विधायक ने पकड़ लिया मंत्री का गला:एक MLA ने हजारों मेंबर बनाए, लाखों चुकाने पड़े, दूसरे को पहाड़ पर पैदल चलना पड़ा
तबादला सीजन में एक अनार सौ बीमार वाली हालत हो रही है। सत्ताधारी पार्टी के विधायकों पर तबादलों को लेकर समर्थकों का भारी प्रेशर है। विधायकों की डिजाइर पर तबादले न हों तो भूचाल आना तय है। जनता से जुड़े एक विभाग के चर्चित मंत्री ने शेखावाटी के विधायक की तबादला लिस्टों में गड़बड कर दी।तमतमाए विधायक मंत्री के चैंबर में पहुंच गए और खूब खरी-खोटी सुनाई, बात यहां तक पहुंच गई कि विधायक ने मंत्री का लगभग गला ही पकड़ लिया था। नाराज विधायक ने प्रदेश के मुखिया तक भी मामला पहुंचा दिया। इसका असर यह हुआ कि विधायक के चहेतों के सब तबादले हो गए।
विधायक को जेब से भरने पड़े लाखों रुपए
सत्ताधारी पार्टी में मेंबरशिप अभियान के लिए कई नेताओं ने खूब ताकत लगाई। संगठन के मुखिया के पड़ोसी विधायक ने भी परफॉर्मेंस के चक्कर में हजारों मेम्बर बनवाए, लेकिन जब मेंबरशिप फीस देने की बारी आई तो नए बने मेंबर्स ने इसका भार भी विधायक पर ही डाल दिया। विधायक के सामने मरता क्या न करता वाली हालत थी, जेब से लाखों रुपए जमा करवाने पड़े।
पार्टी मुख्यालय में जब पैसा जमा करवाकर विधायक बाहर निकले तो परिचितों से कहते दिखे कि इससे अच्छा तो कम मेंबर बनाना ही ठीक था। जानकार बताते हैं कि मेंबरशिप की रीत यही है, संगठन में पकड़ बनानी है तो खुद के लोग जोड़ो, लेकिन साथ में उनकी फीस भी भरो।
पहाड़ पर विधायकों की पार्टी, चर्चित विधायक को पैदल होना पड़ा
सत्ताधारी पार्टी में एक नए खेमे के विधायकों ने पिछले दिनों पार्टी रखी। राजधानी में हिलटॉप पर रखी गई इस पार्टी में डांग क्षेत्र के चर्चित विधायक को भी बुलाया गया था। डांग वाले विधायक ने आगे पहाड़ी होने के कारण गाड़ी पार्टी वाली जगह से काफी पहले ही रोक दी और पैदल ही चल पड़े।
नेताजी आगे-आगे और साथ में गनमैन। विधायक जोश में पैदल चल तो पड़े, लेकिन बाद में अहसास हुआ कि दूरी बहुत ज्यादा है, इसलिए एक बाइक सवार से लिफ्ट लेकर हिलटॉप तक पहुंचे। साथी विधायकों ने जब गाड़ी के बारे में पूछा तो पूरी संघर्ष गाथा सामने आई। अब राजधानी के हिलटॉप तक हर कोई आसानी से थोड़े ही पहुंच सकता है।
300 करोड़ के जुमले ने उड़ाई नींद
राज्यसभा चुनावों के वक्त विधायकों के रूठने मनाने का सिलसिला चल रहा था, उसकी गूंज अब तक सुनाई दे रही है। जो विधायक आखिर में बाड़ेबंदी में पहुंचे, उन्हें लेकर अब तरह तरह के नरेटिव बन रहे हैं। नरेटिव बनाने वाले भी वे खुद ही हैं। एक ग्रुप के विधायकों ने अपने पुराने साथी से यूं ही कह दिया कि उन्होंने तो 300 करोड़ का काम करवा लिया, इसमें कई माइंस लीज और दूसरे काम गिनवा दिए।
इस जुमले को कुछ विधायकों ने सच मानकर तनाव ले लिया और पछताने लगे कि इससे अच्छा तो वे भी अगर आंख दिखाते तो करोड़ों में खेल रहे होते। बाद में नरेटिव बनाने वाले विधायकों ने ही समझाया कि यह कोरा जुमला है जो टाइम पास के लिए चलाया गया था, लेकिन कई अब भी इसे सच मानकर हर रोज परेशान और कुंठित हो रहे हैं।
वोट खारिज करवाने वाले नेताजी को मुखिया की नसीहत
राष्ट्रपति चुनावों के दौरान सत्ताधारी पार्टी के विधायकों को इस बार ज्यादा कुछ ट्रेनिंग नहीं दी गई थी। पिछली बार राज्यसभा चुनावों में खूब ट्रेनिंग के बावजूद एक विधायक ने गलत वोट देकर खारिज करवा लिया। राष्ट्रपति चुनाव की पोलिंग के दिन विधानसभा में प्रदेश के मुखिया विधायकों से मिल रहे थे।
राज्यसभा चुनाव में वोट खारिज करवाने वाले विधायक से मुखिया ने चुटकी लेते हुए नसीहत दे दी कि इस बार ध्यान से वोट देना। इस नसीहत को कई साथी विधायकों ने भी सुना। रिजल्ट आया तो सत्ताधारी खेमे से दो वोट क्रॉस होना पाया गया। पिछली बार तो खारिज ही हुए थे इस बार तो क्रॉस ही हो गए।
रॉन्ग नंबर के चक्कर में मंत्री ने कलेक्टर को सुनाई खरी-खरी
पिछले दिनों एक मंत्री ने एक जिले के कलेक्टर को फोन लगाया। फोन तो कलेक्टर को ही लगा, लेकिन गलत जिले में लग गया। मंत्री इस बात से नाराज थे कि उनके विभाग से जाने वाले नीतिगत मामलों के लेटर्स का कलेक्टर जवाब तक नहीं देते। कलेक्टर से मंत्री ने जमकर नाराजगी जताई।
सब सुनने के बाद कलेक्टर ने उन्हें बताया कि वे जिस जिले की बात कर रहे हैं वो कलेक्टर अलग हैं। दरअसल, जिस कलेक्टर को फोन लगाना था उनका तबादला दूसरे जिले में हो गया, मंत्री को इसकी जानकारी नहीं थी। इस रॉन्ग नंबर वाले फोन में मंत्री के तेवरों की खूब चर्चा है, आम तौर पर ऐसे तेवर कम ही दिखते हैं।
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