NATIONAL NEWS

पशुपालकों पर करोड़ों का बोझ, मुआवजे में नियम का पेंच:नोखा में लंपी से 50 हजार पशुओं की मौत का दावा, सरकारी आंकड़े में महज 547

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

पशुपालकों पर करोड़ों का बोझ, मुआवजे में नियम का पेंच:नोखा में लंपी से 50 हजार पशुओं की मौत का दावा, सरकारी आंकड़े में महज 547

लंपी महामारी के दौरान नोखा में सरकारी आंकड़े के 50 हजार से ज्यादा गोवंश की मौत हुई है। इनमें काफी संख्या में दुधारू पशु थे। सरकार ने गाइडलाइन जारी की है कि दुधारू पशु की मौत पर पशुपालक को 40 हजार की आर्थिक सहायता दी जा रही है। इस बीच चौंकाने वाला तथ्य यह भी आया है कि सिर्फ सरकारी अस्पताल के रिकॉर्ड में मरने वाले गोवंश के मालिक को ही सहायता मिलेगी। सरकारी रिकॉर्ड में नोखा में 409 पशुपालकों के 547 गौवंश की मौत हुई हैं, जिनमें 47 गौवंश गौशाला की है। ऐसे में हजारों पशुपालकों को सहायता राशि नहीं मिल सकेगी।

नोखा विधायक बिहारीलाल बिश्नोई ने बताया कि नोखा में 50 हजार से अधिक गायों की मौत हुई है। बीकानेर जिले में 3 लाख गोवंश की मौत हुई हैं। राजस्थान सरकार की एडवायजरी के आधार पर इन गायों की मौत हुई है, सरकार गायों की वैक्सीनेशन करती तो इन गायों को बचा सकते थे।

उन्होने बताया कि उन्होने लंपी के समय वैक्सनेशन के लिए सरकार से विधानसभा में भी प्रश्न उठाया था। जिस पर सरकार ने बताया कि पूरे राजस्थान में 76033 गायें मरी हैं। जबकि नोखा विधायक दावा है कि अकेले बीकानेर में तीन लाख गायों की मौत हुई है और नोखा तहसील में 50 हजार गायें मरी हैं। सरकार अगर पशुपालकों की हितेषी है तो सभी पीडित पशुपालकों को मुआवजा देंकर पशुपालको को राहत पहुंचाई जाए।

लंपी से ग्रामीण क्षेत्र के कई परिवारों की आर्थिक स्थिति डगमगाई
नोखा के घट्‌टू गांव के विधवा महिला सुशीला पत्नी बनवारीलाल पूनिया बताती हैं, मेरे चार गोवंश थी। जो सभी दुधारू थी। लंपी संक्रमण की महामारी के चपेट में मैंने 8 से 10 हजार निजी स्तर पर खर्च कर पशुओं का इलाज कराया, लेकिन कुछ समय बाद चारों की गायों की मौत हो गई। उनके पति की पिछले साल मृत्यु हो चुकी है। अकेली लाचार महिला को भी सरकार ने इस मुआवजे से रखा है। प्रतिदिन गाय का दूध बेचकर 500 से 600 रुपए से घर चलाती थी, लेकिन लंपी के चलते मेरी आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई।

पशुपालकों पर 200 करोड़ से ज्यादा का बोझ, अब गाइडलाइन का पेच
विभिन्न रिपोर्ट के अनुसार नोखा उपखण्ड में लंपी महामारी से 50 हजार से ज्यादा गोवंश की मौत हुई थी। उनमें भारी संख्या दुधारू थी। एक गाय की औसत कीमत 40, हजार के हिसाब से नोखा में पशुपालकों पर 200 करोड लाख से ज्यादा का अतिरिक्त भार आ चुका है। बेरोजगार परिवारों के सामने कर्ज चुकाने के साथ ही गुजारा चलाना भी मुश्किल हो रहा है। इधर से दुधारू गाय की मौत के बदले 40000 का मुआवजा उन्हीं पशुपालकों को दिया जा रहा है जिनका नाम पशुपालन विभाग की सर्वे सूची में है। इसके लिए गांवों में स्थित पशु चिकित्सा सेंटर व हॉस्पिटलों से पशुपालकों की सूची तैयार करवाई गई। जबकि निजी स्तर पर उपचार कराने वाले 90 प्रतिशत से ज्यादा पीड़ित पशु पालकों के नाम दुधारू गायों की मौत के बावजूद विभाग ने रिपोर्ट में शामिल ही नहीं किए गए।

रोड़ा गांव के ग्रामीणों ने एसडीएम को सौंपा ज्ञापन
ज्ञापन में ग्रामीणों ने बताया कि लंपी से रोड़ा गांव में जिस घर में 12 से 15 गाये लंपी के शिकार हो गई। उनको एक रुपए मुआवजा नहीं मिला है। गांव के किसान सांवरमल भादू के 7 मोटी व 5 छोटी गाये लंपी से मर गई। वहीं फूलाराम कालीराम के 2 गाय, लालचंद भादू के 3 गाय, किशनाराम सियाग 2 गाय, रामप्रताप बिश्नोई के 2 गाय, किशनाराम 3 गाय मरी है। पशुपालकों की रोजी रोटी कमाने का साधन खोना पड़ा है। वहीं ग्रामीणों ने डॉक्टरों द्वारा पैसे लेकर मुआवजा देने के आरोप भी लगाए है। ज्ञापन देने वालों में सुनील भादू, मांगीलाल, शिवरतन, अशोक आदि ग्रामीणों ने एसडीएम को ज्ञापन दिया है। सुनील भादू ने बताया कि उन्होने चिकित्सकों को सूचित कर ग्राम पंचायत की जेसीबी से गायों को दफनाया गया था।

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

About the author

THE INTERNAL NEWS

Add Comment

Click here to post a comment

error: Content is protected !!