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अजित फाउण्डेशन के द्वारा उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल एवं शायर मोहम्मद उस्मान आरिफ पर केन्द्रित तीन दिवसीय कार्यक्रम का ‘‘उर्दू के अलमबरदार मोहम्मद उस्मान आरिफ’’ विषयक व्याख्यान और संगोष्ठी के साथ संपन्न

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बीकानेर।‘‘प्यास इतनी न बढ़ा, दिल को समन्दर न बना’’
अजित फाउण्डेशन के द्वारा उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल एवं शायर मोहम्मद उस्मान आरिफ पर केन्द्रित तीन दिवसीय कार्यक्रम का ‘‘उर्दू के अलमबरदार मोहम्मद उस्मान आरिफ’’ विषयक व्याख्यान और संगोष्ठि के साथ समापन।
व्याख्यान के मुख्य वक्ता बहुभाषाविज्ञ मुफ्ती सद्दाम हुसैन कासमी ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आरिफ साहब का व्यक्त्वि और कृतित्व आज भी ना केवल प्रांसगिक है अपितु अनुकरणीय भी है क्योंकि मोहम्मद उस्मान आरिफ ने अपनी मेहनत जूनून और अपने माता-पिता की सेवा से समाज और सियासत में उच्च स्थान हासिल किया। मुफ्ती सद्दाम हुसैन ने आरिफ साहब की जीवनी के विभिन्न पहलूओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इनकी शायरी में नसीहत और देषभक्ति प्रमुख रूप से देखने को मिलती है।
सामाजिक कार्यकर्ता जिया उर रहमान आरिफ ने अजित फाउण्डेशन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आरिफ साहब पर कार्यक्रम आयोजित करके अनुकरणीय पहल की हैं जिसे भविष्य में भी जारी रखा जाएगा। बीकानेर के लिए आरिफ साहब के योगदान का जिक्र करते हुए कहा कि बीकानेर में दूरदर्षन केन्द्र तथा सीपीडब्यूडी कार्यालय आरिफ साहब ने स्वीकृत करवाएं थे।
डॉ. नोमान आरिफ ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मोहम्मद उस्मान आरिफ बहुत ही अनुषासित व्यक्तित्व के धनी थे। अपने संस्मरण साझा करते हुए कहा कि आरिफ साहब शायर और सियासतदा होने के साथ-साथ मोटिवेषन स्पीकर थे। नैतिक षिक्षा पर भी जोर देते थे।
साहित्यनुरागी अल्ताफ हुसैन हाली ने आरिफ साहब के जीवन के अनछूए पहलूओं को उजागर करते हुए कहा कि उनकी षिक्षाएं आज भी युवाओं और समाज के लिए प्रांसगिक है। वे सभी से कहा करते थे कि अपने माता-पिता की सेवा को जीवन में प्राथमिकता देनी चाहिए। इस अवसर पर तमन्ना शब्बीर ने कहा कि आरिफ साहब एक सिद्धान्तवादी इन्सान थे। उनकी विरासत को सहजेना भी हमारे लिए बड़ी बात है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ईदगाह कमेटी के अध्यक्ष हाफिज फरमान अली ने कहा कि आरिफ साहब की जिन्दगी का मुख्य उद्देश्य सामाजिक समरसता और भाईचारे के पैगाम को फैलाना था। सूफी तबीयत के इन्सान आरिफ साहब उर्दू ही नहीं इंन्सानियत के अलमबरदार थे।
नूरूल हसन मदनी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आरिफ साहब बेहद संवेदनशील इन्सान थे इसी कारण उनकी रचनाओं में भी सामाजिक विषमताओं पर दर्द प्रकट करते हुए उनके व्यक्तित्व को समझा जा सकता है।
कार्यक्रम के अगले चरण में साहित्कार एवं कथाकार नदीम अहमद नदीम का संस्था द्वारा प्रशस्ति प्रत्र देकर सम्मान किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्ष्यता करते हुए राजकीय डूंगर महाविद्यालय के उर्दू विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. फखरून्निसा ने कहा कि मोहम्मद उस्मान आरिफ का शिक्षा साहित्य और सियासत में अतुल्नीय योगदान रहा है। मो. उस्मान आरिफ ने विषम परिस्थितियों में भी जो मकाम हासिल किया वह दूर्लभ है। डॉ. फखरून्निसा ने कहा कि आरिफ साहब की शायरी में सच के दर्षन होते है। साथ ही यह भी कहा कि आवश्यकता इस बात की है कि आरिफ साहब जैसे महान व्यक्तित्व के नाम पर साहित्यिक क्षेत्र में पुरस्कार प्रदान किए जाए।
कार्यक्रम के आरम्भ में अतिथियों का स्वागत करते हुए अजित फाउण्डेशन के समन्वयक संजय श्रीमाली ने फाउण्डेशन की गतिविधियों की विस्तृत जानकारी देते हुए युवाओं और बुद्धिजिवियों का फाउण्डेशन से जुड़ने का आहवान किया।
कार्यक्रम में कार्यक्रम में महेश उपाध्याय, अब्दुल जब्बार जज्बी, शाकिर अहमद, माजिद जहांगीर, राहूल जानूसंगत, अल्ताफ हुसैन हाली, डॉ. जिला उल हसन कादरी, अब्दुल मनान, शब्बीर हसन, ताहीर हसन कादरी, इमरोज नदीम, अब्दुल सलाम, नदीम अहमद नदीम, यासिर अब्दुला, सुनील गज्जाणी, शाहिद हसन, रामेश्वर लाल, मोहम्मद अहमद, रविदत्त, समीना परवीन, अंजमन आरा, अजरा बानो, मोहम्मद यजदान आरिफ, मो. हुसैन आरिफ, अमजद हुसैन, मो. उबैद, तमन्ना शब्बीर, मरियम फातमा, लवली, महबूब, परवीन बानो, डॉ. नोमान आरिफ, मोहम्मद फारूक चौहान, मोमिना जमान की गरीमामय उपस्थिति रही।
भवदीय
संजय श्रीमाली
कार्यक्रम समन्वयक
अजित फाउण्डेषन

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