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अजित फाउण्डेशन में हुआ मोहम्मद उस्मान आरिफ की रचनाओं का पाठ

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‘‘धर्म मजहब अस्ल में इंसानियत का नाम है’’

बीकानेर।उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल, केन्द्रीय मंत्री व राष्ट्रीय स्तर के शायर मोहम्मद उस्मान आरिफ के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर केन्द्रित अजित फाउण्डेशन द्वारा आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम ‘‘उर्दू के अलमबरदार मोहम्मद उस्मान आरिफ’’ के दूसरे दिन उनकी विभिन्न विधाओं की रचनाओं का पाठ किया गया।
कार्यक्रम के आरम्भ में युवा साहित्यकार इमरोज नदीम ने आरिफ साहब की नज्म ‘‘जन्नत मेरे वतन की’’ सस्वर प्रस्तुुत कर आगाज किया।
इसी क्रम में आरिफ साहब के पोते नुरूल हसन मदनी ने गज़ल ‘‘क्या ताल्लुक हैं उन्हें गर्दिषे अयाम के साथ…’’, तथा ‘‘पर्दा ए दुश्मन हो…’’ गजल पढ़कर दाद ली।
अंजुमन आरा ने ‘‘दोस्तों दुश्मनों का फरक न हो… एवं अल्ताफ हुसैन हाली ने आरिफ साहब के अशआर पढ़े।
कवि शायर संजय आचार्य ‘वरूण’ ने आरिफ साहब की नज़्म ‘‘हमारा झण्डा’’ और ‘‘महात्मा गांधी’’ नज्म में से ‘‘था सलिका प्यार से लाखों दिलों पर राज का/बादषाहे हिन्द था, बेतख्त का बेताज का‘‘ पढ़कर वाह वाही लूटी।
शायर इरशाद अजीज ने ‘‘रोशनी में नज़र कुछ नहीं आता अक्सर, या अंधेरा भी नई राह दिखा देता है’’ एवं ‘‘भीड़ में एक जमाने की घिरा हूं लेकिन, अपनी तन्हाई का एहसास रूलाता है मुझे’’ गज़ल पढ़कर आरिफ साहब का खिराजे अकीदत पेष की।
आरिफ साहब की दोहिती असमा परवीन ने ‘‘रंग सौ सौ न बदल, इतने तो मंजर न बना, प्यास इतनी न बढ़ा दिल का समन्दर न बना’’ गजल को प्रभावी अन्दाज में प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में सभी का शुक्रिया अदा करते हुए साहित्यकार नदीम अहमद नदीम ने आरिफ साहब के व्यक्तित्व कृतित्व पर बेहतरीन कार्यक्रम के आयोजन के लिए अजित फाउण्डेषन का आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम का प्रभावी संचालन संजय श्रीमाली ने किया।
कार्यक्रम में कार्यक्रम में शाकिर अहमद, माजिद जहांगीर, अल्ताफ हुसैन हाली, मनन, प्रिया, अब्दुल मनान, अब्दुल सलाम, नदीम अहमद नदीम, यासिर अब्दुला, सुनील गज्जाणी, रविदत्त, समीना परवीन, अंजमन आरा, अजरा बानो, मोहम्मद यजदान आरिफ, मो. हुसैन आरिफ, अमजद हुसैन, मो. उबैद, तमन्ना शब्बीर, मरियम फातमा, लवली, महबूब, मोहम्मद हनीफ उस्ता, डॉ. नोमान आरिफ, मोहम्मद फारूक चौहान, मोमिना जमान की गरीमामय उपस्थिति रही।

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