समय एवं परिस्थिति अनुसार उचित संरक्षण मॉडल का चयन करें : डॉ मिश्रा
राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, बीकानेर पर आज दो दिवसीय पशु संरक्षण प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन डॉ बी पी मिश्रा, निदेशक, राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, करनाल, हरियाणा के मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न हुआ । समापन समारोह में डॉ मिश्रा ने कहा कि पशु प्रजातियों के संरक्षण का एक ही मॉडल हर जगह फिट नहीं होता । समय, परिस्थिति एवं स्थान अनुसार उचित मॉडल का चयन करना ही सफलता की कुंजी है । उन्होंने बताया की हलारी अश्व के संरक्षण हेतु उन्होंने दो जगह एक साथ यह कार्य सौंपा एवं उनका मकसद यह था कि अश्व अनुसंधान संस्थान जहाँ नए-नए अन्वेषण करेगा एवं इसकी उपयोगिता बढ़ाएगा व पशु पालकों को प्रशिक्षित करेगा वहीं दूसरी संस्था किसानों के पशुओं के साथ कार्य करते हुए इनका प्रजनन, प्रबंधन एवं विपणन में सहायता प्रदान करेगी । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए केंद्र के प्रभागाध्यक्ष डॉ एस सी मेहता ने कहा कि पशुओं के संरक्षण पर चल रही नेटवर्क परियोजना के तहत इस कार्यक्रम को खास गुजरात के किसानों को ध्यान में रख कर बनाया गया एवं प्रशिक्षण में किसानों को अश्वों के प्रजनन, खानपान, बीमारियों की जानकारी के साथ- साथ अश्वों में मशीन से दूध निकालना, दूध का पाउडर बनाना, सिमन क्रायोप्रीज़र्व करना एवं फार्म औटोमेशन की जानकारी दी गई । डॉ मेहता ने आवाहन किया कि अश्वों के दूध की विशेषताओं एवं दर के बारे में भ्रामक वक्तव्यों एवं विज्ञापनों पर ध्यान नहीं दें एवं वास्तविकता एवं वैज्ञानिक शौध पर आधारित तथ्यों पर ही ध्यान दें । उन्होंने हलारी के संरक्षण हेतु उच्च गुणवत्ता वाले नर पशु केंद्र द्वारा उपलब्ध कराने की बात कही एवं किसानों को हर संभव मदद का आश्वासन भी दिया । कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ समर कुमार घुराई ने कहा कि आज समय है इस निरीह प्राणी की रक्षा करने का। आज तक यह मानव जाती की निस्वार्थ सेवा करता आया है एवं अब समय है इसको बचाने का । प्रशिक्षण कार्यक्रम डॉ रमेश देदड एवं डॉ टी राव के निर्देशन में हुआ एवं इसका संयोजन डॉ कुट्टी एवं डॉ जितेन्द्र सिंह ने किया । कार्यक्रम का सञ्चालन डॉ सुहैब ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ कुट्टी ने किया । कार्यक्रम में केंद्र के समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने भाग लिया ।
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