NATIONAL NEWS

शुभ योगों में मनेगी महाशिवरात्रि

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

इस बार महा शिवरात्रि 8 मार्च को मनाई जाएगी। प्रतिवर्ष महा शिवरात्रि फाल्गुन कृष्ण पश्च की चतुर्दशी को मनाई जाती है। इस बार भगवान भोलेनाथ को मनाने के लिए व्रत पालन, कावड़ यात्रा, शिवार्चन, रूद्राभिषेक, लघु रूद्र इत्यादि जप, अनुष्ठान होंगे।

कब प्रारंभ होगी चतुर्दशी तिथि

चतुदर्शी तिथि 8 मार्च को रात्रि 9.57 बजे से शुरू होगी जो अगले दिन 9 मार्च को संध्या काल 6.17 बजे तक रहेगी। फाल्गुन कृष्ण पश्च की चतुर्दशी को भगवान भोलेनाथ व माता पार्वती का विवाह हुआ था। शास्त्रोक्त इस दिन पृथ्वी पर मौजूद सभी शिव लिंग में भगवान भोलेनाथ उपस्थित रहते है। इसलिए महा शिवरात्रि को की गई आराधना का कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है।

पूजा का शुभ मुहुर्त

निशीथकाल
रात्रि 12:13 से 01:01 तक

प्रहर:- प्रथम – शाम 06:33 से, द्वितीय – रात्रि 09:35 से
तृतीय – मध्यरात्रि 12:37 से
चतुर्थ – 09 मार्च प्रातः 03:39 से

सवेरे जल्दी उठ कर स्नान करें और व्रत का संकल्प करें। इसके बाद विधि विधान से भगवान शिव की आराधना करें। महाशिव रात्रि को चारों पहर में पूजा करनी चाहिए। रात में में नहीं तो दिन में भी पूजा कर सकते है। घर पर भी पूजा कर सकते हैं।

विशेष

महाशिवरात्रि जो शुक्रवार को पड़ रही हैं और शुक्र प्रदोष व्रत भी है पूरे विधान से भगवान भोलेनाथ की पूजा करने से कुंडली में शुक्र ग्रह से संबंधित समस्त दोष समाप्त होते है। खास तौर से अगर शुक्र राहू- केतु के पाप प्रभाव में ग्रसित है तो इस महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा आराधना, जलाभिषेक, रुद्राभिषेक एवं मंत्र उच्चारण करने से रिलेशनशिप व विवाह सम्बन्धी परेशानियां दूर होती हैं. साथ साथ
जीवन में धन धान्य एवं भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है

धार्मिक शास्त्रोत के अनुसार महा शिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ लिंग रूप में प्रकट हुए थे। सदा शिव ने परम ब्रह्म स्वरूप में साकार रूप धारण किया। भगवान के दर्शन करने से कुंवारी कन्याओं को अच्छा वर प्राप्त होता है, तो वैवाहिक जीवन में भी खुशियां बनी रहती है।

समूचे भारत वर्ष में महाशिवरात्रि पर्व को शिव-पार्वती विवाह की तिथि के रूप में मनाया जा रहा है, लेकिन ये बात कम ही लोग जानते हैं कि शिव-पार्वती का विवाह फाल्गुन फरवरी-मार्च मास में नहीं, बल्कि मार्गशीर्ष माह नवंबर-दिसंबर में हुआ था। ज्योतिषाचार्य मोहित बिस्सा के अनुसार महाशिवरात्रि पर भगवान शिव पहली बार लिंग रूप में प्रकट हुए थे। वैसे कुछ अन्य विद्वानों का मानना है कि शिवलिंग में शिव और पार्वती दोनों समाहित हैं। दोनों ही एक साथ पहली बार इस स्वरूप में प्रकट हुए थे, इस कारण महाशिवरात्रि को भी शिव-पार्वती विवाह की तिथि के रूप में मनाया जाता है, तथा इसके साथ एक कथा और प्रचलित हे की इस दिन भगवान महादेव ने समुंद्र मंथन के दौरान विष का पान किया था जिसके कारण उनका पूरी रात्रि जल, दूध और अन्य औषधियों से अभिषेक किया गया

शिवमहापुराण के रुद्रसंहिता के अनुसार शिव- पार्वती के विवाह की तिथि मार्गशीर्ष माह (अगहन मास) के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को आता है। वहीं, ईशान संहिता में वर्णन है कि फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान लिंग रूप में प्रकट हुए थे। इसी को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। आचार्य मोहित ने बताया कि ईशान संहिता ग्रंथ में बताया गया है कि फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मध्य रात्रि में भगवान शिव, लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। पहली बार शिवलिंग की पूजा भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी द्वारा की गई थी। इसलिए महाशिवरात्रि पर्व को भगवान शिव के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है और शिवलिंग की पूजा की जाती है।

शिवपुराण के 35 वें अध्याय में रूद्र संहिता के अनुसार महर्षि वशिष्ठ ने राजा हिमालय को भगवान शिव और पार्वती विवाह के लिए समझाते हुए विवाह का मुहूर्त मार्गशीर्ष माह में होना तय किया था। जिसके बारे में इस संहिता ग्रंथ के 58 से 61 वें श्लोक में बताया गया है।

शिवरात्रि पर विशेष संयोग

भारतीय पंचांग के अनुसार महीने के कृष्ण पक्ष की चौदस जो शिवरात्रि का दिन है इस बार 8 मार्च शुक्रवार को सर्वार्थ सिद्धि योग पड़ने से ये दिन सर्वाधिक शुभ संयोग वाला है।

शिवरात्रि शुक्र प्रदोष में पड़ रही है जो विशेष शुभकारी है। इस संयोग में भगवान शिव की पूजा और व्रत करने से हर तरह की परेशानियां दूर हो जाती है। शुक्रवार को प्रदोष व्रत रखने से नौकरी और बिजनेस में सफलता मिलती है। इस दिन व्रत और शिव- पार्वती पूजा से समृद्धि आती है। सौभाग्य और दांपत्य जीवन में भी सुख बढ़ता है साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग, शिव योग, सिद्ध योग एवं
श्रवण नक्षत्र होगा. इसके बाद धनिष्ठा नक्षत्र लगेगा। महाशिवरात्रि से एक दिन पहले मीन राशि में बुध ग्रह का गोचर व राहु बुध युति का निर्माण होगा, वही कुंभ राशि में शुक्र, शनि एवं सूर्य एक साथ मिलकर त्रिग्रही
योग बनेंगे, चंद्रमा मंगल ग्रह के साथ मकर राशि में विराजमान रहेंगे। महाशिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी
स्नान आदि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें और हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प करें. फिर मंदिर में विधि-
विधान से भोलेनाथ का पूजन करें और मंदिर में जाकर पंचामृत से उनका जलाभिषेक करें. दिनभर व्रत रखने के बाद शाम को शिवलिंग का विधि-विधान से पूजन करें. शिवलिंग पर चंदन का तिलक करें, बेलपत्र, फल, फूल, भांग और धतूरा अर्पित करें. इसके बाद केसर मिश्रित जल चढ़ाएं और शिवजी के समक्ष घी का दीपक जलाएं. इस दिन भगवान शिव
को केसर युक्त खीर का भोग लगाना चाहिए. यही भोग घर के सदस्यों में प्रसाद के रूप में बांटना चाहिए.

महाशिवरात्रि के विशेष उपाय :-

इसी दिन भगवान‌ शिव अर्द्धरात्रि में ब्रह्माजी के अंश से लिंग रूप में प्रकट हुए थे। कई जगहों पर मान्यता है कि इसी दिन भोलेनाथ का गौरा माता से विवाह हुआ था। इस दिन विधि-विधान से भगवान भोलेनाथ का पूजा-अर्चन किया जाए तो सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

शिवरात्रि पर घर में पारद के शिवलिंग की स्थापना योग्य ब्राह्मण से सलाह कर स्थापना कर प्रतिदिन पूजन कर सकते हैं। इससे आमदनी बढ़ने के योग बनते हैं।
शिवरात्रि पर गरीबों को भोजन कराएं। इससे घर में कभी अन्न की कमी नहीं होगी और पितरों की आत्मा को शांति मिलेगी।
पानी में काले तिल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें व ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र का जप करें। इससे मन को शांति मिलेगी।
शिवरात्रि के दिन आटे से 11 शिवलिंग बनाएं व 11 बार इनका जलाभिषेक करें। इस उपाय से संतान प्राप्ति के योग बनते हैं
शिवलिंग का 101 बार जलाभिषेक करें। साथ ही ॐ हौं जूं सः। ॐ भूर्भुवः स्वः। ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्। उर्व्वारुकमिव बन्धानान्मृत्यो मुक्षीय मामृतात्। ॐ स्वः भुवः भूः ॐ। सः जूं हौं ॐ मंत्र का जप करते रहें। इससे बीमारी ठीक होने में लाभ मिलता है।
*शिवरात्रि पर 21 बिल्व पत्रों पर चंदन से ‘ॐ नम: शिवाय’ लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। इससे इच्छाएं पूरी हो सकती हैं।
*शिवरात्रि पर नंदी (बैल) को हरा चारा खिलाएं। इससे जीवन में सुख-समृद्धि आएगी और परेशानियों का अंत होगा।
*शिवरात्रि पर भगवान शिव को तिल व जौ चढ़ाएं। तिल चढ़ाने से पापों का नाश व जौ चढ़ाने से सुख में वृद्धि होती है।
*अगर विवाह में अड़चन आ रही है तो शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर केसर मिलाकर दूध चढ़ाएं। जल्दी ही विवाह हो सकता है

महादेव का इत्र मिश्रित जल से या सुगंधित जल से अभिषेक करें जिससे ऐश्वर्य की प्राप्ति हो

सबसे अच्छा उपाय आप भगवान का पूरे मन और सर्धा से पूजन करें उनकी कृपा प्राप्त करे

ज्योतिषाचार्य मोहित बिस्सा

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

About the author

THE INTERNAL NEWS

Add Comment

Click here to post a comment

error: Content is protected !!