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जबरन संबंध से प्रेग्नेंट पत्नी को अबॉर्शन का हक:पढ़िए, सुप्रीम कोर्ट के 5 स्टेटमेंट; उनसे जुड़े 10 सवालों के जवाब

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जबरन संबंध से प्रेग्नेंट पत्नी को अबॉर्शन का हक:पढ़िए, सुप्रीम कोर्ट के 5 स्टेटमेंट; उनसे जुड़े 10 सवालों के जवाब

तारीख 29 सितंबर, साल 2022, सप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला- अब अनमैरिड प्रेग्नेंट वुमन यानी बगैर शादी के प्रेग्नेंट हुई महिलाओं को भी अबॉर्शन का अधिकार है।

आज जरूरत की खबर में एक-एक करके सुप्रीम कोर्ट के 5 स्टेटमेंट का जिक्र करेंगे और उससे जुड़े सवालों का जवाब जानेंगे।

हमारे एक्सपर्ट हैं- सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट डी. बी. गोस्वामी, फोर्टिस हॉस्पिटल (वाशी, मुंबई) की ऑब्सटेट्रिक्स और गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. नेहा बोथरा और एडवोकेट सोनाली कड़वासरा।

स्टेटमेंट नंबर -1
कोई भी महिला शादीशुदा हो या न हो, वो अपनी इच्छा से प्रेग्नेंट हो सकती है। महिला अपनी इच्छा से प्रेग्नेंट हुई है, तो माता-पिता दोनों पर बच्चे की बराबर जिम्मेदारी है। अगर प्रेग्नेंसी महिला की इच्छा से नहीं है, तो ये उसके लिए बोझ बन जाता है, जिससे उसकी मेंटल और फिजिकल हेल्थ पर असर पड़ता है।

एक महिला के शरीर पर सिर्फ और सिर्फ उसका अधिकार है। ये फैसला सिर्फ महिला ही कर सकती है कि वह अबॉर्शन करवाना चाहती है या नहीं। आर्टिकल 21 एक महिला को अबॉर्शन की अनुमति तब देता है, जब प्रेग्नेंसी की वजह से महिला के मेंटल और फिजिकल हेल्थ पर असर पड़े।

सवाल 1- अबॉर्शन किन-किन हालातों में करवाया जा सकता है?

सवाल 2- अब मैरिड और अनमैरिड वुमन प्रेग्नेंसी के कितने हफ्ते के अंदर अबॉर्शन करवा सकती हैं?
जवाब- 
कोर्ट ने कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट यानी MTP Act के तहत 22 से 24 हफ्ते के अंदर अबॉर्शन का हक सभी को है।

सवाल 3- अबॉर्शन का प्रोसिजर क्या है? ये कैसे होता है?
फोर्टिस हॉस्पिटल (वाशी, मुंबई) की ऑब्सटेट्रिक्स और गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. नेहा बोथरा के मुताबिक

  • अबॉर्शन कभी-कभी नेचुरल भी हो जाता है, जिसे स्पॉन्टेनियस अबॉर्शन कहते हैं।
  • मेडिकल तरीके से जब प्रेग्नेंसी खत्म की जाती है, तो उसे मेडिकल अबॉर्शन कहते हैं।
  • किस तरीके से अबॉर्शन करना है, ये बहुत सी बातों पर डिपेंड करता है। जैसे- कितने महीने की प्रेग्नेंसी है, महिला की फिजिकल सिचुएशन कैसी है, महिला को हार्ट, हाई बीपी या एनेस्थीसिया जैसी कोई दिक्कत है या नहीं।
  • मेडिकल प्रोसीजर में दवाओं के जरिए और सर्जिकल तरीके से अबॉर्शन होता है।
  • सर्जिकल मेथड में यूट्रस को खाली कर दिया जाता है।

स्टेटमेंट नंबर -2

अबॉर्शन करवाने आई महिला पर मेडिकल प्रैक्टिशनर्स जबर्दस्ती की शर्तें न लगाएं, उन्हें केवल ये सुनिश्चित करना होगा कि MTP एक्ट की शर्तें पूरी हो रही हैं या नहीं।

सवाल 4- सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कौन सी जबरदस्ती की शर्तों का जिक्र किया गया है?
जवाब-
 मेडिकल प्रैक्टिशनर्स या डॉक्टर्स अबॉर्शन कराने आई महिला से कहते हैं कि इसके लिए उन्हें परिवार या पति से अनुमति लेनी होगी या तरह-तरह के डॉक्युमेंट्स मांगे जाते हैं। इन शर्तों का कानूनी आधार नहीं है।

सवाल 5- अच्छा तो फिर अबॉर्शन के लिए मैरिड और अनमैरिड वुमन को किसी स्पेशल अनुमति की जरूरत होती है?
जवाब-

  • मैरिड वुमन के साथ पति ने जबर्दस्ती सेक्स नहीं किया है, तो अबॉर्शन के लिए पति-पत्नी दोनों की सहमति चाहिए।
  • सुप्रीम कोर्ट के नए फैसले के अनुसार पति ने पत्नी के साथ जबर्दस्ती सेक्स किया है और वो प्रेग्नेंट हो गई है, तो महिला को अबॉर्शन के लिए किसी की सहमति नहीं चाहिए।
  • अनमैरिड वुमन भी बिना किसी से अनुमति लिए अबॉर्शन करवा सकती है।
  • नाबालिग लड़की या मानसिक रूप से अक्षम महिला के केस में पेरेंट्स की सहमति जरूरी है।

स्टेटमेंट नंबर -3
हमारे देश में सेक्स एजुकेशन की कमी है। जिसकी वजह से ज्यादातर एडल्ट्स को पता ही नहीं है कि हमारा रिप्रोडक्टिव सिस्टम काम कैसे करता है और कैसे कॉन्ट्रासेप्टिव मेथड्स की मदद से प्रेग्नेंसी को रोका जा सकता है।

सवाल 5- क्या है कॉन्ट्रासेप्टिव मेथड्स, जिसका जिक्र सुप्रीम कोर्ट ने किया?
जवाब-
 हम ज्यादातर इस्तेमाल किए जाने वाले मेथड्स को पॉइंटर में बता रहे हैं-

  • इमरजेंसी गर्भनिरोधक गोलियां (अनसेफ सेक्स के बाद दी जाती हैं)
  • कंडोम का इस्तेमाल (सेक्स करते वक्त किया जाता है)
  • गर्भनिरोधक गोली (दिन में एक बार ली जाती है)

ध्यान रखें- कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स (गर्भनिरोधक गोलियों) का इस्तेमाल किसी डॉक्टर की सलाह पर ही करें।

स्टेटमेंट नंबर -4

शादी के बाद जबरदस्ती फिजिकल रिलेशन बनाने को MTP एक्ट में रेप माना जाएगा। ऐसी सिचुएशन में महिला 20 से 24 हफ्ते के बीच अबॉर्शन कराने के लिए एलिजिबल होगी।

सवाल 6- क्या है ये MTP एक्ट, जिसका जिक्र सुप्रीम कोर्ट ने किया?
जवाब- 
1971 में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी यानी MTP एक्ट बनाया गया था। 2021 में इसमें कुछ संशोधन किया गया। जिसके अनुसार, अबॉर्शन करवाने की टाइम लिमिट कुछ स्पेशल सिचुएशन में 20 हफ्ते से बढ़ाकर 24 हफ्ते कर दी गई।

सवाल 7- MTP का पुराना कानून क्या कहता था और नया यानी 2021 के संशोधन के बाद का कानून क्या कहता है?
जवाब-
 पुराना एक्ट:

अगर किसी महिला की प्रेग्नेंसी 12 हफ्ते की है, तो वो 1 डॉक्टर की सलाह पर अबॉर्शन करवा सकती है। 12-20 हफ्ते के बीच अबॉर्शन करवाने के लिए 2 डॉक्टर की सलाह लेनी होगी।

2021 में बदला हुआ कानून- 12-20 हफ्ते के अंदर अबॉर्शन करवाने के लिए 1 डॉक्टर की सलाह लेनी होगी। 20-24 हफ्ते के अंदर (इसमें कुछ कंडीशन हैं) अबॉर्शन करवाने के लिए 2 डॉक्टरों की सलाह लेने के बाद इजाजत मिलेगी।

सवाल 8- क्या कानून के मुताबिक भारत में शादी के बाद पत्नी से जबरदस्ती सेक्स करना अपराध है?
जवाब- 
इंडियन पीनल कोड (IPC) की धारा 375 के अपवाद 2 के मुताबिक मैरिटल रेप यानी शादी के बाद पत्नी के साथ जबरदस्ती फिजिकल रिलेशन बनाना अपराध नहीं है, लेकिन पत्नी की उम्र 15 साल से कम है, तब इसे रेप माना जाएगा।

स्टेटमेंट नंबर -5
सिर्फ MTP एक्ट के लिए शादी के बाद पत्नी से जबर्दस्ती संबंध बनाने को रेप माना जाएगा।

सवाल 9- बहुत से लोगों का मानना है कि अगर पति, पत्नी से जबर्दस्ती संबंध बनाए और पत्नी प्रेग्नेंट हो जाए, तो इससे इतना क्या फर्क पड़ेगा कि उसे अबॉर्शन कराने की जरूरत पड़े?
सुप्रीम कोर्ट-
 जबर्दस्ती सेक्स से प्रेग्नेंट होने वाली पत्नी को बच्चा पैदा करने का दबाव होता है। ऐसे में महिला की मेंटल और फिजिकल हेल्थ पर असर पड़ता है।

सवाल 10- प्रेग्नेंट पत्नी अबॉर्शन के लिए कैसे साबित करेगी कि उसके साथ पति ने जबरदस्ती की है?
सुप्रीम कोर्ट-
 ऐसी सिचुएशन में अबॉर्शन कराने के लिए ये जरूरी नहीं है कि महिला कानूनी प्रक्रिया से गुजरे और ये साबित करे कि पति ने उसके साथ जबर्दस्ती की है।

चलते-चलते

25 साल की अनमैरिड महिला ने अबॉशर्न के लिए लगाई थी याचिका, जिस पर आया फैसला

25 साल की एक महिला ने सुप्रीम कोर्ट से 24 हफ्ते के गर्भ को गिराने की इजाजत मांगी थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने 16 जुलाई को महिला की याचिका खारिज कर दी थी। महिला ने हाईकोर्ट को बताया था कि वह सहमति से फिजिकल रिलेशन के चलते प्रेग्नेंट हुई, लेकिन बच्चे को जन्म नहीं दे सकती। वह अनमैरिड है और उसके पार्टनर ने उससे शादी करने से इनकार कर दिया है।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने 3 अगस्त को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिलाएं भी प्रेग्नेंट होती हैं और उन्हें भी कानून के तहत गर्भपात कराने का हक है।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला सिर्फ अनमैरिड वुमन के अबॉर्शन के अधिकार तक सीमित नहीं रहा। इसमें महिलाओं का उनके शरीर पर हक, अबॉर्शन करवाने जाने वाली लड़कियों के साथ होने वाले भेदभाव, अनसेफ अबॉर्शन, सेक्स एजुकेशन की कमी, शादी के बाद जबर्दस्ती प्रेग्नेंसी को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट ने कमेंट किया।

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