सरोगेसी से बच्चा लेने वाली मां भी है Maternity Leave की हकदार, राजस्थान HC का अहम फैसला
हाईकोर्ट ने कहा कि प्राकृतिक जैविक मां और सरोगेट/कमीशन मां के बीच अंतर करना मातृत्व का अपमान होगा. सरोगेसी से पैदा हुए बच्चों को दूसरों की दया पर नहीं छोड़ा जा सकता.
Rajasthan Maternity Leave: सरोगेसी से बच्चा लेने वाली मां भी मातृत्व अवकाश (Maternity Leave) की हकदार है. ये कहना राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) का. इसके साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता को मातृत्व अवकाश के तहत 180 दिन का अवकाश देने के आदेश दिए हैं. हाईकोर्ट ने आगे कहा कि मातृत्व अवकाश को लेकर किसी मां के प्रति कोई पूर्वाग्रह नहीं होना चाहिए क्योंकि उसने सरोगेसी प्रक्रिया के जरिए बच्चे को जन्म दिया है.
अदालत ने साफ कहा,
” सरोगेसी की प्रक्रिया से बच्चा पैदा करने वाली मां को मातृत्व अवकाश से इनकार नहीं किया जा सकता है.”
क्या है पूरा मामला?
महिला की याचिका पर हाईकोर्ट ने ये आदेश दिए. महिला को सरोगेसी से जुड़वां बच्चे पैदा हुए थे. जुड़वा बच्चों के जन्म के बाद, याचिकाकर्ता ने राजस्थान सेवा नियम, 1958 के अनुसार मातृत्व अवकाश का लाभ उठाने की मांग की.
हालांकि, उसे इस आधार पर मातृत्व अवकाश देने से इनकार कर दिया गया था कि 1958 के नियमों के तहत सरोगेसी के माध्यम से बच्चे पैदा करने वाले जोड़े को मातृत्व अवकाश देने का कोई प्रावधान नहीं है.
हाईकोर्ट ने क्या कहा?
राज्य के अधिकारियों को याचिकाकर्ता को 180 दिनों का मातृत्व अवकाश देने का आदेश देते हुए अदालत ने कहा कि हालांकि देश भर की अदालतों ने माना है कि जैविक या सरोगेट माताओं को ऐसे अवकाश देने में कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है.
अदालत ने कहा कि सरोगेट माताओं को मातृत्व अवकाश देने से इनकार करने का मतलब भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उनके जीवन के अधिकार का उल्लंघन होगा. अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार में मातृत्व का अधिकार और प्रत्येक बच्चे के पूर्ण विकास का अधिकार भी शामिल है. अगर सरकार गोद लेने वाली मां को मातृत्व अवकाश प्रदान कर सकती है, तो सरोगेसी प्रक्रिया के माध्यम से बच्चे को जन्म देने वाली मां को मातृत्व अवकाश देने से इनकार करना पूरी तरह से अनुचित होगा.
हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि प्राकृतिक जैविक मां और सरोगेट/कमीशन मां के बीच अंतर करना मातृत्व का अपमान होगा. सरोगेसी से पैदा हुए बच्चों को दूसरों की दया पर नहीं छोड़ा जा सकता.
आखिरी में हाईकोर्ट ने सरकार से इस मसले पर उचित कानून बनाने के लिए कहा.
अदालत ने हाईकोर्ट रजिस्ट्री को आदेश की कॉपी केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय के साथ-साथ राजस्थान सरकार के कानून और कानूनी मामलों के विभाग के प्रमुख सचिव को कार्रवाई के लिए भेजने का आदेश दिया.
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