कांग्रेस के सियासी संकट के समय दिए गए 81 विधायकों के इस्तीफे को लेकर तत्कालीन स्पीकर सीपी जोशी ने कोई जांच नहीं की थी। यह बात विधानसभा स्पीकर वासुदेव देवनानी की ओर से हाई कोर्ट में पेश किए गए जवाब में कही गई हैं।
विधानसभा स्पीकर की ओर से पेश जवाब में कहा गया है कि 25 सिंतबर 2022 को 6 विधायकों ने अपने और 75 अन्य विधायकों के इस्तीफे तत्कालीन स्पीकर सीपी जोशी के आवास पर जाकर सौंपे थे। बाद में इन इस्तीफों को स्वैच्छिक नहीं बताकर वापस लेने की बात कही गई थी।
विधानसभा में ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है, जिससे साबित हो कि तत्कालीन स्पीकर ने इस संबंध में कोई जांच की हो। इच्छा के खिलाफ त्यागपत्रों पर स्पीकर को चाहिए था कि वे इनकी जांच करते। ये भी रिकॉर्ड नहीं है, सत्यापन के लिए नोटिस जारी करके किसी विधायक को बुलाया गया हो।
विधायकों ने 10 दिन में इस्तीफे वापस लिए, लेकिन भाषा एक समान
विधानसभा स्पीकर की ओर से पेश किए गए जवाब में कहा गया है कि विधायकों ने 30 दिसंबर, 2022 से 10 जनवरी, 2023 तक अपने इस्तीफे वापस लिए, लेकिन सभी की भाषा एक समान थी। और सभी ने इस्तीफे स्वैच्छिक नहीं बताए थे, लेकिन मजबूर करने की कोई शिकायत भी इनकी तरफ से नहीं की गई। 90 दिन बाद इस्तीफे वापस ले लिए गए। मजबूर करना लोकतंत्र के खिलाफ व संवैधानिक जनादेश के भी विपरीत था, लेकिन स्पीकर ने इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया।
राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि आलाकमान को दवाब में लेने के लिए उस समय तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत के कहने पर विधायकों ने इस्तीफें दिए थे।
विधायकों से की जाए वेतन-भत्तों की रिकवरी
दरअसल विधायकों के इस्तीफा प्रकरण के बाद जब तत्कालीन स्पीकर सीपी जोशी ने इस्तीफों को लेकर कोई फैसला नहीं लिया तो बीजेपी नेता राजेन्द्र राठौड़ ने हाई कोर्ट में याचिका दायर करके स्पीकर को निर्देश देने की गुहार की थी। याचिका लंबित रहने के दौरान सीपी जोशी ने सभी विधायकों के इस्तीफे यह कहकर खारिज़ कर दिए थे कि विधायकों द्वारा दिए गए इस्तीफे स्वैच्छिक नहीं थे।
आज बीजेपी नेता राजेन्द्र राठौड़ ने हाई कोर्ट में पैरवी करते हुए कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के जवाब से यह सिद्ध हो गया है कि 25 सितंबर 2022 से जनवरी 2023 तक कांग्रेस सरकार में किस्सा कुर्सी का खेल चला। जिन 81 विधायकों ने संविधान के आर्टिकल 190(3) के प्रावधानों के अनुसार स्वैच्छिक रूप से स्वयं उपस्थित होकर विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष त्यागपत्र दिए थे। जिनको 25 सितंबर 2022 को ही स्वीकार किया जाना संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार आवश्यक था।
उन्हें जानबूझकर तत्कालीन विधानसभा स्पीकर ने स्वीकार नहीं किया। ऐसे में इन विधायकों द्वारा 25 सितम्बर 2022 के बाद लिए गए वेतन भत्तों को पुन राजकोष में जमा करवाया जाए। राठौड़ ने बताया कि यह राशि करीब 19 करोड़ के आसपास की होती हैं।
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