नकल मामले में लिप्त आरोपी को प्रिंसिपल बनाने वाले शिक्षा निदेशक गौरव अग्रवाल एपीओ
बीकानेर। सीनियर टीचर भर्ती का पेपर बेचने के मामले में मास्टरमाइंड अनिल उर्फ शेर सिंह मीणा को वाइस प्रिंसिपल से प्रिंसिपल पद पर प्रमोट करने वाले माध्यमिक शिक्षा निदेशक गौरव अग्रवाल को राज्य सरकार ने पद से हटा दिया है। गौरव को पदस्थापन की प्रतिक्षा में रखा गया है। फिलहाल जयपुर में ही हाजिरी देनी होगी।
शिक्षा विभाग ने पिछले दिनों विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) की बैठक की। इस बैठक में अनिल उर्फ शेर सिंह मीणा को भी प्रमोट कर दिया गया था। विभाग का नियम है कि किसी भी व्यक्ति को प्रमोट करने से पहले उसका रिकार्ड चैक किया जाए। शिक्षा विभाग ने इतनी भारी लापरवाही की कि पहले से बर्खास्त हो चुके शेर सिंह मीणा को प्रमोट कर दिया गया। इतना ही उसका पदस्थापन भी कर दिया गया।
अनिल उर्फ शेर सिंह को प्रमोट करने और उसे प्रिंसिपल रूप में पदस्थापित करने के आदेश की खबर प्रकाशित हुई थी। इसके बाद स्वयं निदेशक गौरव अग्रवाल ने ही शाम होते-होते इस आदेश को प्रत्याहारित (वापस लिया) कर लिया। इसके बाद राज्य सरकार ने सोमवार सुबह गौरव अग्रवाल को ही पद से हटा दिया।
उल्लेखनीय है कि शिक्षा विभागीय की पदोन्नति करने से पहले सभी कार्मिकों का रिकार्ड देखा जाता है। प्रत्येक कार्मिक का रिकार्ड चैक किया जाता है। आपत्ति भी मांगी जाती है। डीपीसी होने के बाद भी करीब एक महीने का वक्त रहता है, इसके बाद भी किसी के ध्यान में नहीं आया कि सेवा से बर्खास्त हो चुके कार्मिक को कैसे पदोन्नति दी जा सकती है।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक गौरव अग्रवाल के सख्त व्यवहार से शिक्षा निदेशालय के अधिकारी पहले से परेशान चल रहे थे। उनके व्यवहार के कारण ही अधिकांश अधिकारी उनके कक्ष में जाने से ही घबराते थे। इसी कारण कई बातें उनसे चर्चा में ही नहीं आती थी। अब निदेशक को पद से हटाने पर अधिकांश अधिकारी खुश नजर आ रहे हैं।

















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