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सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीट्यूट के तत्वावधान में युवाओं के लिए समकालीन राजस्थानी युवा कविता के स्वर कार्यक्रम की तीसरी कड़ी आयोजित

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राजस्थानी की युवा पीढ़ी सर्वाधिक संभावनाशील है: जोशी


बीकानेर/ सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीट्यूट, बीकानेर के तत्वावधान में समकालीन राजस्थानी युवा कविता के स्वर कार्यक्रम की तीसरी कड़ी का आयोजन रविवार को बीकानेर व्यापार उद्योग मंडल के सभागार में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार कवि -कथाकार राजेन्द्र जोशी ने की, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि साहित्यकार-सम्पादक रवि पुरोहित थे ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कवि -कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि
अध्यक्षता करते हुए कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि राजस्थानी भाषा में वर्तमान पीढ़ी सर्वाधिक संभावनाशील नजर आती है। जो पौराणिक कथाओं के साथ-साथ वर्तमान और भविष्य के सन्दर्भों को अपनी कविताओं में उपस्थित करते हैं। जोशी ने कहा कि युवाओं की राजस्थानी रचनाओं में स्थानीयता से लेकर वैश्वीकरण तक के विषय प्रमुखता में रहते हैं। जोशी ने कहा कि राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए ऐसे आयोजन महत्वपूर्ण है।

मुख्य अतिथि साहित्यकार रवि पुरोहित ने कहा कि युवा कवियों को अपनी सर्जनात्मक प्रविधि में राजस्थानी मुहावरे, संस्कृति और मूल्य बोध को रचनाओं में शामिल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विषय और बुनगट के स्तर पर युवाओं को अतिरिक्त सावचेत रहना पड़ेगा।
रविवार को आयोजित कार्यक्रम में राजस्थानी के तीन युवा कवियों ने अपनी शानदार प्रस्तुति से कार्यक्रम को उमंग और जोश से भर दिया
आज के युवा कवियों में शंशाक शेखर जोशी , राहुल पंवार एवं कपिला पालीवाल ने अपनी प्रस्तुति दी। युवा कवि शशांक शेखर जोशी ने शहर की संस्कृति को संदर्भ में रखकर दस से अधिक राजस्थानी कविताओं की ओजपूर्ण प्रस्तुति देते हुए दर्शकों को भाव विभोर कर दिया उन्होंने युद्धम शरणम गच्छामि ,जै हो राजस्थान , मैंदी ,कौवस कौवस, कथा ,पितरां री आवाजां ,गायब, परकोटो , आंदोलन , भाषा री मानता, म्हारो सागौ , एवं बीकानेर शीर्षक से भावपूर्ण राजस्थानी कविताएं सुनाकर वाह वाही लूटी ।
युवा कवियत्री कपिला पालीवाल ने राजस्थानी की जेवड़ी, एक सुपणो एवं मत बिसराज्यो शीर्षक की प्रभावी प्रस्तुती से श्रोताओं को भाव विभोर किया।
युवा कवि राहुल पंवार ने संस्कार, सच ,पीढ़ी एवं घर शीर्षक की रचनाएं सुनाई।
तीनों युवा कवियों की कविताओं पर त्वरित टिप्पणी करते हुए कवि-आलोचक संजय आचार्य ‘वरुण’ ने कहा कि इन युवा रचनाकारों को सुनने के बाद आश्वस्ति हुई कि राजस्थानी कविता का भविष्य जिम्मेदार हाथों में है। संवेदनशील युवा कवियों की कविता का इनका अपना मुहावरा है ।
प्रारंभ में कार्यक्रम प्रभारी साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने स्वागत उद्बोधन करते हुए कहा कि आगमी समय में संस्थान द्वारा अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे, स्वर्णकार ने युवाओं को राजस्थानी भाषा-संस्कृति से जोड़ना एवं निरंतर बनाए रखना आवश्यक बताया।
अतिथियों ने तीनों युवा कवियों को स्मृति चिह्न एवं नगद राशि देकर सम्मान किया । बागेश्वरी कला साहित्य संस्थान की ओर से स्मृति चिन्ह भेंट किए गए कार्यक्रम के अंत में शायर अब्दुल शकूर सिसोदिया ने सभी का आभार प्रकट किया।
कार्यक्रम का प्रभावी संचालन हास्य कवि बाबूलाल छंगाणी ने किया।
कार्यक्रम में डाॅ. जगदीश बारहठ, कमल रंगा ,ऋषि कुमार अग्रवाल, महेश उपाध्याय, डाॅ. मोहम्मद फारुख चौहान, एडवोकेट गंगा विशन बिश्नोई, सरोज भाटी , बी.एल.नवीन , डाॅ.गौरीशंकर प्रजापत, जुगल किशोर पुरोहित, एवं विपल्व व्यास की गरिमामय उपस्थिति रही।

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