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विधानसभा अध्यक्ष ने सीएम सलाहकार को फटकारा:कहा- पहले की तरह सदन से बाहर निकाल दूंगा; किसान कर्जमाफी पर हंगामा

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विधानसभा अध्यक्ष ने सीएम सलाहकार को फटकारा:कहा- पहले की तरह सदन से बाहर निकाल दूंगा; किसान कर्जमाफी पर हंगामा

किसान कर्जमाफी को लेकर मंगलवार को विधानसभा में शून्यकाल के दौरान जमकर हंगामा हुआ। बीजेपी विधायकों ने वेल में आकर नारेबाजी की। हंगामे की शुरुआत उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया के कांग्रेस के जन घोषणा पत्र में किसान कर्जमाफी के वादे के जिक्र से हुई।

पूनिया ने जैसे ही जन घोषणा पत्र का जिक्र किया। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और मंत्रियों-विधायकों ने आपत्ति जताई। इस पर दोनों तरफ से नोक-झोंक शुरू हो गई। उप नेता प्रतिपक्ष को टोकने से नाराज बीजेपी विधायक भी जोर-जोर से बोलने लगे। इससे सदन में हंगामे की स्थिति बन गई।

काफी देर तक कांग्रेस और बीजेपी विधायकों के बीच इस मुद्दे पर तीखी नोक-झोंक चलती रही। नाराज बीजेपी विधायकों ने वेल में आकर हंगामा किया। स्पीकर सीपी जोशी के दखल के बाद हंगामा शांत हुआ।

सतीश पूनिया के जन घोषणा पत्र का जिक्र करते ही कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कड़ी आपत्ति जताई।

सतीश पूनिया के जन घोषणा पत्र का जिक्र करते ही कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कड़ी आपत्ति जताई।

उपनेता प्रतिपक्ष बोले- लाखों किसान कर्ज माफी का इंतजार कर रहे
शून्यकाल के दौरान उपनेता प्रतिपक्ष सहित कई विधायकों ने स्थगन प्रस्ताव के जरिए किसान कर्जमाफी का मुद्दा उठाया। पूनिया सहित कई बीजेपी विधायकों ने किसान कर्जमाफी को लेकर सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया।

पूनिया ने कहा- सरकार ने आधी अधूरी कर्जमाफी की। इसमें छह हजार करोड़ तो बीजेपी सरकार माफ कर गई थी। राहुल गांधी ने 10 दिन में कर्ज माफी का वादा किया था, लेकिन साढ़े 4 साल बीत गए। लाखों किसान कर्जमाफी का इंतजार कर रहे हैं।

उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया सहित बीजेपी विधायकों ने किसान कर्जमाफी को लेकर सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया।

उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया सहित बीजेपी विधायकों ने किसान कर्जमाफी को लेकर सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया।

स्पीकर ने सीएम सलाहकार से कहा- आपको पहले भी बाहर निकाल चुका, फिर निकाल दूंगा
स्पीकर सीपी जोशी ने सीएम सलाहकार संयम लोढ़ा को सदन से बाहर निकालने की चेतावनी दी। इस दौरान स्पीकर और लोढ़ा के बीच नोक-झोंक हो गई।

स्थानीय युवाओं को भर्तियों में प्राथमिकता देने से जुड़े सवाल पर संयम लोढ़ा बिना स्पीकर की मंजूरी बोलने लगे। लोढ़ा ने कहा- मंत्री पिछले पांच साल से केवल बातें ही कर रहे हैं। किया कुछ नहीं है। इस पर स्पीकर ने संयम लोढ़ा को बैठने को कहा, लेकिन वे बोलते रहे। स्पीकर ने संयम लोढ़ा को सदन से बाहर करने तक की चेतावनी दे दी।

स्पीकर ने संयम लोढ़ा से कहा- मैं आपको आखिरी बार चेतावनी दे रहा हूं। आप इतने सीनियर हैं। आप गलत परंपरा डाल रहे हैं। आप श्रेष्ठ विधायक रहे हैं। हमें सोचना पड़ेगा कि जो अच्छे विधायक रहे हैं। उनको अच्छे विधायक के बारे में जो निर्णय किया है, उसे रिव्यू करना पड़ेगा। मैं इस आचरण को बर्दाश्त नहीं कर सकता। स्पीकर ने इस बीच अगले सवाल के लिए नाम पुकार लिया, लेकिन लोढ़ा फिर भी बोलते रहे।

स्पीकर ने संयम लोढ़ा को चेताते हुए कहा- मैं अंतिम बार चेतावनी देता हूं कि मुझे गलत परंपरा शामिल करने का अवसर नहीं दे। आखिरी सदन चल रहा है, मुझे आपको बाहर करना पड़ेगा। मैं आपको बाहर कर दूंगा। आपको पहले भी बाहर निकाला जा चुका है, मैं फिर रिपीट कर दूंगा।

स्पीकर सीपी जोशी ने सीएम सलाहकार संयम लोढ़ा को चेतावनी दी।

स्पीकर सीपी जोशी ने सीएम सलाहकार संयम लोढ़ा को चेतावनी दी।

मंत्री कल्ला बोले- प्रदेश की भर्तियों में स्थानीय कैंडिडेट को वरीयता नहीं मिलेगी
शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला ने जिला लेवल पर भर्तियां करने और स्थानीय निवासियों को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता देने का प्रावधान करने से साफ इनकार कर दिया है।

बीजेपी विधायक समाराम गरासिया के सवाल के जवाब में मंत्री कल्ला ने कहा- जिला स्तरीय मेरिट बनाने और स्थानीय कैंडिडेट को वरीयता दिए जाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 16 (2) के अनुसार स्थानीय निवास के आधार पर सरकारी नौकरियों में वरीयता नहीं दी जा सकती है।

शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला के जवाब में स्पीकर सीपी जोशी ने दखल दिया।

शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला के जवाब में स्पीकर सीपी जोशी ने दखल दिया।

स्पीकर बोले- जिला लेवल पर भर्तियां करने की संभावना तलाशें
मंत्री कल्ला के जवाब पर स्पीकर सीपी जोशी ने दखल देते हुए कहा- पुलिस की भर्ती जिला लेवल पर होती है। सुप्रीम कोर्ट में जो जजमेंट दिया गया था। उससे आगे भी सोचने की जरूरत है।

मंत्री कल्ला ने कहा कि पुलिस की भर्ती जिला स्तर से होती है, लेकिन उसमें लोकल को प्राथमिकता नहीं मिलती। किसी भी जिले का कैंडिडेट आवेदन कर सकता है, लेकिन मेरिट में आने पर ही होता है। उसको प्राथमिकता नहीं दी जाती है।

स्पीकर ने कहा- कानून कौन बनाता है? यह विधानसभा कानून बनाने के लिए ही है। कानून बनाने के संबंध में हम चर्चा नहीं करेंगे तो कौन करेगा? मैं समझता हूं कि इस संबंध में सरकार को निश्चित तौर पर वापस निर्णय करना चाहिए कि क्या हम जिला लेवल पर भर्तियां कर सकते हैं? राजस्थान में जिला लेवल पर भर्तियां होती थीं। शिक्षकों की भर्ती जिला परिषद करती थीं और भर्तियां भी होती थीं।

केवल एक उदाहरण के कारण पूरी व्यवस्था को बदल दिया, इसमें फिर से विचार करने की जरूरत है। दूसरे राज्यों का भी पता लगा लो। सरकार को इसके बारे में कोई फैसला लेना चाहिए, ताकि हजारों युवाओं को राहत मिल सके।

कई जिलों में टीचर, मेडिकल कर्मचारी नहीं उपलब्ध होते, माइग्रेट करने की स्थिति बन रही है। राजस्थान में हर क्षेत्र की अलग-अलग बोली है, बोली के आधार पर कोई क्राइटेरिया तय करके स्थानीय लोगों को लगाया जा सकता है।

पेपरलीक करने वालों को उम्रकैद की सजा वाला बिल पेश, 21 को होगा पारित
भर्ती परीक्षाओं में पेपरलीक करने वालों को उम्रकैद की सजा वाला बिल विधानसभा में पेश हो गया है। संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम के उपाय) संशोधन विधेयक 2023 विधानसभा में रखा।

इस बिल को अब बहस के बाद 21 जुलाई को पारित कराया जाएगा। सीएम अशोक गहलोत ने पिछले दिनों पेपरलीक करने वालों को उम्रकैद की सजा का प्रावधान करने के लिए विधानसभा में बिल लाने की घोषणा की थी।

बिल को लेकर उप नेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया ने तंज कसा। पूनिया ने कहा कि सरकार बिल लाकर पेपरलीक नहीं रोक सकती है। अगर बिल लाने से ही पेपर लीक रुक जाते तो राजस्थान की यह दशा नहीं होती। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि योगी का जो बुलडोजर मॉडल है, उस तरह की नीति और नीयत होती तो माफिया में खौफ भी पैदा होता और प्रदेश में एक व्यवस्था भी कायम होती।

भाजयुमो कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज के विरोध में बीजेपी का वॉकआउट
भाजयुमो कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज का मुद्दा विधानसभा में उठा। बीजेपी विधायक रामलाल शर्मा ने पॉइंट ऑफ इंफार्मेशन के जरिए विधानसभा में यह मामला उठाया। कुछ देर सदन में हंगामे के बाद नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की अगुवाई में बीजेपी विधायकों ने सदन से वॉकआउट किया।

सात बिल एक साथ विधानसभा में पेश, विपक्ष ने की आपत्ति
विधानसभा की कार्य सलाहकार समिति (बीएसी) की बैठक से पहले सरकार ने सदन में सात बिल पेश कर दिए। बीएसी की बैठक से ठीक पहले अचानक सदन में सात बिल पेश करने पर नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने आपत्ति जताई। राठौड़ की आपत्ति को खारिज करते हुए सभापति राजेंद्र पारीक ने कहा कि सरकार को बिल पेश करने का अधिकार है और पहले भी ऐसा होता रहा है।

विधानसभा में सरकार ने न्यूनतम आय गारंटी बिल को पेश किया है, जिसमें कम से कम 1000 रुपए पेंशन, हर साल सामाजिक सुरक्षा में 15 फीसदी इंक्रीमेंट, शहरी और ग्रामीण मनरेगा में 125 दिन के रोजगार का कानूनी प्रावधान है। विधानसभा में आज राजस्थान मृत शरीर का सम्मान विधेयक, राजस्थान सिनेमा विनियम संशोधन विधेयक,राजस्थान माल और सेवा कर संशोधन विधेयक, राजस्थान न्यूनतम आय गारंटी विधेयक 2023, मारवाड़ मेडिकल यूनिवर्सिटी बिल, राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय जोबनेर विधेयक और राजस्थान आईएलडी कौशल विवि जयपुर नाम परिवर्तन और संशोधन विधेयक पेश किए गए।

21 तक चलेगी विधानसभा, तीन दिन में 12 बिल पास होंगे
विधानसभा की बीएसी की बैठक में 21 जुलाई तक विधानसभा का कामकाज तय किया है। 19 से 21 जुलाई तक तीन दिनों में विधानसभा में 12 बिल पास किए जाएंगे। 19 जुलाई को मेला प्राधिकरण संशोधन विधेयक, विधियां निरसन विधेयक, सहकारी सोसायटी संशोधन विधेयक और विनियोग विधेयक पारित होंगे। 20 जुलाई को मृत शरीर का सम्मान विधेयक, आईएलडी कौशल विवि नाम परिवर्तन विधेयक, मारवाड़ चिकित्सा विवि, जोधपुर विधेयक और पशु चिकित्सा पशु विज्ञान विवि जोबनेर विधेयक पारित होंगे।

21 जुलाई को पेपरलीक करने वालों को उम्र कैद की सजा वाला बिल 21 जुलाई को विधानसभा में पारित होगा। इसी दिन हर साल पेंशन में 15 फीसदी बढ़ोतरी के कानूनी प्रावधान वाला बिल पास होगा। 21 जुलाई को सार्वजनिक परीक्षा भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम के उपाय संशोधन विधेयक,राजस्थान न्यूनतम आय गारंटी विधेयक 2023,जस्थान सिनेमा विनियम संशोधन विधेयक,राजस्थान माल और सेवा कर संशोधन विधेयक, पास होंगे।

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