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वर्किंग मॉडल ऑफ डायल 112 प्रोजेक्ट ‘हैकाथॉन-1.0’ में रहा आकर्षण:लाइट शो ड्रोन और रोबोकॉप भी लोगों को आया पसंद

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वर्किंग मॉडल ऑफ डायल 112 प्रोजेक्ट ‘हैकाथॉन-1.0’ में रहा आकर्षण:लाइट शो ड्रोन और रोबोकॉप भी लोगों को आया पसंद

इवेंट के दौरान पुलिस अधिकारियों की ओर से अलग-अलग मॉडल प्रदर्शित किए गए। - Dainik Bhaskar

इवेंट के दौरान पुलिस अधिकारियों की ओर से अलग-अलग मॉडल प्रदर्शित किए गए।

साइबर सुरक्षा को लेकर जयपुर के राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में दो दिवसीय ‘हैकाथॉन 1.0’ का समापन्न हो गया है। राजस्थान पुलिस की ओर से आयोजित हैकाथॉन में देशभर का युवा टैलेंट अपनी तकनीक को प्रदर्शित किया गया। वहीं यहां तीन मॉडल की प्रदर्शनी ने भी यहां आने वाले हर एक शख्स को आक्रीत किया। जिनमें पहला 112 से जुड़ा मॉडल था, तो दूसरा लाइट शो ड्रोन और तीसरा रोबोकॉप रोबोट था। इन तीनों के शो केस के दौरान यहां पहुंचने वाले हर शख्स ने यहां इनके साथ सेल्फी लेने के साथ ही इनकी जानकारी ली।

वर्किंग मॉडल ऑफ डायल 112 प्रोजेक्ट

वर्किंग मॉडल ऑफ़ डायल 112 प्रोजेक्ट हैकाथॉन में शोकेस किया गया। ऐमरी ग्रीन हेल्थ सर्विस के हेड टेक्नोलॉजी राकेश सैनी ने बताया कि इस मॉडल के अनुसार 112 कि पूरे राजस्थान में 7 रेंज है जिसमें 500 गाड़ियां दी गई है। जब सामान्यतः कोई व्यक्ति 112 पर कॉल करता है तो वह कॉल अभय कमांड सेंटर को जाता है। वहां से घटना की जानकारी संबंधित नजदीकी एफआरडी 112 व्हीकल को दी जाती है।

इसके बाद 112 का वह व्हीकल घटनास्थल पर पहुंचता है इसके इसके बाद यह व्हीकल यदि घटनास्थल पर दुर्घटना हुई है तो घायल को इलाज के लिए उसको 108 एंबुलेंस के माध्यम से अस्पताल पहुंचाया जाता है या किसी झगड़े की स्थिति में जब यह व्हीकल पहुंचता है तो इसमें पुलिस के सिपाही भी मौजूद होते हैं। जो स्थिति को नियंत्रण करने का भी प्रयास करते है, साथ ही मामले की जानकारी स्थानीय थाना पुलिस को दी जाती है। यह गाड़ी चार कैमरे से लैस होती है।

सेंसेटिव एरिया में यह गाड़ी 24 घंटे लोकेशन से पुलिस पेट्रोलिंग की तरह नजर रखती है । इस गाड़ी में मोबाइल डिवाइस टर्मिनल होता है। जिसमें एक सॉफ्टवेयर है, जिसमें जानकारी फील करके संबंधित पुलिस डिपार्टमेंट को दी जाती हैं।

वर्किंग मॉडल ऑफ़ डायल 112 प्रोजेक्ट हैकाथॉन में शोकेस किया गया

वर्किंग मॉडल ऑफ़ डायल 112 प्रोजेक्ट हैकाथॉन में शोकेस किया गया

लाइट शो ड्रोन रहा आकर्षण

हैकाथॉन में एक लाइट शो ड्रोन डिस्प्ले शोकेस किया गया। इस ड्रोन का नाम ब्लेज है। यह स्वयं टेक्नोलॉजी के आधार पर काम करता है। इस टेक्नोलॉजी में ड्रोन काम करने के लिए आपस में कम्युनिकेशन रखते हैं। इसमें सभी ड्रोन का सिर्फ एक ही रिमोट कंट्रोल होता है। यह ड्रोन अवेयरनेस फैलाने के साथ ही सेलिब्रेशन और मार्केटिंग के काम में आता है। विष्णु मेनन प्रेक्योरमेंट इंचार्ज, बोटलेब डायनामिक्स ने बताया कि यह ड्रोन पूरी तरह से मेड इन इंडिया है और इन हाउस बनाया गया है।

बोटलेब डायनामिक्स में इसको तैयार किया गया है। इसके सॉफ्टवेयर से लेकर के हार्डवेयर तक हर चीज इन हाउस ही बनाई गई है। देश में इनका उपयोग अब तक 70 बार हो चुका है। सृजन इशान पॉल मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव बोटलेब डायनॉमिक्स ने बताया कि डायनामिक राष्ट्रपति भवन में एक साथ 3500 ड्रोन उड़कर इन्होंने इतिहास रचा था। इसके अलावा भी वर्ल्ड कप, आईपीएल, विजय दिवस, नेशनल गेम्स, हॉकी वर्ल्ड कप, डिफेंस एक्सपो सहित कई बड़े आयोजन में इसका इस्तेमाल हो चुका है।

हैकाथॉन में एक लाइट शो ड्रोन डिस्प्ले शोकेस किया गया। इस ड्रोन का नाम ब्लेज है। यह स्वयं टेक्नोलॉजी के आधार पर काम करता है। इस टेक्नोलॉजी में ड्रोन काम करने के लिए आपस में कम्युनिकेशन रखते हैं।

हैकाथॉन में एक लाइट शो ड्रोन डिस्प्ले शोकेस किया गया। इस ड्रोन का नाम ब्लेज है। यह स्वयं टेक्नोलॉजी के आधार पर काम करता है। इस टेक्नोलॉजी में ड्रोन काम करने के लिए आपस में कम्युनिकेशन रखते हैं।

हैकाथॉन में रोबोकॉप

हैकाथॉन में रोबोकॉप भी शोकेस किया गया। आर्य कॉलेज में रोबोटिक इंजीनियर मोहम्मद उनैब उस्मानी ने बताया कि इसको रोबोकॉप का नाम दिया है। यह रोबोट वॉइस सेंस और फेस सेंस के आधार पर काम करता है। एक तरह से रोबोट यह गाइडेंस के रूप में काम करता है। यह रोबोट इस पर डाटा फीड करने के बाद संबंधित टीम की अटेंडेंस का काम भी कर सकता है। यह उस व्यक्ति को फेस और वॉइस के आधार पर आईडेंटिफाई करेगा और उसके बाद उसकी अटेंडेंस ऑटोमेटेकली हो जाएगी। जिस तरीके से व्यक्ति आगे पीछे दाएं बाएं चलता है उसी तरीके से यह रोबोट भी ऑपरेटिंग सिस्टम के माध्यम से चल सकता है। यह रोबोट वॉइस कमांड के आधार पर यह चलता है। आर्य कॉलेज में रोबोटिक इंजीनियर ने यह रोबोट 2019 से बनाना शुरू किया था। इससे पहले एक यह रोबोट दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह के सामने भी शोकेस कर चुके हैं। इस रोबोट को बनाने के लिए इन्होंने माइक्रोकंट्रोलर, सेंसर, डिस्पले कैमरा, व्हील्स मोटर्स, कास्टर व्हील्स और सर्वो मोटर का उपयोग किया गया है।

हैकाथॉन में रोबोकॉप भी शोकेस किया गया। आर्य कॉलेज में रोबोटिक इंजीनियर मोहम्मद उनैब उस्मानी ने बताया कि इसको रोबोकॉप का नाम दिया है।

हैकाथॉन में रोबोकॉप भी शोकेस किया गया। आर्य कॉलेज में रोबोटिक इंजीनियर मोहम्मद उनैब उस्मानी ने बताया कि इसको रोबोकॉप का नाम दिया है।

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