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स्वीडन में ईद-अल-अजहा के मौके पर मस्जिद के बाहर जलाई कुरान:अकेला प्रदर्शनकारी था, सरकार ने अभिव्यक्ति की आजादी के तहत इजाजत दी; तुर्किये बोला- ये अपराध

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स्वीडन में मस्जिद के बाहर जलाई कुरान:अकेला प्रदर्शनकारी था, सरकार ने अभिव्यक्ति की आजादी के तहत इजाजत दी; तुर्किये बोला- ये अपराध

इस फुटेज में प्रदर्शनकारी कुरान को उछालता और फिर स्वीडन का झंडा लहराता नजर आ रहा है। - Dainik Bhaskar

इस फुटेज में प्रदर्शनकारी कुरान को उछालता और फिर स्वीडन का झंडा लहराता नजर आ रहा है।

स्वीडन में ईद-अल-अजहा के मौके पर बुधवार को स्टॉकहोम की एक मस्जिद के बाहर एक शख्स ने कुरान जलाकर प्रदर्शन किया। इसके लिए उसे स्वीडिश सरकार से परमिशन मिली थी। CNN के मुताबिक, अभिव्यक्ति की आजादी के तहत एक दिन के प्रदर्शन के लिए ये इजाजत दी गई थी। इस प्रोटेस्ट में सिर्फ एक ही व्यक्ति अपने ट्रांसलेटर के साथ शामिल हुआ था।

रॉयटर्स के मुताबिक, प्रदर्शन कर रहे शख्स ने कुरान के कुछ पन्नों को फाड़कर उसमें आग लगा दी। इसके बाद उसने स्वीडन का झंडा भी लहराया। प्रोटेस्ट देख रहे 200 लोगों में से कुछ उसके पक्ष में तो कुछ विरोध में नारे लगाते हैं। इनमें से एक व्यक्ति ने अरबी में गॉड इज ग्रेट चिल्लाकर प्रदर्शनकारी पर पत्थर भी फेंका। इसके बाद पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया।

सरकार से इजाजत मिलने के बाद मस्जिद के सामने इस शख्स ने कुरान में आग लगा दी।

सरकार से इजाजत मिलने के बाद मस्जिद के सामने इस शख्स ने कुरान में आग लगा दी।

प्रदर्शन देख रहे एक शख्स ने इसका विरोध करते हुए पत्थर फेंका तो पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया।

प्रदर्शन देख रहे एक शख्स ने इसका विरोध करते हुए पत्थर फेंका तो पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया।

तुर्किये बोला- अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर इस्लामोफोबिया फैला रहे
स्वीडन में कुरान जलाने पर तुर्किये ने विरोध जताया है। तुर्किये के विदेश मंत्रालय ने इसे जघन्य अपराध बताया है। विदेश मंत्री हकन फिदान ने ट्वीट कर कहा- अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर कोई भी इस्लाम विरोधी प्रदर्शन नहीं कर सकता है। हमें इसे स्वीकार नहीं करेंगे। अगर कोई देश NATO में शामिल होकर हमारा साथी बनना चाहता है तो उसे इस्लामोफोबिया फैला रहे आतंकियों को काबू में करना होगा।

स्वीडन के PM बोले- कार्रवाई पर पुलिस लेगी फैसला
स्वीडन के प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टर्सन ने कहा- मैं इस बात पर कोई अटकलें नहीं लगाना चाहता कि इस प्रदर्शन का हमारी संभावित NATO मेंबरशिप पर क्या असर पड़ेगा। इस तरह का विरोध प्रदर्शन कानून के दायरे में आता है लेकिन फिर भी ये सही नहीं है। मामले में क्या कार्रवाई की जाएगी ये पुलिस ही तय करेगी। बता दें कि प्रदर्शन के बाद पुलिस ने उस व्यक्ति के खिलाफ एक धर्म को टारगेट करने का केस दर्ज किया है।

कुरान जलाने के बदले में तुर्किये में लोगों ने स्वीडन का झंडा फूंक दिया था।

कुरान जलाने के बदले में तुर्किये में लोगों ने स्वीडन का झंडा फूंक दिया था।

तुर्किये की एंबेसी के बाहर भी जलाई गई थी कुरान
इससे पहले साल की शुरुआत में भी स्वीडन में तुर्किये की एंबेसी के बाहर कुछ लोगों ने प्रदर्शन किया था और कुरान जला दी थी। इसका तुर्किये की राजधानी अंकारा में जमकर विरोध हुआ था। लोगों ने स्वीडन के दूतावास के बाहर प्रदर्शन करते हुए उनके झंडे को जला दिया था। CNN के मुताबिक, तुर्किये ने इसके लिए स्वीडन की सरकार को जिम्मेदार ठहराया था।

स्वीडन पुलिस ने फरवरी में इराक के दूतावास के बाहर उन्हें कुरान जलाकर प्रदर्शन करने की इजाजत नहीं दी थी। पुलिस का कहना था कि इससे सामाजिक सौहार्द्र बिगड़ सकता है। एक एंटी-NATO समूह पर भी कुरान की प्रति जलाने पर बैन लगाया गया था, लेकिन इस साल अप्रैल में कोर्ट ने इस बैन को हटा दिया था। कोर्ट ने कहा कि देश के संविधान के तहत लोगों के पास एकजुट होकर प्रदर्शन करने का अधिकार है। अदालत ने यह कहकर इन प्रदर्शनों को मंजूरी दी है कि यह अभिव्यक्ति की आजादी है।

NATO मेंबरशिप पर पड़ सकता है असर
स्वीडन में मस्जिद के बाहर हुए इस प्रदर्शन का उसकी NATO सदस्यता पर असर पड़ सकता है। दरअसल, स्वीडन में लगातार एंटी-इस्लामिक प्रदर्शन होते रहते हैं। इस वजह से तुर्किये और स्वीडन के रिश्तों में तनाव रहता है। तुर्किये ने स्वीडन पर एक धर्म को टारगेट करने का आरोप लगाते हुए उसकी मेंबरशिप अटका रखी है। हालांकि, स्वीडन ने बार-बार खुद के इस्लाम-विरोधी होने से इनकार किया।

NATO की नींव कैसे पड़ी थी

  • दूसरे विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ को रोकने के लिए अमेरिकी और यूरोपीय देशों ने सैन्य गठबंधन बनाया था, जिसे NATO के नाम से जाना जाता है।
  • दूसरे विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ और अमेरिका दो सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरे, जो दुनिया पर अपना दबदबा कायम करना चाहते थे। इससे अमेरिका और सोवियत संघ के संबंध बिगड़ने लगे और उनके बीच कोल्ड वॉर की शुरुआत हुई।
  • सोवियत संघ की कम्युनिस्ट सरकार दूसरे विश्व युद्ध के बाद कमजोर पड़ चुके यूरोपीय देशों पर अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहती थी।
  • सोवियत संघ की योजना तुर्की और ग्रीस पर दबदबा बनाने की थी। तुर्की और ग्रीस पर पर कंट्रोल से सोवियत संघ ब्लैक सी के जरिए होने वाले दुनिया के व्यापार को कंट्रोल करना चाहता था।
  • सोवियत संघ की इन नीतियों से पश्चिमी देशों और अमेरिका से उसके संबंध पूरी तरह खराब हो गए।
  • आखिरकार यूरोप में सोवियत संघ के दबदबे को रोकने के लिए यूरोपीय देशों और अमेरिका ने मिलकर NATO की नींव डाली।
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