DEFENCE / PARAMILITARY / NATIONAL & INTERNATIONAL SECURITY AGENCY / FOREIGN AFFAIRS / MILITARY AFFAIRS

देसी एडवांस्ड ड्रोन बनाने का सबसे बड़ा प्रॉजेक्ट TAPAS बंद, डीआरडीओ के सामने क्या मुश्किल, जानिए

TIN NETWORK
TIN NETWORK
FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

देसी एडवांस्ड ड्रोन बनाने का सबसे बड़ा प्रॉजेक्ट TAPAS बंद, डीआरडीओ के सामने क्या मुश्किल, जानिए

देश में स्वदेशी ड्रोन बनाने की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है। डीआरडीओ ने स्वदेशी एडवांस ड्रोन बनाने के प्रोजेक्ट को बंद कर दिया है। इसकी वजह है कि यह मिलिट्री ऑपरेशन की जरूरतों को पूरा करने में सफल नहीं हो पाया। इस प्रोजेक्ट की लागत 1650 करोड़ रुपये रखी गई थी।

 नई दिल्ली : भारत ने सामरिक टोही और निगरानी के लिए एक एडवांस मानव रहित हवाई वाहन (UAV) डेलवप करने की अपनी सबसे बड़ी परियोजना को बंद कर दिया है। इसकी वजह है कि यह ऑपरेशन मिलिट्री जरूरतों को पूरा करने में विफल रही है। यह मॉर्डन युद्ध के इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में स्वदेशी क्षमताओं के लिए एक बड़ा झटका है। DRDO ने पहली बार साल 2011 में तापस प्रोजेक्ट शुरू किया था। यह मध्यम-ऊंचाई, लंबी क्षमता वाले ड्रोन को डेवलप करने के लिए था। इस प्रोजेक्ट को 1,650 करोड़ रुपये की प्रारंभिक लागत पर मंजूरी दी गई थी। अब आधिकारिक तौर पर इस प्रोजेक्ट को बंद कर दिया गया है। सरकारी सूत्रों ने रविवार को इसकी पुष्टि की।

सेना ने हाल ही में चार सैटकॉम-सक्षम हेरॉन मार्क-II यूएवी भी शामिल किए हैं। डीआरडीओ की तापस परियोजना के लिए प्रारंभिक समय सीमा अगस्त 2016 थी। लेकिन यूएवी के ‘पूरे वजन’ के 2,850 किलोग्राम तक बढ़ने के साथ-साथ आयातित इंजन और पेलोड में इश्यू के साथ कई समस्याएं थीं। इसके कारण कई बार समय सीमा बढ़ने के कारण लागत बढ़ गई। बाद में यह संशोधित होकर 1,786 करोड़ रुपये तक पहुंच गई थी।

200 उड़ान, दो एक्सिडेंट

तापस-बीएच ( एडवांस मॉनिटरिंग के लिए स्ट्रैटीजिक एरियल प्लेटफॉर्म) या तापस-201 ड्रोन ने लगभग 200 उड़ानें भरीं। इसमें कम से कम दो दुर्घटनाएं भी हुईं। यह प्रोजेक्ट शुरुआती सेवाओं की गुणात्मक आवश्यकताओं (पीएसक्यूआर) को पूरा नहीं कर सका जो इसके लिए जरूरी थी। एक सूत्र ने बताया कि तापस को जिस ऊंचाई पर उड़ना चाहिए और उसकी ऑपरेशनल सहनशक्ति के संदर्भ में आवश्यक पीएसक्यूआर को पूरा करने में विफल रहा। 28,000 फीट की ऊंचाई पर इस ड्रोन की उड़ान क्षमता केवल 18 घंटे है। जबकि इस कैटेगरी में संचालित विमान को कम से कम 24 घंटे के लिए 30,000 फीट तक की ऊंचाई पर काम करने में सक्षम होना चाहिए। एक सूत्र ने कहा, डीआरडीओ अब ऐसे यूएवी को फिर से डिजाइन और रिडिवेलप करने पर विचार करेगा।

परियोजना बंद करने पर सवाल

तापस परियोजना के बंद होने से कुछ विवाद पैदा हो गया है। कुछ वर्गों का दावा है कि स्वदेशी प्रयास को विफल करने के कदम के पीछे निहित स्वार्थ थे। सशस्त्र बलों, जिन्होंने वर्षों से लंबी दूरी की निगरानी और सटीक-लक्ष्यीकरण के लिए बड़ी संख्या में इजराइली सर्चर, हेरॉन मार्क-I और मार्क-II ड्रोन आयात किए हैं, को लगभग 150 नए MALE UAV की आवश्यकता है। 10 जनवरी को, अडानी डिफेंस और एयरोस्पेस ने इजरायली फर्म एल्बिट सिस्टम्स के सहयोग से, भारत में ‘निर्मित’ होने वाला पहला MALE ड्रोन नौसेना को सौंपा। इसे दृष्टि-10 स्टारलाइनर कहा जाता है।

सेना, नेवी दे रही विदेशी ड्रोन के ऑर्डर

आर्मी और नेवी ने, आपातकालीन खरीद प्रावधानों के तहत, इनमें से प्रत्येक सैटकॉम-सक्षम यूएवी का ऑर्डर दिया है। यह इजरायली हर्मीस 900 स्टारलाइनर पर आधारित है। इसकी क्षमता 36 घंटे के साथ 30,000 फीट की ऊंचाई है। सेना ने हाल ही में चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर निगरानी बढ़ाने के लिए चार सैटकॉम-सक्षम हेरॉन मार्क- II यूएवी को भी शामिल किया है। 31 सशस्त्र एमक्यू-9बी रीपर या प्रीडेटर-बी हेल (उच्च-ऊंचाई, लंबी-धीरज) ड्रोन के लिए मेगा 3 अरब डॉलर-बिलियन अनुबंध को शीघ्र अंतिम रूप देने के लिए भी प्रयास चल रहा है। इसमें से नौसेना के लिए 15 और सेना और वायुसेना के लिए आठ-आठ ड्रोन शामिल हैं।

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare
error: Content is protected !!