चिपचिपे हुए अपनी मां के सामने छुटकी फिर से वही टॉफी खाने लगी तो मां ने उसको खाने से रोक दिया, छुटकी ने सवाल किया की मां आप मुझे यह क्यों नहीं खाने दे रहे हो तो छुटकी की मम्मी ने जवाब दिया कि बेटा आपके हाथ में जो बैक्टीरिया थे अब वह टॉफी पर लग गए हैं अगर आप इसे खाएंगे तो बीमार हो जाएंगे। छुटकी को बात समझ में आई कि खुली चीज पर गंदे कीटाणु लग सकते हैं इसे ढक कर रखना चाहिए और यही बात छुटकी ने अपने पिताजी से ही सीखी जब बाजार गई तो देखा कि थैलों (हाथगाड़ी) पर जो खाने का सामान रखा था वो सभी सामान मक्खी मच्छर और कीटाणुओं से बचाने के लिए जाली से ढका हुआ था।
यहां छुटकी समझ चुकी थी की कोई भी चीज जिस पर गंदे कीटाणु हमला करके हमें बीमार कर सकते हैं उसे ढक कर रखना जरूरी है।
आज के दौर में जहां हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं वही हम यह भी देख रहे हैं कि अश्लीलता अपने चरम बिंदु पर हैं और उसे देख कर चारों तरफ गुनाहों का अंबार लगा है जिसमें बचपन से लेकर बुजुर्ग महिला इसकी शिकार हो रही है।
सरकार और कानून की उदासीनता के चलते हैं महिलाओं पर यौन अपराध बढ़ते चले जा रहे हैं। आज जरूरत है तो महिलाओं के साथ खड़ा होने की उनको हौसला देने की हिम्मत बढ़ाने की और यह आत्मविश्वास हिम्मत हौसला ज्ञान के प्रकाश से आ सकता है इसके लिए उन्हें स्कूल और कॉलेज तक सुरक्षा के साथ पहुंचाना जरूरी है।
भारत के संविधान ने यहां रह रहे नागरिकों को मौलिक अधिकार दिए हैं। उन्हीं अधिकारों में धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार भी शामिल है। जिसका उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 25 से लेकर 28 तक में मिलता है। भारत में यह अधिकार हर एक व्यक्ति या कहें कि नागरिकों को समान रूप से प्राप्त है। धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार नागरिकों को प्राप्त 6 मैलिक अधिकारों में से चौथा अधिकार है। अनुच्छेद 25 : (अंतःकरण की और धर्म की अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता) इसके तहत भारत में प्रत्येक व्यक्ति को किसी भी धर्म को मानने की, आचरण करने की तथा धर्म का प्रचार करने की स्वतंत्रता है।
कर्नाटक में हिजाब पहने बीबी मुस्कान नाम की लड़की अपने कॉलेज में अंदर जा रही होती है लेकिन कुछ असामाजिक तत्व वहां आकर जय श्रीराम के नारे लगाकर उसे रोकने की असफल कोशिश करते हैं। मुस्कान ना डरती है ना ही घबराती है और ना ही कॉलेज से वापस होती है बल्कि उनका डटकर मुकाबला करते हुए अल्लाह हू अकबर का नारा लगाकर कॉलेज में प्रवेश कर लेती है यह घटना यहां पर नफरत का जो जहर घोला गया है उसको बयान कर रही है की धार्मिक उन्मादी और कट्टर लोग पहले धार्मिक प्रक्रिया और परंपरा से नफरत कर रहे थे, फिर खाने से नफरत हुई अब पहनने से भी नफरत महसूस की जा सकती है।
आजादी के 70 वर्ष बाद हम अमृत महोत्सव के अमृत काल में कदम रख रहे हैं और हालात हमारे गुलामी से ज्यादा बदतरीन नजर आ रहे हैं जहां महिलाओं को पहनने की घूमने की शिक्षा की आजादी ना के बराबर नजर आ रही है और बातें हम महिला सशक्तिकरण की कर रहे हैं।
मलाला यूसुफजई जिसने दुनिया को शांति का अमन का और शिक्षा का बेहतरीन पैगाम दिया जिसने दुनिया को दिखा दिया कि कट्टरता हमेशा हारती है और शिक्षा हमेशा विजयी रहती है। मदर टेरेसा ने पूरी जिंदगी हिजाब पहनकर दुनिया को बताया कि किस तरीके से बेहतरीन चीजों को पर्दे में रखा जाता है और कूड़े करकट को बिना पदों के।
भारत में हर धर्म पंथ संप्रदाय के लोग निवास करते हैं और दुनिया के दूसरे देश के धर्म संप्रदाय के लोग यहां घूमने आते हैं भारत ने दुनिया को “वसुदेव कुटुंबकम” की मिसाल पेश करते हुए बताया कि हम सभी के लिए हैं और सब हमारे है। हर धर्म संप्रदाय अपने धर्म और अपनी परंपराओं के अनुरूप यहां जीवन यापन कर सकता है यही भारत के संविधान ने सभी को अधिकार दिया है।
श्री राम ने रामराज्य स्थापित किया था जहां घरों में ताले नहीं हुआ करते थे नहीं कोई बहन बेटी कभी असुरक्षित महसूस करती थी कभी किसी के साथ अन्याय और नाइंसाफी नहीं होती थी लेकिन क्या आज इसमें से कोई एक चीज भी यथार्थ और चरितार्थ है? विचारणीय बिंदु और विचारणीय प्रश्न है।
लेकिन पिछले कुछ सालों में भारत में अल्पसंख्यक समुदाय को अपने धर्म और परंपराओं के लिए परेशान किया गया जिससे भारत सरकार की छवि वैश्विक स्तर पर नकारात्मक बनी है अभी मौका है अपनी छवि को सकारात्मक बनाने का आए दिन जो महिलाओं बच्चों के साथ दुर्भावनापुर्ण कृत्य किए जा रहे हैं जिसमें कर्नाटक में हिजाब पहनकर आने वाली छात्राओं को कॉलेज से बाहर निकालना और कॉलेज में जाने पर जय श्रीराम के नारे लगाकर रोकना दुर्भाग्यपूर्ण है यह संविधान के बनाएं कानूनों का उल्लंघन है गैर संवैधानिक है। सरकार को अल्पसंख्यक समुदाय को विश्वास में लेना होगा और पूर्ण सुरक्षा के साथ समान अधिकारों के तहत संरक्षण देते हुए समानता में लाकर मुख्यधारा से जोड़ने की सक्रिय व त्वरित कोशिश करना होगा।
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यूनुस मंसूरी राष्ट्रीय अध्यक्ष राष्ट्रीय मंसूरी समाज
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