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सरकार ने क्यों बंद किए अफसरों के समोसे-बर्गर-सैंडविच?:अब लंच टाइम में घर जाने पर बैन की तैयारी, जानिए और कितना बदलेगी ब्यूरोक्रेसी

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सरकार ने क्यों बंद किए अफसरों के समोसे-बर्गर-सैंडविच?:अब लंच टाइम में घर जाने पर बैन की तैयारी, जानिए और कितना बदलेगी ब्यूरोक्रेसी

जयपुर

राजस्थान में अब सरकारी मीटिंग में अफसर चना-मूंगफली खाते हुए दिखाई देंगे। कार्मिक विभाग ने एक आदेश जारी कर सचिवालय में आईएएस-आरएएस अफसरों की मीटिंग में परोसे जाने वाले मिठाई, चिप्स, समोसे, बर्गर-सैंडविच आदि पर रोक लगा दी है। नए आदेशों के अनुसार मीटिंग में अब केवल भुने हुए चने, भुनी हुई मूंगफली और कभी-कभी मल्टी ग्रेन बिस्किट परोसे जाएंगे।

हाल ही में मुख्यमंत्री ने खुद के लिए आदेश जारी किए थे कि वे खर्च घटाने के लिए विशेष विमान से यात्रा नहीं करेंगे, उन्होंने ऐसा किया भी। प्रदेश में पहली बार ड्यूटी से नदारद मिले RAS-IAS को एपीओ किया गया।

राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी में ये कुछ ऐसे बदलाव हैं, जो पहले कभी नहीं हुए। अब जल्द अफसरों को दफ्तर में ही लंच करने के निर्देश मिल सकते हैं। बोर्ड-निगमों में संविदा पर लगे रिटायर्ड कार्मिक हटाए जाएंगे।

सरकारी खर्चे को कम करने, अफसरों पर लगाम कसने, उन्हें पब्लिक फ्रेंडली बनाने के लिए ऐसे कई बदलाव हैं जो आने वाले दिनों में देखने को मिल सकते हैं। पढ़िए- मंडे स्पेशल स्टोरी में…

सचिवालय की बैठकों में नाश्ते का नया मेन्यू तय करने के पीछे खर्च कम करने की कोशिश बताई जा रही है।

सचिवालय की बैठकों में नाश्ते का नया मेन्यू तय करने के पीछे खर्च कम करने की कोशिश बताई जा रही है।

सरकारी मीटिंग में नमकीन का खर्च करोड़ों में
सरकार का मानना है कि न केवल कचौरी-समोसे, चिप्स, मिठाई आदि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं बल्कि ये तुलनात्मक रूप से बहुत महंगे भी होते हैं। इसकी बजाय भुने हुए चना-मूंगफली स्वास्थ्यवर्द्धक भी होते हैं और साथ ही तुलनात्मक रूप से सस्ते भी होते हैं।

मीटिंग में प्लास्टिक की पानी की बोतलों की बजाय अब कांच की बोतलों से गिलास में पानी दिया जाएगा। क्योंकि प्लास्टिक की बोतल केवल एक बार ही उपयोग में आती है और इससे प्लास्टिक कचरे को बढ़ावा मिलता है। यह पर्यावरण और अर्थव्यवस्था, दोनों के लिए घातक है।

सूत्रों का कहना है कि अभी तक ये आदेश केवल सचिवालय पर ही लागू किए गए हैं, लेकिन अगले सप्ताह तक ये आदेश प्रदेश के सभी प्रमुख कार्यालयों और जिला कलेक्ट्रेट सहित बोर्ड-निगमों में लागू कर दिए जाएंगे।

एक आकलन के अनुसार सरकार एक वर्ष में इस आदेश से पूरे प्रदेश में करीब 2-3 करोड़ रुपए की बचत कर सकेगी। सरकार की कोशिश है कि कोई ऐसा तंत्र विकसित किया जाए, जिससे भुने हुए चने और मूंगफली की आपूर्ति भी किसी सरकारी संस्थान से ही हो।

कार्मिक विभाग का यह सर्कुलर विभागों की बैठकों पर लागू होगा। मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) को इससे अलग रखा गया है।

कार्मिक विभाग का यह सर्कुलर विभागों की बैठकों पर लागू होगा। मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) को इससे अलग रखा गया है।

क्या है इस आदेश के पीछे मंशा?
प्रदेश में सचिवालय में मंत्री कक्षों में आवभगत और बैठकों में होने वाला खर्च करोड़ों रुपयों मे होता है। एक-एक मंत्री के कक्ष में पूर्ववर्ती सरकार के दौरान 2 से 3 लाख रुपए का बिल तो महज कचौरी-समोसे का ही आता रहा है। कई बार वित्त विभाग की आपत्तियां भी सामने आई हैं, लेकिन इस विषय में कभी सरकारों के स्तर पर ध्यान नहीं दिया गया। किसी सरकार के पूरे कार्यकाल (5 वर्ष) को देखा जाए तो यह खर्च करोड़ों रुपयों तक पहुंचता है।

सचिवालय के दो समिति कक्षों में सामान्यतः: एक वर्ष में लगभग 215-220 मीटिंग होती हैं। प्रत्येक मीटिंग में 25 से 50 मेहमान तक आते हैं। इन कक्षों में होने वाली मीटिंग में नाश्ते का खर्च एक बार में ही लगभग 3000-4000 रुपए हो जाता है। सीएमओ और मंत्रियों-अधिकारियों के कक्षों में होने वाली मीटिंग के खर्चे अलग से होते हैं। वहां भी लगभग हर कार्य दिवस पर कोई न कोई मीटिंग जरूर होती है। अब यह खर्च स्वत: ही कम हो सकेगा।

एसएमएस अस्पताल में औचक निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा।

एसएमएस अस्पताल में औचक निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा।

सरकारी विभागों में अफसरों-कर्मचारियों की अनुपस्थिति पर कार्रवाई
प्रदेश में अब तक प्रशासनिक सुधार विभाग और जिलों में कलेक्टरों की तरफ से अक्सर सरकारी विभागों में छापा मारकर उपस्थित व अनुपस्थित कर्मचारियों-अधिकारियों का निरीक्षण किया जाता रहा है, लेकिन कार्मिकों को केवल चेतावनी नोटिस देकर छोड़ा जाता रहा है। लेकिन, भजनलाल सरकार में पहली बार अनुपस्थित कार्मिकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई मौके पर ही की गई। इसमें सामान्य कर्मचारी ही नहीं बल्कि आरएएस और आईएएस अफसर तक शामिल हैं।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने खुद 25 दिसंबर, 2023 की रात को अचानक एसएमएस अस्पताल का दौरा किया। वहां ड्यूटी पर अनुपस्थित पाए गए तीन नर्सिंग कर्मियों को सस्पेंड किया। सीएम ने इसके बाद रैन बसेरों और सिंधी कैम्प पुलिस थाने का भी अचानक निरीक्षण किया था।

मुख्यमंत्री के औचक निरीक्षण के बाद जारी स्वास्थ्य विभाग का सर्कुलर।

मुख्यमंत्री के औचक निरीक्षण के बाद जारी स्वास्थ्य विभाग का सर्कुलर।

उसके बाद मुख्य सचिव सुधांश पंत ने 23 जनवरी को जेडीए का अचानक दौरा किया। वहां अनुपस्थित मिली एक आईएएस अफसर नलिनी कठोतिया और दो आरएएस अधिकारी आनंदी लाल वैष्णव व प्रवीण कुमार को मौके पर ही एपीओ कर दिया गया।

इस कार्रवाई के बाद मुख्य सचिव पंत के स्तर पर जेडीए को जो निर्देश दिए गए, उनके तहत जेडीए में अब किसी भी फाइल पर डिस्कस (विमर्श करना) लिखकर अटकाने पर भी रोक लगा दी गई है। जेडीए आयुक्त मंजू राजपाल (आईएएस) ने आदेश दे दिए हैं कि जिस भी फाइल पर अधिकारी डिस्कस का नोट लगाएंगे, उन्हें बताना होगा कि उसके पीछे कारण क्या है। ऐसे में अफसरों की फाइलों को बेवजह अटकाने की मनोवृत्ति पर रोक लग सकेगी।

मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के इन औचक निरीक्षणों का संदेश प्रदेश भर के सरकारी तंत्र में यह गया है कि किसी भी कार्यालय का अचानक निरीक्षण किया जा सकता है।

राजस्थान के मुख्य सचिव सुधांश पंत ब्यूरोक्रेसी में संदेश देने के लिए दफ्तर में ही लंच कर रहे हैं।

राजस्थान के मुख्य सचिव सुधांश पंत ब्यूरोक्रेसी में संदेश देने के लिए दफ्तर में ही लंच कर रहे हैं।

अफसरों को दफ्तर में ही लंच करने का संदेश
मुख्य सचिव सुधांश पंत ने एक जनवरी को कार्यभार संभालने के बाद से रोजाना सुबह ठीक 9 बजे (कार्यालय समय 9 बजकर 30 मिनट से आधा घंटा पहले) सचिवालय पहुंचने का नियम बना रखा है। सीएस पंत रोजाना 9 बजे ऑफिस आ रहे हैं। उसके बाद वे लंच भी दफ्तर में ही कर रहे हैं। अभी तक सचिवालय सहित प्रदेश भर के दफ्तरों में अफसर करीब दोपहर साढ़े बारह बजे से साढ़े 3 बजे के दौरान लंच करने अपने घरों पर जाते हैं।

देखा जाए तो लंच के लिए अधिकृत रूप से कोई समय सरकार के स्तर पर तय ही नहीं है। मुख्य सचिव ने एक संदेश दिया है कि लंच के लिए जाने के दौरान 2-3 घंटे कार्यालय समय खराब होता है, साथ ही सरकारी वाहनों में पेट्रोल-डीजल का भी अतिरिक्त खर्च होता है जो उचित नहीं है। सूत्रों का का कहना है कि जल्द ही राजधानी के 2 बड़े कार्यालयों में अचानक लंच समय में औचक निरीक्षण किया जाएगा।

नई नौकरियों में युवाओं को मौका देने के लिए प्रदेश में नियुक्त रिटायर्ड कार्मिकों की सेवाएं कम करने पर विचार किया जा रहा है।

नई नौकरियों में युवाओं को मौका देने के लिए प्रदेश में नियुक्त रिटायर्ड कार्मिकों की सेवाएं कम करने पर विचार किया जा रहा है।

नगरीय विकास के बाद अब सभी विभागों, बोर्ड-निगमों से हटाए जाएंगे रिटायर्ड कार्मिक
हाल ही मुख्य सचिव सुधांश पंत के निर्देशों के बाद नगरीय विकास विभाग में कार्यरत 2000 रिटायर्ड कर्मियों को हटा दिया गया है। अब पूरे राज्य से यह जानकारी जुटाई जा रही है कि कितने विभागों, बोर्ड-निगमों में कितने रिटायर्ड कार्मिक संविदा पर लगे हुए हैं। उन सभी को एक ही आदेश से हटाए जाने की तैयारियां की जा रही है। हर सरकार में रिटायर्ड अधिकारी-कर्मचारी मिलीभगत करके नौकरी पर लग जाते हैं, जिन्हें मोटी रकम बतौर मानदेय दी जाती है।

यह राज्य सरकार पर बेवजह का आर्थिक भार तो है ही, साथ ही सिस्टम में युवाओं की भर्ती के रास्ते भी बंद पड़े रहते हैं। अक्सर भ्रष्टाचार के मामलों में संविदा पर लगे लोग और रिटायर्ड कार्मिक पकड़ में आते रहे हैं। अब इस व्यवस्था को पूरी तरह से खत्म किया जाएगा। 15 फरवरी तक पूरे प्रदेश से इन्हें हटाकर एक समीक्षा बैठक जयपुर में की जाएगी।

प्रशासनिक सुधार विभाग को अब फाइलों की सुस्ती से निकालकर फील्ड की फुर्ती में लाया जाएगा
प्रशासनिक सुधार विभाग मुख्यत: ब्यूरोक्रेसी का असली बॉस विभाग होता है, लेकिन राजस्थान में यह विभाग पूरी तरह से सुस्त पड़ा है। इस विभाग का काम सरकारी अफसरों और कर्मचारियों की माॅनिटरिंग का होता है, लेकिन यह करता नहीं है। अब मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव ने इस विभाग की कमान आईएएस अफसर गौरव गोयल को सौंपी है।

गौरव गोयल के साथ चर्चा के दौरान मंत्री किरोड़ीलाल मीणा।

गौरव गोयल के साथ चर्चा के दौरान मंत्री किरोड़ीलाल मीणा।

गौरव गोयल 5 जिलों में कलेक्टर रह चुके हैं। जेडीसी, खान विभाग के निदेशक रहने के साथ वे सीएमओ में कामकाज कर चुके हैं। विभाग जल्द ही सभी जिला कलेक्टरों के लिए कुछ दिशानिर्देश तैयार कर रहा है। गोयल ने हाल ही सीएम भजनलाल शर्मा और मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के साथ जन सुनवाई का दौरा किया था और संपर्क पोर्टल सिस्टम को ऑब्जर्व भी किया था।

किसी भी मंत्री के अब तक नहीं लगाए गए पीएस
हर मंत्री के पास एक आरएएस अफसर को निजी सचिव लगाने की परंपरा रही है। सामान्यतः मंत्री स्वयं ही किसी अधिकारी का नाम सीएमओ और कार्मिक विभाग को सुझा देते थे और उन्हें उनका पीएस लगा दिया जाता था। पूर्ववर्ती सरकारें चाहे कांग्रेस की रही हों या भाजपा की, उनमें यह बात बेहद सामान्य थी कि किसी मंत्री का पीएस केवल वे ही आरएएस अफसर लगते थे, जो या मंत्री के जाति-समुदाय से होते थे या फिर उनके निर्वाचन क्षेत्र में एसडीएम या एडीएम रह चुके होते थे।

अक्सर मंत्रियों और उनके निजी सचिवों के बीच विभागों में एक गठजोड़ बन जाता था। इस बार सरकार ने यह परिपाटी बंद कर दी है। जो सूची मंत्रियों की पसंद के अनुसार बनी थी, उसे विचाराधीन करके रोक दिया गया है। अब उसमें बहुत से संशोधन करके जल्द ही जारी किया जाएगा। इसमें यह ध्यान रखा जाएगा कि जातिवाद और क्षेत्रवाद से जुड़ाव नहीं रहे।

हाल ही में 24 जनवरी को मुख्यमंत्री जोधपुर दौरे पर गए तो विशेष विमान की बजाय सामान्य फ्लाइट में गए थे।

हाल ही में 24 जनवरी को मुख्यमंत्री जोधपुर दौरे पर गए तो विशेष विमान की बजाय सामान्य फ्लाइट में गए थे।

सीएम करेंगे सामान्य फ्लाइट से ही यात्रा
सीएम भजनलाल शर्मा अब दिल्ली या देश के अन्य शहरों में यात्रा-दौरों पर जाने के लिए सरकार के विशेष विमान या हेलिकॉप्टर के बजाय सामान्य फ्लाइट से ही यात्रा करेंगे। किन्हीं विशेष परिस्थितियों में ही हेलिकॉप्टर या विमान की सेवाएं ली जाएंगी। सीएम भजनलाल ने पहली बार विशेष विमान से यात्रा करने के बाद ही अधिकारियों से उस यात्रा खर्च की जानकारी ली थी। उन्हें यह यात्रा खर्च बेवजह लगा। अब जल्द ही सभी आईएएस-आईपीएस अधिकारियों की हवाई यात्राओं के बारे में भी निर्देश जारी किए जाएंगे।

अफसरों-मंत्रियों की संपत्ति की सूचना सार्वजनिक करने पर भी चल रहा काम
राजस्थान सहित देश के विभिन्न राज्यों में यह नियम है कि सीएम सहित सभी मंत्रियों को सामान्य प्रशासन विभाग को और आईएएस-आईपीएस व अन्य ब्यूरोक्रेट को अपनी संपत्ति की सूचना कार्मिक विभाग को देनी होती है। कुछ वर्षों पहले तक इन सूचनाओं को सार्वजनिक रूप से विभाग की वेबसाइट पर जारी किया जाता था।

ये सूचनाएं प्रत्येक वर्ष की 31 जनवरी तक जारी करनी होती थी। सूचनाएं तो सरकार के पास अभी भी आ रही हैं, लेकिन उन्हें सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है। लेकिन, अब फिर से विभागों की वेबसाइट पर संपत्ति संबंधी सूचनाओं को सार्वजनिक किया जाएगा। इस विषय में काम चल रहा है।

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