नई दिल्ली। 21 अक्तूबर 2024; साहित्य अकादेमी द्वारा आज प्रसिद्ध उर्दू कथाकार एवं आलोचक असलम जमशेदपुरी के साथ कथासंधि कार्यक्रम का आयोजन किया गया। अपनी रचना प्रक्रिया के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि बचपन से ही उन्हें घर में रखे इब्ने शफ़ी, बुशरा रहमान आदि के उपन्यास पढ़ने का शौक था और उन्हीं को पढ़-पढ़ कर लिखने की कोशिश बचपन में ही शुरु कर दी थी। वे अपनी रचनाओं को लिफाफे में रखकर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं को भेज देते थे और इसीतरह उनकी पहली कहानी निशानी जब छपी जब वे आठवीं क्लास में पढ़ते थे। 1992 में जमशेदपुर से शिक्षा पूरी करने के बाद वे दिल्ली आ गए और एक अखबार में नौकरी करने लगे। उनका पहला कहानी संग्रह ‘उफ़क की मुस्कुराहट’ 1997 में आया, साथ ही बच्चों की कहानियों का संग्रह ‘ममता की आवाज’ भी इसी वर्ष प्रकाशित हुआ। आलोचना की उनकी पहली पुस्तक 2001 में प्रकाशित हुई। उन्होंने अपनी लोकप्रिय पुस्तकों उर्दू फिक्शन के पाँच रंग (आलोचना), लेंड्रा (कहानी-संग्रह) आदि के बारे में भी विस्तार से बताया। उन्होंने अपनी कहानी ‘गोदान से पहले’ का पाठ भी किया, जिसमें एक हिंदू परिवार का गाय प्रेम और बदली हुई परिस्थितियों में उन पर गाय को बेचने के आरोप जैसे असंवेदनशील और मार्मिक पक्ष को प्रस्तुत किया गया था।
कार्यक्रम के पश्चात उपस्थित श्रोताओं के प्रश्नों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि मैंने प्रेमचंद, मंटो, इस्मत चुगताई, कृश्न चंदर के लेखन की सच्चाई की परंपरा को आगे बढ़ाने का काम किया है। मैं अपने लेखन से इन सब का महत्त्व और इनके असर को आम पाठकों के बीच लाना चाहता हूँ। ज्ञात हो कि असलम जमशेदपुरी की 42 पुस्तकें प्रकाशित हैं, जिनमें कहानी-संग्रह, आलोचना पुस्तकें और संपादित पुस्तकें भी शामिल हैं। आप चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। कार्यक्रम में उर्दू के कई महत्त्वपूर्ण लेखक, प्राध्यापक फ़ारूख बक्शी, परवेज शहरयार, चंद्रभान खयाल, अब्बू ज़हीर रब्बानी, ख़्वाजा गुलाम सैय्यदन एवं छात्र-छात्राएँ उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन अकादेमी के उपसचिव देवेंद्र कुमार देवेश ने किया।
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