रूस के लिए लड़ते हुए 6 नेपाली सैनिक मारे गए:यूक्रेन बॉर्डर पर तैनात थे; नेपाल ने कहा- हमारे नागरिकों का इस्तेमाल बंद करे मॉस्को
तस्वीर ब्रिटिश रॉयल आर्मी ने जारी की थी। 2013 में ब्रुनेई के जंगल में गोरखा यूनिट के कई सैनिक तैनात थे।
यूक्रेन के खिलाफ रूस की तरफ से लड़ते हुए 6 नेपाली सैनिक मारे गए हैं और एक को यूक्रेनी फौज ने गिरफ्तार कर लिया है। यह खबर सामने आने के बाद नेपाल ने रूस से कहा है कि वो उसके नागरिकों का इस्तेमाल बंद करे।
दरअसल, मारे गए सभी नेपाली भाड़े के सैनिक के तौर पर रूसी सेना के लिए काम कर रहे थे। इस मामले के सामने आने के बाद यह साफ हो गया है कि नेपाल के कई नौजवान पैसे की खातिर रूस के लिए जंग के मैदान में मौजूद हैं।
नेपाल का रवैया बदला
- रूस और यूक्रेन की जंग 24 फरवरी 2022 को शुरू हुई थी। इसके बाद कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जाता रहा कि रूस के पास सैनिकों की कमी हो गई है और वो इस कमी को दूर करने के लिए गरीब देशों के नौजवानों को लालच दे रहा है। इस मामले में सबसे ज्यादा नेपाल के नौजवानों की चर्चा हुई।
- बहरहाल, यह पहली बार है जब नेपाल ने सार्वजनिक तौर पर यह माना है कि यूक्रेन के खिलाफ जंग में रूस उसके युवाओं का इस्तेमाल कर रहा है। सोमवार को न्यूज एजेंसी ‘एएफपी’ की रिपोर्ट में दावा किया गया कि यूक्रेन के खिलाफ जंग में रूस की तरफ से लड़ रहे 6 नेपाली सैनिक मारे गए हैं।
- मंगलवार को यह साफ हो गया कि एक नेपाली सैनिक को यूक्रेनी फौज ने गिरफ्तार भी किया है। रिपोर्ट के मुताबिक- मारे गए नेपाली सैनिकों को नियमों के तहत रिक्रूट नहीं किया गया था। यानी ये पेरोल पर नहीं थे, बल्कि ये सभी भाड़े पर लिए गए थे। इसके मायने ये हुए कि या तो इन्हें एक तय रकम देने के वादे पर लड़ने भेजा गया था या फिर ये रूसी फौज के कॉन्ट्रैक्ट पर थे।
तस्वीर ब्रिटेन की रॉयल आर्मी में शामिल गोरखा सैनिकों की है। 2019 में इन सैनिकों की यूनिट में से 700 सैनिकों को निकाल दिया गया था।
सैनिकों को नेपाल भेजे रूस
- नेपाल की फॉरेन मिनिस्ट्री ने इस मामले पर पहली बार बयान दिया। कहा- हमारी जानकारी के मुताबिक, यूक्रेन बॉर्डर पर रूस की तरफ से लड़ते हुए 6 नेपाली नागरिक मारे गए हैं। इसके अलावा एक सैनिक को यूक्रेनी सेना ने बंधक बनाया है। रूस सरकार से हमारी मांग है कि वहां मौजूद जितने भी नेपाली नागरिक हैं, उन्हें फौरन नेपाल भेजा जाए।
- नेपाल की फॉरेन मिनिस्ट्री के बयान में ये नहीं बताया गया कि ये सैनिक कब, कहां और किन हालात में मारे गए। इसके अलावा यह भी साफ नहीं किया गया है कि जिस सैनिक को बंधक बनाया गया है, वो किस इलाके में तैनात था और कब से यूक्रेन की गिरफ्त में है।
- हालांकि, इस बयान में ये जरूर कहा गया है कि नेपाल सरकार ने अगस्त में ही अपने नागरिकों को आगाह किया था कि वो रूस-यूक्रेन जंग के दौरान इन देशों में फौज की मदद से जुड़े किसी काम के लिए न जाएं।
- नेपाल सरकार के मुताबिक- रूस से कहा गया है कि वो मारे गए नेपाली सैनिकों के शव काठमांडू भेजने का इंतजाम करे और इनके परिवारों को वाजिब मुआवजा भी दे। इसके अलावा किसी नेपाली नागरिक को रूसी फौज में शामिल न किया जाए। जो नेपाली इस वक्त रूसी फौज में शामिल हैं, उन्हें भी फौरन वापस काठमांडू भेजा जाए।
तस्वीर 1960 की है। तब बकिंघम पैलेस में एक प्रोग्राम के दौरान नेपाल के राजा महेंद्र और ब्रिटिश क्वीन ने गोरखा यूनिट का इन्सपेक्शन किया था।
पैसे की लिए जोखिम
वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक- ज्यादातर नेपाली नागरिक पैसा कमाने की खातिर दूसरे देशों में जाते हैं। कई बार ये बेहद जोखिम वाले काम भी करते हैं। खास बात यह है कि ये नेपाली नागरिक जितना पैसा अपने देश भेजते हैं वो करीब-करीब नेपाल की जीडीपी के बराबर है।
भारत के अलावा ब्रिटिश आर्मी में भी नेपाली गोरखा रिक्रूट किए जाते हैं। यह सिलसिला 1815 में शुरू हुआ था। उस वक्त भारत पर ब्रिटेन का शासन था। ब्रिटिश क्वीन एलिजाबेथ कई बार गोरखा यूनिट से मिलीं थीं।
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