एक शख्सियत : ग्रीन मैन श्री नरेश चुग

किसी को आपकी किसी भी कहानी में तब तक कोई दिलचस्पी नही होती, जब तक कि आप जीत नही जाते..!
ऐसी जीत की एक मिसाल हैं नरेश चुग जिनके जीवन का फलसफा यही है कि अपने लिए तो हर कोई जीता है, अपने परिवार का तो हर कोई पोषण करता है, अपने व्यवसाय को तो हर कोई आगे बढ़ाता है, जो समाज के लिए कुछ कर जाए वही सच्चा व्यक्तित्व है।
उनका सपना है कि वे शहर में जहां देखें उस और हरे भरे पेड़ दिखाई दें। इसके लिए वे अपनी और से हर संभव प्रयास कर पौधरोपण का अभियान शुरू किए हुए हैं। ग्रीन मैन के नाम से प्रसिद्ध नरेश चुग अनेक वर्षों से न केवल पौधरोपण के लिए अनवरत लगे हुए हैं। उनके जीवन का यही लक्ष्य है कि वे न केवल पौधा लगाने तक सीमित रहें बल्कि उसके फलफूलने तक उसका पूरी तरह से ध्यान रखें। वे वृद्ध जन भ्रमण पथ, मुरली मनोहर गौशाला, नागणीची जी मंदिर ,नथानिया गोचर, मुरली मनोहर मंदिर, रथखाना, सार्दुल गंज, मुक्ताप्रसाद, पवनपुरी, इंजीनियरिंग कॉलेज, नापासर, रायसर सहित अन्य स्थानों पर न केवल पौधरोपण अपितु अनेक पार्क विकसित करने का कार्य किया है। बीकानेर में अब तक 50 के करीब गार्डन विकसित करने वाले नरेश चुग अब तक एक लाख से भी अधिक पौधे वितरित कर चुके हैं और केवल वितरण ही नहीं उन पौधों की सार संभाल का कार्य भी वे अपने बच्चों की तरह कर रहे हैं।
इसके अतिरिक्त वे एक ऐसे कार्य में रहते हैं जिसके लिए केवल समाज सेवी नहीं अपितु एक करुण हृदय होना आवश्यक है। पिछले अनेक सालों से वे बीकानेर ही नहीं अपितु बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, सीकर सहित अन्य क्षेत्रों से लावारिस पार्थिव शरीरो के अस्थि विसर्जन कार्य को भी हरिद्वार जाकर करके आते हैं। सैंकड़ों पार्थिव शरीरों को हरिद्वार में मुक्ति पहुंचने का ये कार्य वे विगत अनेक वर्षों से करते आ रहे हैं। जिसमें उनका साथ देती हैं उनकी सहधर्मिणी शशि चुग।1955 में जन्में चुग भी अपनी सारी सफलता का श्रेय पत्नी शशि चुग को देते है जो हर कदम पर उनको सामाजिक कार्यों के लिए प्रेरित करती रहती है तथा एक सहयोगी के रूप में सदैव कंधे से कंधा मिलाकर चलती है।
बॉस्केटबॉल के खिलाड़ी रहे चुग जिन्होंने 52 वर्ष की उम्र में पीएचडी की उपाधि ली उनके जीवट जैसी मिसाल शायद संभव नही है। इससे पूर्व बीएससी, एमए और एमबीए की शिक्षा ग्रहण कर चुके नरेश चुग ने यही संस्कार उन्होंने विदेश में रह रहे अपनी बेटी अंकिता और बेटे सौरभ चुग में विकसित किए हैं। जिसके चलते इतनी दूर बैठे हुए वे लोग अपने पिता के कार्य में सहयोगी बने हुए हैं।
एक सफल व्यवसायी , पार्क पैराडाइज के संचालक के रूप में व्यवसायिक सफलता अर्जित कर चुके नरेश चुग पर्यावरण के प्रति जिस भाव से जुड़े हैं उसी के चलते उन्हें ग्रीन मैन की छवि से नवाजा जा चुका है। पर उनका यह सफर केवल पर्यावरण,लावारिस पार्थिव देहों को अस्थि विसर्जन के माध्यम से हरिद्वार के गंगा जी में समाहित करने तक की पूर्ण नहीं होता इन सबके अलावा वे एक महती कार्य और करते हैं और वह है सड़क सुरक्षा समिति के सदस्यके रूप में।
राज्य सरकार के प्रशासनिक सुधार विभाग ने राज्य स्तरीय सड़क सुरक्षा हाई पावर समिति की ओर से गठित राज्य स्तरीय सड़क सुरक्षा समिति में सामाजिक कार्यकर्ता नरेश चुग को पिछले कई वर्षों से सदस्य मनोनीत कर रखा है तथा इस क्षेत्र में भी वे अपने कर्तव्यों को भलीभांति निभाते हैं। इन सभी कार्यों के चलते नरेश तो केवल एक व्यक्ति नहीं अपितु एक ऐसे व्यक्तित्व हैं जिनसे जितना सीखें उतना कम हैं।
नरेश चुग जैसे व्यक्तियों के लिए ही शायद ये कहा गया है :
हज़ारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है. बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा











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