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नारियों की अनकही कहानी : आदर्श गुप्ता मुंबई

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(नारियों की अनकही कहानी)

तू सिर्फ़ एक देह नहीं, एक पहचान है,
एक कहानी, या कोई अनकहा बयान है?
कभी बेटी, कभी माँ, कभी तू जीवनसाथी,
एक नारी ने ही तो दिया हमे जीवनदान है।

समाज ने तुझे बेड़ियों में बांधना चाहा,
पर तेरे सपनों ने आसमान छुआ।
आज तू केवल चौखट की कैदी नहीं,
तेरी शक्ति से ही जग में सम्मान हुआ।

तुझे जलाया गया, फिर भी उजियारा बनी,
तुझे तोड़ा गया, फिर भी सहारा बनी।
लोगों ने तुझे वैश्या बना लूटना चाहा,
पर तू हर युग में बनी एक धारा नई।

मेरी कलम की स्याही खत्म हो रही है,यह बयान करते हुए,
आदर्श मर जाएगा, नारियों का सम्मान करते हुए।

~आदर्श गुप्ता
मुंबई

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