रिलेशनशिप- चांद-तारे तोड़ लाने की बातें मानसिक रोग हो सकता:बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर से जूझते लोग सुनते हैं आत्ममुग्धता वाले गाने
चांद तोड़कर लाने और तारों को जमीं पर उतारने की कसमें प्यार में पड़े आशिक खाते ही रहते हैं। बॉलीवुड में ही ऐसे हजारों गाने हैं जो आशिकों की इस ‘दैवीय शक्ति’ का विस्तार से बखान करते हैं।
इन गानों को सुनें तो ऐसा लगेगा कि गाने वाला आशिक दुनिया का सबसे चतुर और शक्तिशाली इंसान है और बाकी लोग भुनगे।
लेकिन गानों-फिल्मों की रूमानी कहानी से इतर ये लक्षण बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के हो सकते हैं। क्योंकि एक नई रिसर्च में पता चला है कि बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर से जूझने वाले लोग आत्ममुग्धता वाले गाने सुनना ज्यादा पसंद करते हैं।
आसान भाषा में समझें तो जिन गानों में खुद की, अपनी खूबसूरती, ताकत और दौलत वगैरह के बारे में डींग हांकी जाए, उसे सुनने वाले बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर यानी BPD के शिकार हो सकते हैं।
दरअसल, BPD एक मनोवैज्ञानिक स्थिति है, जिसमें व्यक्ति अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाता। वह खुद को बाकी दुनिया से ज्यादा समझदार, सुंदर और ताकतवर समझने लगता है। आत्ममुग्धता में खोकर उसका मूड हर पल बदलता रहता है। जिसकी वजह से सेल्फ इमेज और तमाम रिश्ते उतार-चढ़ाव से जूझने लगते हैं।
म्यूजिक चॉइस से पता चल सकता है इंसान का व्यक्तित्व
पोलैंड के साइकोलॉजिस्ट राफेल लॉएन्डोव्स्की ने गाने की चॉइस और मनोविज्ञान पर रिसर्च की। इस रिसर्च में उन्होंने पाया कि म्यूजिक चॉइस सीधे तौर से लोगों की मेंटल कंडीशन को दर्शाते हैं।
कौन कैसी मनोदशा में है, उसके प्लेलिस्ट से भी इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है। इसी तरह बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर यानी BPD की स्थिति में शख्स अपने अहं को तुष्ट करने वाले गाने को पसंद करता है।
मनोवैज्ञानिक जरूरतों का आइना है म्यूजिक चॉइस
साइकोलॉजिस्ट राफेल लॉएन्डोव्स्की की मानें तो कोई शख्स किस तरह के गाने सुनेगा, यह उसकी मेंटल कंडीशन से तय होगा। उनकी म्यूजिक चॉइस उसकी ‘इंटरनल साइकोलॉजिकल नीड’ यानी आंतिरक मनोवैज्ञानिक जरूरतों को दिखाएगी।
रिसर्च के दौरान यह भी पाया गया कि जैसे-जैसे BPD की गंभीरता बढ़ती है, लोग ज्यादा सेल्फ अवेयरनेस वाले गाने पसंद करने लगते हैं।
भाषा और एरिया के बंधन से दूर है म्यूजिक चॉइस
म्यूजिक साइकोलॉजी पर रिसर्च करने वाले डॉ. डेविड एम. ग्रीनबर्ग की मानें तो म्यूजिक दो लोगों के बीच की भावनात्क समानता को जोड़ने वाला पुल हो सकता है। म्यूजिक चॉइस का संबंध भूगोल, भाषा और संस्कृति से परे है।
डॉ. डेविड एम. ग्रीनबर्ग ने रिसर्च के दौरान पाया कि दो अलग-अलग संस्कृति, भाषाई क्षेत्र और देश में रहने वाले दो अंतर्मुखी लोगों के बीच भी म्यूजिक के टेस्ट काफी समानता है।
ध्यान रखें कि सिर्फ सेल्फ केयरिंग वाले गाने की किसी शख्स में बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर यानी BPD की गारंटी नहीं है। ऐसे गानों में रुचि के अलावा BPD की स्थिति में ये लक्षण भी दिख सकते हैं-
रिश्ते के लिए काल है BPD, पहचान के बाद करें ये उपाय
अगर समय रहते BPD के लक्षणों को पहचान इसपर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाए तो यह तमाम रिश्ते तुड़वा कर शख्स को अकेला कर सकता है। क्योंकि BPD में शख्स की मानसिक स्थिति ऐसी होती है कि वह किसी भी रिश्ते को नहीं संभाल पाता है।
रिश्ते में अगर कोई एक पार्टनर भी बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर से पीड़ित है तो इससे रिश्ता और आसपास के लोग भी नकारात्मक रूप से प्रभावित होने लगते हैं। इसे ‘BPD साइकिल’ कहा जाता है।
अमेरिकी साइकोलॉजिस्ट डॉ. तबीथा क्रैनी के मुताबिक BPD साइकिल की स्थिति में रिश्ता उतार-चढ़ाव के परमानेंट फेर में फंस जाता है। पार्टनर्स और आसपास के लोग कभी इससे उबर नहीं पाते। यह प्रॉसेस लगातार चलता रहता है। जब तक कि BPD पर बकायदा ध्यान नहीं दिया जाए।
BPD बदमाशी नहीं बींमारी है, मरीज को चाहिए इमोशनल सपोर्ट
न चाहते हुए भी BPD से पीड़ित शख्स स्वभाव से चिड़चिड़ा हो जाता है। लोगों से उसके रिश्ते बिगड़ने लगते हैं। ऐसे में कई बार लोग इन आदतों को शख्स की ‘बदमाशी’ या ‘दुष्टता’ मानते हैं।
जबकि यह मेंटल डिसऑर्डर का नतीजा होता है। इसलिए पीड़ित व्यक्ति का अपनी भावनाओं पर कंट्रोल खत्म हो जाता है।
BPD साइकिल के वक्त शख्स को इमोशनल सपोर्ट की जरूरत होती है। अगर पार्टनर BPD साइकिल को बदमाशी या झगड़े की आदत के बतौर ले तो इससे BPD पीड़ित शख्स और रिश्ता दोनों की स्थिति खराब हो सकती है।
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