देश की पहली आस्था स्पेशल जोधपुर से अयोध्या रवाना:रामभक्त बोले- उस समय गोलियां खाईं, अब प्रभु ने बुलाया
जोधपुर
जोधपुर के भगत की कोठी स्टेशन पर ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना करते रेलवे के अधिकारी और संत।
देश की पहली ‘आस्था स्पेशल’ (04817) ट्रेन जोधपुर (भगत की कोठी रेलवे स्टेशन) से अयोध्या के लिए रवाना हुई। रविवार दोपहर करीब साढ़े बारह बजे ‘जय श्रीराम’ के नारों से पूरा स्टेशन परिसर गूंज उठा। 1446 यात्रियों को लेकर सोमवार को यह ट्रेन अयोध्या पहुंचेगी। ट्रेन की सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। हर बोगी में रेल पुलिस का मूवमेंट रहेगा।
डीआरएम पंकज कुमार सिंह ने बताया कि जोधपुर से रविवार दोपहर 12:15 बजे ट्रेन को रवाना किया गया। इस आस्था स्पेशल ट्रेन को आईआरसीटीसी के माध्यम से बुक करवाया गया था। यात्रियों के लिए बुकिंग आधार कार्ड के माध्यम से की गई थी।
ट्रेन में एसी कोच में सवार होकर कारसेवक रवाना हुए।
24 कोच लेकर हुई रवाना
ट्रेन में 24 कोच हैं। अयोध्या तक जाने वाली यह ट्रेन मेड़ता रोड, डेगाना, खाटू होते हुए अयोध्या तक पहुंचेगी। रास्ते में कुल 20 स्टेशन आएंगे। 16 स्लीपर, 6 एसी कोच और दो एसएलआर कोच हैं। 1250 किलोमीटर की यात्रा तय कर 26 घंटे 15 मिनट में सोमवार दोपहर 2:30 पर यह ट्रेन अयोध्या धाम पहुंचेगी। ट्रेन में यात्रियों की सुरक्षा के लिए एक सब इंस्पेक्टर के साथ 6 पुलिस और आरपीएफ जवानों को तैनात किया गया है, जो हर कोच में मौजूद रहेंगे। इनमें से 2 महिला कॉन्स्टेबल भी हैं।
श्रद्धालुओं में कई कारसेवक भी
दर्शन के लिए जा रहे बाड़मेर के कारसेवक बाबूलाल ने बताया- 1990 की कार सेवा में मैं अयोध्या गया था। उस समय मुलायम सिंह की सरकार ने लाठियां बरसाई थीं। हमारे साथ अत्याचार किया गया था। मैं अपने 20 दिन की बच्ची को ससुराल में छोड़कर कारसेवा के लिए गया था। वहां के हालात बहुत ही भयावह थे। और हमें ऐसा लग रहा था मंदिर नहीं बनेगा, लेकिन हमारे जिंदा रहते हमारी आंखों के सामने प्रभु श्री राम का मंदिर बनकर तैयार हो चुका है। अब दर्शन के लिए जा रहे हैं तो मन में बहुत उत्साह है। इसे हम शब्दों में बयां नहीं कर पा रहे हैं। ये जीवन का सबसे स्वर्णिम पल है।
इस दर्शन यात्रा को लेकर यात्रियों में काफी उत्साह नजर आया।
1992 में ढांचे का अवशेष लेकर आए
कारसेवक चेतन प्रकाश गोयल ने बताया- हमें इटावा में रोक दिया गया था। हमारे साथ एक स्वयंसेवक थे, जिनसे पुलिस वालों ने पूछा था बाबा जी कहां जा रहे हो तो उन्होंने कहा जहां राम की मर्जी होगी वहां जाएंगे। पुलिस वालों ने उन्हें यह कहकर ट्रेन से उतार दिया कि राम की मर्जी यही है कि आप अयोध्या मत जाओ यहीं रुक जाओ। आज इस बात को लेकर खुशी है कि हम अयोध्या दर्शन के लिए जा रहे हैं। जो प्रभु श्री राम की मर्जी से ही मंदिर बनकर तैयार हुआ है। इस दौरान वो भावुक भी हो गए। उन्होंने कहा 1992 में जब ढांचा गिराया गया था तब भी हम कारसेवा में शामिल थे। उस समय घर वालों ने यही कहा था कि वापस लौट कर आओ तो कुछ प्रसाद जरूर लेकर आना। हमने घर वालों के संकेत समझा और वहां से ढांचे के अवशेष अपने साथ लेकर आए। आज इस बात की खुशी है कि रामलला ने हमें बुलाया है।
ट्रेन के एसी कोच में सवार जैसलमेर से आए कार सेवक ओमप्रकाश ने बताया- हमलोग बड़ी संख्या में अयोध्या पहुंचे थे। कारसेवा में जाने के लिए कई समस्याएं सामने आईं। बावजूद इसके हमने कारसेवा की। उस समय कुछ पल के लिए बारिश हुई तो लगा प्रभु की कृपा हुई है। आज इस बात की खुशी है कि प्रभु श्रीराम ने हमें वापस बुलाया है। ये बहुत खुशी की बात है।
रेल विभाग के साथ ही संतों ने ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
रेलवे स्टेशन पर कर सेवकों का हुआ सम्मान
आस्था स्पेशल ट्रेन में जोधपुर के अलावा फलोदी, जैसलमेर, बाड़मेर से भी राम भक्त सवार होकर अयोध्या के लिए गए हैं। सुबह 9:00 बजे से ही रामभक्तों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था। यहां पर उन्हें रेल प्रशासन व हिंदू संगठनों के प्रतिनिधियों ने यात्रा के नियमों के बारे में बताया। सभी को उनके कोच नंबर और टिकट नंबर देकर सीट पर बिठाया गया। ट्रेन में कई कार सेवक और उनके परिवार भी शामिल हुए।
अयोध्या दर्शन जाने के लिए सुबह से ही स्टेशन पर राम भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी।
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