*गुजरात में ब्रिज टूटा, 91 लोगों की मौत:मृतकों में 50 से ज्यादा महिलाएं और बच्चे, 70 से ज्यादा घायल; SIT करेगी हादसे की जांच*
गुजरात के मोरबी में रविवार शाम करीब 6.30 बजे केबल सस्पेंशन ब्रिज टूटने से करीब 400 लोग मच्छु नदी में गिर गए। हादसे में 91 लोगों की मौत हुई है। इनके शव मोरबी के सिविल हॉस्पिटल में पहुंचा दिए गए हैं। मरने वालों में 50 से ज्यादा महिलाएं और बच्चे हैं। जबकि, 70 से ज्यादा लोग घायल हैं। 100 लोगों की तलाश अभी भी जारी है। पीएम नरेंद्र मोदी इस समय केवड़िया में हैं, बताया जा रहा है कि वे भी मोरबी जाएंगे। हादसे के कारणों की जांच के लिए 5 सदस्यीय SIT बनाई गई है।बता दें कि यह पुल पिछले 6 महीने से बंद था। हाल ही में करीब 2 करोड़ रुपए की लागत से इसके मरम्मत का काम पूरा किया गया था। दिवाली के एक दिन बाद यानी 25 अक्टूबर को इसे आम लोगों के लिए खोला गया था। जिला प्रशासन ने हेल्पलाइन नंबर (02822243300) जारी किया है। इसके अलावा घायलों के इलाज के लिए मोरबी और राजकोट हॉस्पिटल में इमरजेंसी वार्ड बनाया गया हैगुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल घटनास्थल पर पहुंचे।
*अबतक के बड़े अपडेट*
गुजरात के मुख़्यमंत्री भूपेंद्र पटेल घटनास्थल पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया।
रेस्क्यू के लिए वायुसेना के गरुड़ कमांडो रवाना हो गए हैं।
CM पटेल मोरबी सिविल अस्पताल पहुंचे, जहां घायल हुए मरीजों का हालचाल जाना।
*ब्रिज पर क्षमता से ज्यादा लोग, यही हादसे की वजह*
ब्रिज की क्षमता करीब 100 लोगों की थी, लेकिन रविवार को छुट्टी होने के चलते इस पर करीब 500 लोग जमा थे। यही हादसे की वजह बना। मोरबी के भाजपा सांसद मोहन कुंडारिया ने बताया कि ब्रिज टूटने से जहां लोग गिरे, वहां 15 फीट तक पानी था। कुछ लोग तैरकर बाहर निकल आए, लेकिन कई लोग झूले पर अटके रहे। इन्हें बाहर निकाला जा रहा है।
सड़क एवं भवन विभाग मंत्री जगदीश पांचाल से हुई बातचीत में कहा कि यह पुल नगर निगम के स्वामित्व में है। निगम के अधिकारियों ने बताया कि ब्रिज की क्षमता करीब 100 लोगों की है, लेकिन रविवार की छुट्टी होने के चलते हादसे के वक्त ब्रिज पर 400 से 500 लोग जमा थे। इसी के चलते ब्रिज बीच से टूट गया।
*PM मोदी ने CM पटेल से जानकारी ली*
हादसे पर प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने दुख जताया है। उन्होंने CM भूपेंद्र पटेल से घटना की जानकारी ली और मृतकों के आश्रितों को दो लाख और घायलों को 50 हजार रुपए की सहायता देने का ऐलान किया है। CM पटेल ने बताया कि राहत और बचाव कार्य जारी है। पटेल ने भी मृतकों के आश्रितों को 4 लाख और घायलों काे 50 हजार देने की घोषणा की।
*रेस्क्यू के लिए SDRF और NDRF की टीमें मौजूद*
घटनास्थल पर रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए SDRF और NDRF की टीमें मौके पर मौजूद हैं। इसके अलावा कच्छ और राजकोट से तैराकों और दमकल की 7 टीमें रवाना की गई हैं। कंट्रोल रूम और हेल्प लाइन नंबर भी जारी किए गए हैं। *CM भूपेंद्र पटेल खुद मोरबी के लिए रवाना हो गए हैं।*
वायुसेना के गरुड़ कमांडो रवाना हुए
देर शाम रेस्क्यू के लिए जामनगर से वायुसेना के 50 गरुड़ कमांडो रवाना हो गए हैं। उनके साथ 50 रेस्क्यू बोट भी भेजे गए हैं। ये गरुड़ कमांडो रात में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाएंगे।
*140 साल से भी ज्यादा पुराना है ब्रिज*
मोरबी का यह सस्पेंशन ब्रिज 140 साल से भी ज्यादा पुराना है और इसकी लंबाई करीब 765 फीट है। यह सस्पेंशन ब्रिज गुजरात के मोरबी ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए ऐतिहासिक धरोहर है। इस ब्रिज का उद्घाटन 20 फरवरी 1879 को मुंबई के गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने किया था। यह उस समय लगभग 3.5 लाख की लागत से बनकर तैयार हुआ था। उस समय इस पुल को बनाने का पूरा सामान इंग्लैंड से ही मंगाया गया था। इसके बाद इस पुल का कई बार रेनोवेशन किया जा चुका है। हाल ही में दिवाली से पहले इसके मरम्मत का काम 2 करोड़ की लागत से किया गया था।
*ओरेवा ग्रुप के पास है मेंटेनेंस का काम*
ब्रिज के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी ओरेवा ग्रुप के पास है। इस ग्रुप ने मार्च 2022 से मार्च 2037 यानी 15 साल के लिए मोरबी नगर पालिका के साथ एक समझौता किया है। ग्रुप के पास ब्रिज की सुरक्षा, सफाई, रखरखाव, टोल वसूलने, स्टाफ का प्रबंधन है।
*कांग्रेस ने भाजपा को घेरा*
इधर, हादसे पर कांग्रेस ने भाजपा सरकार को घेरा है। कांग्रेस ने कहा कि चुनाव की जल्दबाजी में भाजपा ने पुल को लोगों के लिए जल्दी खोल दिया। राहुल गांधी ने घटना पर दुख जताया है। उन्होंने कहा- गुजरात के मोरबी में हुए पुल हादसे की खबर बेहद दुःखद है। ऐसे मुश्किल समय में मैं सभी शोकाकुल परिवारों को अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं। सभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं से अपील करता हूं कि दुर्घटना में घायल व्यक्तियों की हर संभव सहायता करें और लापता लोगों की तलाश में मदद करें। इसके अलावा दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल ने भी घटना को दुखद बताया।
*मोरबी के राजा इसी पुल से दरबार जाते थे*
ब्रिज का निर्माण मोरबी के राजा प्रजावत्स्ल्य सर वाघजी ठाकोर की रियासत के दौरान हुआ था। उस समय राजा राजमहल से राज दरबार तक जाने के लिए इसी पुल का इस्तेमाल करते थे। राजशाही खत्म होने के बाद इस पुल की जिम्मेदारी मोरबी नगर पालिका को सौंप दी गई थी। लकड़ी और तारों से बना यह पुल 233 मीटर लंबा और 4.6 फीट चौड़ा है।

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