Rajasthan Election 2023 : इस बार के विधानसभा चुनाव में नेताजी को रील्स और सोशल मीडिया का चस्का खूब लगा है। जिन्हें टिकट मिल गया वे मैदान में आ गए हैं और जिन्हें इंतजार है

इस बार के विधानसभा चुनाव में नेताजी को रील्स और सोशल मीडिया का चस्का खूब लगा है। जिन्हें टिकट मिल गया वे मैदान में आ गए हैं और जिन्हें इंतजार है वे दावेदारी को लेकर रील सोशल मीडिया पर पोस्ट करवा रहे हैं। इस बार अलवर, सीकर, झुंझुनूं, चूरू, भरतपुर, धौलपर, मेवाड़, जोधपुर, बीकानेर, गंगानगर आदि क्षेत्रो में रील्स और शार्ट वीडियो का प्रचलन खूब दिख रहा है। नेताजी जहां भी जाते हैं गाने-बजाने से लेकर मेकअप मैन और रील्स बनाने वाली टीम साथ चलती है। टीम हर 15 मिनट में रील्स सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर पोस्ट कर रही है। नेताजी को कई बार पब्लिक के बीच एक्शन पोज बनाना पड़ता है… मगर बनता ही नहीं है। इसके चलते भी प्रत्याशी टारगेट से आधे लोगों तक ही पहुंच पा रहे हैं। होशियारी इतनी कि जो बात खुद कहनी चाहिए वो लोगों से या रील्स के जरिए कहलवा रहे हैं। वे सिर्फ गंभीर मुद्दों पर ही बायान दे रहे हैं… मगर आलकमान की नाराजगी को लेकर बहद सतर्क हैं।
हरियाणा, यूपी, दिल्ली के युवा देख रहे काम
चुनाव में शार्ट वीडियो का इस्तेमाल ट्वीटर और इंस्टाग्राम पर खूब हो रहा है। गंभीर और पढ़े-लिखे नेताओं की टीम गंभीर है जबकि अन्य की टीम में हरियाणा, यूपी, दिल्ली, गुजरात और राजस्थान के छोरे-छोरियां रील बना रहे हैं। त्योहारी सीजन है तो नेताजी धार्मिक और सामाजिक आयोजनों में जाना नहीं भूलते हैं। इस दौरान सुबह गाय को रोटी खिलाने से लेकर गली के कुत्तों को सहलाना तक तक नेताजी रील में कैद हो रहा है।
पूंजीपति प्रत्याशियों की तीन से चार टीम
चुनाव में टेक्नोलॉजी और सोशल मीडिया का इस्तेमाल जिले से लेकर राज्य मुख्यालय तक हो रहा है। नेताजी जितने पैसे वाले हैं उनकी सोशल मीडिया टीम उतनी ही ज्यादा हैं। एक निजी इवेंट कंपनी के मैनेजर मुकुल वाष्णेय ने बताया कि एक कार्यक्रम में टेक्नोलॉजी का उपयोग लाइव, रील्स आदि पर खर्च पांच से दस हजार रुपए आता है। कई जगह इंटरनेट कनेक्टिवटी नहीं होती है तो वहां रिकॉर्डिंग कर वायरल किया जाता है।
ज्यादातर नेता पुराने भाषणों से लड़ रहे जंग
भरतपुर में दो प्रत्याशियों का काम संभाल रहे आगरा की एक कंपनी के सुपरवाइजर धर्मेंद्र झा ने बताया कि अमूमन नेता चुनाव भाषण में विपक्षी पार्टी के नेताओं के पुराने वायदों का जिक्र करते हैं। इस बार सोशल मीडिया के दौर में पक्ष-विपक्ष के नेताओं के पुराने और नए भाषणों को एक साथ व्यूज कर वायरल किया जाता है। ताकि सच दिखाया जा सके। इससे प्रत्याशी के सोशल मीडिया अकाउंट पर व्यूज भी बहुत मिलते हैं।
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