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हक की बात: पति या पत्नी सेक्स से इनकार करे तो? हिंदू मैरिज एक्ट में अत्याचार, IPC में नहीं!

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हक की बात: पति या पत्नी सेक्स से इनकार करे तो? हिंदू मैरिज एक्ट में अत्याचार, IPC में नहीं!

Sex And Cruelty Under Law: पति ने अपने आध्यात्मिक विश्वास का हवाला देते हुए पत्नी से संबंध नहीं बनाए। कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा कि पति का शारीरिक संबंध न बनाना हिंदू मैरिज एक्ट-1955 के तहत क्रूरता के दायरे में आता है।

हाइलाइट्स

  • पति शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करे तो हिंदू मैरिज एक्ट के तहत क्रूरता: HC
  • सेक्‍स से इनकार करना इंडियन पीनल कोड के तहत क्रूरता नहीं: कर्नाटक हाई कोर्ट
  • सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा था, पति या पत्‍नी का सेक्‍स से इनकार करना क्रूरता

बेंगलुरु: पति या पत्नी का लंबे समय तक शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करना क्रूरता के दायरे में आता है। यह व्यवस्था सुप्रीम कोर्ट भी दे चुका है। हालांकि, एक ताजा फैसले में कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा है कि सेक्‍स से इनकार करना हिंदू मैरिज एक्ट-1955 के तहत क्रूरता है मगर इंडियन पीनल कोड (IPC) की धारा 498A के तहत नहीं। HC ने यह फैसला सुनाते हुए एक व्यक्ति और उसके माता-पिता के खिलाफ कार्यवाही रद्द कर दी। व्यक्ति की पत्नी ने 2020 में क्रिमिनल केस दर्ज कराया था। पति ने खुद के और पैरंट्स के खिलाफ IPC की धारा 498A और दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 4 के तहत दायर चार्जशीट को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। जस्टिस एम. नागप्रसन्‍ना ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ इकलौता आरोप यह है कि वह एक विशेष आध्यात्मिक विचार को मानता है। उसका विश्वास है कि ‘प्रेम का मतलब शारीरिक संबंध बनाना नहीं, यह आत्मा से आत्मा का मिलन होना चाहिए।’

अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता ने ‘कभी भी पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा नहीं जाहिर की थीं’, जो कि ‘निस्संदेह हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 12 (1) (ए) के तहत विवाह को पूरा करने के चलते क्रूरता’ कहा जाएगा।’ लेकिन यह धारा 498ए के तहत परिभाषित क्रूरता के दायरे में नहीं आता है।

शादी खत्म हो गई फिर भी जारी रखा क्रिमिनल केस

इस जोड़े की शादी 18 दिसंबर, 2019 को हुई थी लेकिन पत्नी ससुराल में सिर्फ 28 दिन रही। उसने 5 फरवरी, 2020 को पुलिस में 498A और दहेज एक्ट के तहत शिकायत दर्ज कराई। हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 12 (1) (ए) के तहत फैमिली कोर्ट में भी मुकदमा दायर किया। पत्नी की मांग थी कि चूंकि शादी पूर्ण नहीं हुई इसलिए क्रूरता के आधार पर विवाह को खत्म कर दिया जाए। विवाह की मान्यता 16 नवंबर, 2022 को रद्द कर दी गई थी। इसके बावजूद पत्नी ने क्रिमिनल केस जारी रखा।

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