कश्मीर पर 30 साल से PAK के साथ अजरबैजान:राजदूत बोले- आर्मेनिया को हथियार सप्लाई रोके भारत, इससे हमारे देश की शांति भंग होगी
तस्वीर 2019 की है, जब आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशिन्यान ने PM मोदी से मुलाकात की थी।
भारत में मौजूद अजरबैजान के राजदूत अशरफ शिकालियेव ने कहा है कि वो कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ हैं। एक इंटरव्यू में इस मुद्दे पर बात करते हुए अशरफ ने कहा- पिछले 30 साल में कश्मीर पर अजरबैजान का रुख नहीं बदला है। भारत-पाक को मिलकर UNSC के प्रस्तावों के तहत इसे सुलझाना चाहिए।
अशरफ ने आगे कहा- भारत सरकार को आर्मेनिया को हथियार बेचने के अपने फैसले पर फिर से विचार करना चाहिए। भारत के हथियार आर्मेनिया में विद्रोही ताकतों तक पहुंच रहे हैं जो हमारे देश की शांति के लिए नुकसानदायक हैं। दरअसल, कुछ महीने पहले आर्मेनिया ने भारत और फ्रांस से डिफेंस डील की थी। इसके तहत भारत आर्मेनिया को देश में बना एंटी-एयर सिस्टम आकाश एक्सपोर्ट करेगा।
तस्वीर 2020 की है, जब अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने पाकिस्तान के तत्कालीन PM इमरान खान से मुलाकात की थी।
भारत-आर्मेनिया के बीच 6 हजार करोड़ की डील
हवाई हमले रोकने वाले इस सिस्टम में तोप, गोला-बारूद और ड्रोन शामिल हैं। इसके लिए दोनों देशों में करीब 6 हजार करोड़ रुपए का समझौता हुआ है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस डील के बाद से अजरबैजान भारत पर भड़का हुआ है।
अजरबैजान के राष्ट्रपति ने कहा था कि भारत और फ्रांस इस डील के जरिए आग में घी डालने का काम कर रहे हैं। इन हथियारों के बाद भी आर्मेनिया कारबाख वापस नहीं ले सकता। इससे पहले भारत-आर्मेनिया में पिछले साल पिनाका रॉकेट और मिसाइल के लिए भी डील हो चुकी है।
इमरान खान से मिले थे अजरबैजान के राष्ट्रपति
अजरबैजान के तुर्किये और पाकिस्तान के साथ बेहद अच्छे संबंध हैं। साल 2020 में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलाकात के बाद अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने कश्मीर पर पाकिस्तान का समर्थन किया था। बता दें कि अजरबैजान ने सितंबर में नागोर्नो-कारबाख इलाके पर कब्जा कर लिया था। अजरबैजान को तुर्किये और पाकिस्तान का खुला समर्थन और सैन्य सहयोग मिलता है।
तस्वीर भारत के पिनाका रॉकेट सिस्टम की है। इसे लेकर भी आर्मेनिया और भारत के बीच डील हो चुकी है।
अजरबैजान-आर्मेनिया के बीच संघर्ष क्यों?
- नागोर्नो-कारबाख इलाका 20 साल से भी ज्यादा समय से आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच विवाद का कारण बना हुआ है। कोई भी देश इसे स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता नहीं देता।
- 1988 से दोनों यूरेशियन देश नागोर्नो-कारबाख इलाके पर कब्जा करना चाहते हैं।
- यह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय रूप से अजरबैजान का हिस्सा है, लेकिन 1991 में यहां के लोगों ने अजरबैजान से आजादी और खुद को आर्मेनिया का हिस्सा घोषित कर दिया था।
- 1994 से कारबाख पर आर्मेनिया के जातीय गुटों का कब्जा है।
- यह दक्षिण कॉकेशस में ईरान, रूस और तुर्की की सीमा पर एक महत्वपूर्ण सामरिक (स्ट्रैटेजिक) इलाका है।
मैप में देखिए अजरबैजान, आर्मेनिया और इनके बीच विवाद की जड़ कारबाख इलाके की लोकेशन…
मैप प्रतीकात्मक है।
2020 में 6 हफ्ते चला था युद्ध
2020 में अजरबैजान ने आर्मेनिया पर हमला कर दिया था। करीब छह हफ्ते चले युद्ध के बाद अजरबैजान की एकतरफा जीत हुई और उसने विवादित इलाके का बड़े हिस्से को अपने कब्जे में ले लिया था। इस युद्ध में दोनों देशों के 6,500 से ज्यादा लोग मारे गए थे। युद्ध विराम के लिए रूस को आगे आना पड़ा था।
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