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कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा ने विधानसभा में स्वायत्त शासन विभाग की अनुदान मांगों पर बहस के दौरान यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को जमकर घेरा

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जयपुर।कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा ने बुधवार को विधानसभा में स्वायत्त शासन विभाग की अनुदान मांगों पर बहस के दौरान यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को जमकर घेरा। वीरांगना मंजू के नाते जाने के बयान और किरोड़ी को आतंकी कहने के बयान को लेकर धारीवाल पर मदेरणा ने निशाना साधा।

दिव्या ने कहा- मैंने जब मंत्री के आतंकी कहने वाले बयान का विरोध किया तो मेरे इलाके की 44 सड़कों को रातों-रात रद्द कर दिया। मुख्यमंत्री इसमें गंभीरता से हस्तक्षेप करें। मंत्रीजी आजकल जिद पर आ जाते हैं और उनकी जिद सबसे बड़ी होती है। अगर मेरी रद्द सड़कें मंजूर नहीं हुई तो मैं वीरांगनाओं की तरह मुंह में घास लेकर ओसियां की जनता के साथ धरने पर बैठ जाउंगी, आप में हिम्मत है तो रात को 3 बजे उठा देना।

दिव्या ने कहा कि आपके पास छह महीने का समय है, जब चुनाव में जाना है। आपके पास मिनिस्ट्री है, जिस कलम से दस्तखत करते हैं, उस पर इतना मत इतराइए, यह भी उधार की है और ऐसे दरिया तो बहुत जल्दी चढ़कर उतर जाते हैं।
जाट गुर्जर-मीणा कांग्रेस के वोट बैंक

दिव्या ने कहा- गुर्जर कितनी दिल की गहराइयों से आपको (कांग्रेस को) चाहता है, यह सर्वविदित है। मीणा समाज कितना चाहता है। मीणा समाज के कद्दावर नेता को आप आतंकी कहते हैं। जाट समाज की बेटी मंजू को नाते के नाम से आप चरित्र हनन करते हैं। गुर्जर, मीणा और जाट ये खेतीहर हैं और हमारे कांग्रेस के वोट बैंक हैं, 45 परसेंट से ज्यादा इसका हिस्सा है। गजब की आप सोशल इंजीनियरिंग कर रहे हैं। 6 महीने बाद आप चुनाव में जाने वाले हैं।
मंत्री तो आलाकमान को भी चुनौती दे सकते हैं, मैं तो छोटी सी कार्यकर्ता

दिव्या ने कहा- मैं पार्टी के प्रति वफादार थी और कोई मेरी वारदात नहीं थी। मंत्री आलाकमान को भी चुनौती दे सकते हैं, मैं तो छोटी सी कार्यकर्ता हूं। मुझे 2 दिन के घटनाक्रम पर अफसोस होता है। क्या पता इन्होंने सोच लिया हो कि हम तो डूबेंगे, आपको भी ले डूबेंगे सनम । हम तारे नहीं डूबने वाले। वह तो रंधावा साहब को धन्यवाद करना चाहती हूं कि सारे इस्तीफे वापस करवाए वरना मंजर कुछ और होता। मैं तो उस वक्त भी साथ में नहीं थी।

आपने किरोड़ी को आतंकी कैसे कह दिया ? वीरांगनाओं के मुद्दे पर सरकार का बयान सही था और मैं मुख्यमंत्री की इस बात का समर्थन करती हूं कि परिवार के बाहर नौकरी नहीं दी जानी चाहिए। अगर परिवार के बाहर नौकरी दी तो वीरांगना को ब्लैकमेल किया जाएगा। सरकार के उस बयान से मैं सहमत हूं, लेकिन आपने कैसे पेश किया। आप एक समाज के नेता को आतंकी के समान कैसे कह देंगे? उसकी प्रतिक्रिया क्या हुई, आपने उनके नेता को आतंकी कहा । दूसरे दिन उन्होंने हमारे प्रभारी को आतंकी कह दिया। हम कौन सा उदाहरण सेट करेंगे।

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