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क्या हर मंत्री की जान को है खतरा? वीआईपी सुरक्षा बन गई है नेताओं के लिए स्टेट्स सिंबल

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*क्या हर मंत्री की जान को है खतरा? वीआईपी सुरक्षा बन गई है नेताओं के लिए स्टेट्स सिंबल*

*REPORT BY SAHIL PATHAN*

मुंबई: देश में भले ही लाल बत्ती और वीवीआईपी कल्चर खत्म हो चुका है। लेकिन हाल ही में इससे जुड़ा मामला सामने आया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फणनवीस की पत्नी अमृता फणनवीस जो सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं, उन्हें पिछले हफ्ते राज्य के खुफिया विभाग (एसआईडी) ने ‘ट्रैफिक क्लियरऐंस कार’ सौंपी थी। लेकिन अमृता ने इसे लेने से मना कर दिया। इसके बाद वो काफी सुर्खियों में आईं।
43 साल की अमृता फणनवीस गायक और अभिनेत्री हैं। सोशल मीडिया पर उन्हें लाखों लोग फॉलो करते हैं। वह मुंबई में रेड कार्पेट इवेंट्स में शामिल होती हैं। महाराष्ट्र के खुफिया विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उनकी सुरक्षा को खतरा है। इसे देखते हुए सरकार ने उनकी सुरक्षा बढ़ाने के साथ ट्रैफिक क्लियरऐंस कार देने का फैसला किया था। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, ‘मैं मुंबई के आम नागरिक की तरह जीना चाहती हूं।’ उन्होंने मुंबई के ट्रैफिक कि स्थिति के बारे में कहा, ‘मुंबई में यातायात की स्थिति निराशाजनक है।’महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर भी चार वीआईपी की लिस्ट में शामिल थे, जिनकी सुरक्षा को बढ़ाया गया था। नार्वेकर ने कहा, ये फैसला ग्रीन बुक के आधार पर लिया गया है। ये वीआईपी लोगों की सुरक्षा प्रोटोकॉल का निर्धारण करती है। उन्होंने कहा, ‘ये वाई प्लस सुरक्षा मेरी जरूरत और अधिकार है। उन्होंने कहा कि वो मुंबई में रहते हैं और अक्सर दौरा करते हैं। लोगों के साथ बातचीत करते हैं। इसलिए उन्हें लगता है कि उन्हें ट्रैफिक क्लियरेंस की जरूरत है।वाई श्रेणी सुरक्षा के तहत तीन निजी सुरक्षा अधिकारी और पांच सशस्त्र गार्ड के साथ एक एस्कॉर्ट वैन दी जाएगी। जिन लोगों के पास ये सुरक्षा होती है, उनके रास्ते में ट्रैफिक क्लियर किया जाता है। ऐसे में ट्रैफिक सिग्नल पर घंटो तक लोगों को रुकना पड़ता है। एंबुलेंस में जा रहे मरीजों को अस्पताल पहुंचने में देरी होती है। छात्रों को स्कूल/कॉलेज के लिए देरी होती है।
इन वीवीआईपी लाल बत्ती वालों के कारण होने वाली असुविधा से किसी को बख्शा नहीं जाता है। लेकिन कई राजनेताओं को लगता है कि उनका काम उस काम से ज्यादा महत्वपूर्ण है जो हममें से बाकी लोग करते हैं। खुद को इस विशेषाधिकार वाले ब्रैकेट में रखकर, वे भूल जाते हैं कि एक आम भारतीय को गड्ढे वाली सड़कों और भयानक ट्रैफिक पर रुकने के लिए मजबूर होना कैसा लगता है।आंकड़ों चौंकाने वाली बात बताते हैं। अमृता ने यह भी कहा था कि मुंबई में 3% तलाक ट्रैफिक की भीड़ की वजह से होते हैं। क्योंकि युवा जोड़ों ने एक-दूसरे के साथ घर से ज्यादा समय ट्रैफिक जाम में फंसे रहने में बिताया। उन्होंने अपना क्वालिटी टाइम खराब किया। फिर भी, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि उन्होंने विशेषाधिकार और अधिकार पर एक स्वस्थ चर्चा की शुरुआत की।

यहां तक कि एक पूर्व गृह सचिव ने भी आपत्ति जताते हुए कहा, ‘नई सरकार को राजनीति छोड़कर योग्यता के आधार पर फैसला लेना चाहिए। कई राजनेताओं को इतने उच्च स्तर की सुरक्षा की आवश्यकता नहीं होती है। यह एक स्टेटस सिंबल बन गया है।’ उन्होंने एसआईडी से अधिक पारदर्शिता की सिफारिश की, और खतरे की धारणा पर एक श्वेत पत्र के लिए कहा।चूंकि यह केवल राज्य या केंद्र स्तर पर खुफिया एजेंसियां हैं, जो यह निर्धारित करती हैं कि क्या किसी वीआईपी की सुरक्षा को खतरा है। इस पर अक्सर राजनीति से प्रेरित होने के आरोप लगते रहे हैं। फरवरी में, हरियाणा सरकार ने जेल से छुट्टी के दौरान गुरमीत राम रहीम सिंह को Z+ कवर प्रदान किया।
सिर्फ नेता ही नहीं, यहां तक कि बॉलीवुड अभिनेता भी अपनी लाल बत्ती कारों और कमांडो दल के साथ इवेंट में पहुंचते हैं। अनुपम खेर और अक्षय कुमार को हाल ही में सुरक्षा कवर दिया गया था जबकि सलमान खान को Y से Y+ में अपग्रेड किया गया था। कहा जाता है कि खान को लॉरेंस बिश्नोई गिरोह से खतरा है, जो पंजाबी गायक सिद्धू मूस वाला की हत्या के लिए जिम्मेदार है। लेकिन कम से कम फिल्म अभिनेता सुरक्षा कवर के लिए भुगतान तो कर रहे हैं।सत्ता के प्रति इस जुनून और राज्य-प्रायोजित सुरक्षा प्रतीकों के माध्यम से विशेषाधिकार के शोषण के बारे में कई चीजें विभाजनकारी हैं। इतना आत्म-महत्व! ऐसा अहंकार! मेरा मतलब है, क्या हर मंत्री को अपनी सुरक्षा के लिए खतरा है? वास्तव में, उनकी पार्टियों के बाहर बहुत से लोगों को उनके बारे में पता भी नहीं होता। लेकिन अपनी तरफ ध्यान आकर्षित करने के लिए नेता इस तरह के विशेषाधिकारों की मांग करते हैं। चाहे उनकी मांग से अन्य नागरिकों को असुविधा क्यों न हो।
साल 2017 में जब प्रधानमंत्री मोदी ने बीकन के इस्तेमाल को बैन कर दिया, तो कई वीआईपी लोगों ने पुलिस पायलट कारों या हूटर का इस्तेमाल करके प्रतिबंध से बचने के लिए जुगाड़ खोज ली। इस तरह के काम असुरक्षा के अलावा और कुछ नहीं दिखाते। अमृता फडणवीस ने अपनी इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर लिखा, ‘जो तुम्हारे पास है, बहुतों के पास हो सकता है, लेकिन तुम जो हो वो कोई नहीं बन सकता।’

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