रूस के S-400 मिसाइल सिस्टम से कितना अलग होगा भारतीय ‘ब्रह्मास्त्र’ LRSAM, एक्सपर्ट ने बताया
भारत रूस के एस 400 की तरह खुद का एक इंटीग्रेटेड मिसाइल सिस्टम बनाने पर काम कर रहा है। इसका नाम प्रोजेक्ट कुशा रखा गया है। इसके तहत लंबी दूरी तक मार करने वाले सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम को बनाया जाएगा। इसकी रेंज एस-400 के जैसे ही 400 से 600 किलोमीटर तक होगी।
मॉस्को: भारत ने रूसी एस-400 के जैसे लॉन्ग रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल (LRSAM) सिस्टम को डिजाइन और विकसित करने के लिए एक स्वदेशी कार्यक्रम प्रोजेक्ट कुशा को लॉन्च किया है। इसकी रेंज एस-400 के जैसे ही 400 किलोमीटर तक होगी। यह दुश्मन के लड़ाकू विमानों, बैलिस्टिक मिसाइलों और अटैक ड्रोन को मार गिराने में सक्षम होगा। रक्षा सूत्रों के अनुसार, भारत का LRSAM (लांग रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल) सिस्टम तीन लेयर वाला होगा। इस मिसाइल सिस्टम को विकसित करने का प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय में एडवांस स्टेज में है। इसे जल्द ही मंजूरी मिलने की उम्मीद है। अब रक्षा विशेषज्ञों ने बताया है कि भारत का यह LRSAM रूस के S-400 मिसाइल सिस्टम से कैसे अलग होगा। भारत अभी रूसी एस-400 की तीन स्क्वॉड्रन को ऑपरेट कर रहा है। इसे चीन और पाकिस्तान से लगी सीमा के नजदीक तैनात किया गया है।
डिफेंस एक्सपर्ट ने भारतीय एस-400 पर क्या कहा
स्पुतनिक ने रक्षा विशेषज्ञ विजयेंदर ठाकुर के हवाले से बताया है कि भारतीय वायु सेना प्रमुख ने पहले एस-400 सौदे के संदर्भ में प्रोजेक्ट कुशा का उल्लेख किया था। प्रोजेक्ट कुशा एस-400 एनालॉग विकसित करने का भारत का प्रयास है। पूर्व वायु सेना अधिकारी विजयेंदर ठाकुर ने बताया कि यह इस तथ्य का संकेत है कि प्रोजेक्ट कुशा एस-400 एनालॉग बनाने का भारत का प्रयास है। इसके अलावा, यह देश की अन्य मिसाइल परियोजनाओं से अलग है क्योंकि भारत ने विभिन्न मिसाइलों को एक साथ मिलाकर कोई एकीकृत प्रणाली या इंटीग्रेटेड सिस्टम नहीं बनाया है।
IADS सामान्य मिसाइल सिस्टम से अलग कैसे
इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस सिस्टम (IADS) और एक सामान्य मिसाइल सिस्टम के बीच मुख्य अंतर को समझाते हुए, ठाकुर ने बताया कि एक सामान्य मिसाइल सिस्टम में एक रडार होता है, जो किसी एक मिसाइल के साथ किसी खतरे से निपटने पर सिस्टम की क्षमता के आधार पर दुश्मन का पता लगा सकता है। जबकि, एस-400 जैसी इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस सिस्टम में एक चीज सभी प्रकार के हवाई खतरों का पता लगाती है। चाहे खतरा 400 किलोमीटर दूर हो या 15 किलोमीटर दूर, इसमें उस खतरे का मुकाबला करने और उसे बेअसर करने की क्षमता इस इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस सिस्टम में होती है।
आकाश मिसाइल सिस्टम से समझें अंतर
यह कम दूरी के सतह से हवा में मार करने वाले मिसाइल (एसआरएसएएम) सिस्टम के साथ संभव नहीं है क्योंकि यह केवल कम दूरी के सतह से हवा में मार करने वाले मिसाइल (एसआरएसएएम) सिस्टम का इस्तेमाल करता है। उदाहरण के लिए, ठाकुर ने कहा कि आकाश मिसाइल प्रणाली 30-40 किलोमीटर की दूरी तक लक्ष्य को भेद सकती है। लेकिन S-400, जो कि एक इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस सिस्टम है, वह 400 किलोमीटर से लेकर लगभग 10-15 किलोमीटर तक लक्ष्य पर हमला कर सकता है।
IADS बनाना एक जटिल प्रक्रिया
सैन्य विश्लेषक की राय है कि ऐसी प्रणाली बनाने में काफी समय लगता है और इसीलिए उन्होंने इसे एक “जटिल” प्रक्रिया करार दिया। साथ ही, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है क्योंकि डेवलपर को देश के आईएडीएस के साथ अन्य प्रणालियों को एकीकृत करने में सक्षम होने की आवश्यकता होती है। ठाकुर ने कहा कि एस-400 के मामले की तरह, यह सिर्फ सिस्टम के साथ आने वाली मिसाइलों के साथ काम नहीं करता है। यह जिस भी मिसाइल से लैस है, उसके साथ काम कर सकता है।
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