
जयपुर: पुलिस मुख्यालय (Police Headquarters) ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों के बेहतर मॉनिटरिंग (Better monitoring) के लिए डीएसपी के 41 पदों को खत्म अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (Additional Superintendent of Police) के पद सृजित करवा लिए. सरकार ने नए सृजित पदों पर अधिकारी भी लगा दिए.
अब पुलिस ने खत्म किए गए डीएसपी के पदों को दोबारा सृजित करने की मांग की है. पुलिस अफसरों की इस चतुराई के आगे गृह विभाग (Home department) के अफसर भी चक्कर खा गए.
राजस्थान (Rajasthan) में महिलाओं को अपराध से बचाने और उनके खिलाफ दर्ज होने वाले केसों जांच के लिए स्पेशल यूनिट क्राइम अगेंस्ट वीमन (Special Unit Crime Against Women) गठित की हुई है. प्रदेश के 41 पुलिस जिलों में गठित इन यूनिट का प्रभारी डीएसपी को बनाया हुआ था. इस बीच पिछले साल पुलिस मुख्यालय ने डीएसपी के पद को क्रमोन्नत कर एएसपी पद करने का प्रस्ताव गृह विभाग को भेजा. इसके बाद मुख्यमंत्री की बजट में प्रदेश में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों की प्राथमिकता से जांच कर प्रभावी कार्रवाई के लिए एक छाते में लाने के लिए डीएसपी के पद को समाप्त कर एएसपी के पद सृजित करने की घोषणा कर दी.
मुख्य बिंदु
- पुलिस ने महिला थाना, एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट और स्पेशल इन्वेस्टिगेशन यूनिट फॉर क्राइम्स अगेंस्ट वूमेन को एक अंब्रेला योजना बताई.
- बजट घोषणा के बाद गृह विभाग ने 27 अप्रैल 2021 को डीएसीपी के 41 पदों को समाप्त कर एएसपी के पद सृजित कर दिए.
- सरकार ने हाल ही जारी एएसपी की तबादला सूची में इन नवसृजित पदों पर एएसपी की तैनातगी भी कर दी.
- दूसरी ओर पुलिस मुख्यालय ने सभी 41 यूनिट में उप अधीक्षक के पद सृजित करने के प्रस्ताव भेजे.
- अभी स्पेशल इन्वेस्टीगेशन यूनिट क्राइम अगेंस्ट वीमन (SIUCAW) में इंस्पेक्टर के दो पद हैं.
- इनमें पुलिस निरीक्षक के एक पद को क्रमोन्नत कर डीएसपी करने की मांग की गई है.
- एडीजी पुनर्गठन ने एएसपी-डीएसपी के पदों को लेकर अपने तर्क दिए हैं.
- एएसपी द्वारा SIUCAW में प्रभावी सुपर विजन करना बताया.
- वहीं गैंगरेप प्रकरणों में अनुसंधान अधिकारी डीएसपी होने के कारण पद सृजित करना जरूरी बताया.
- इंस्पेक्टर से डीएसपी के पद क्रमोन्नत करने पर सरकार सालाना एक करोड़ 6 लाख 90 हजार 176 रुपए का खर्च बढ़ेगा.
- इधर पुलिस मुख्यालय के इस प्रस्ताव पर गृह विभाग ने सवालिया निशान उठाए हैं.
- गृह विभाग अफसरों का कहना है कि जब महिला अपराधों की जांच डीएसपी करते हैं तो पदों को खत्म कर एएसपी के पद क्यों सृजित करवाए.
- कई यूनिटों में डीएसपी ही प्रभारी अधिकारी हैं, ऐसे में तनख्वाह के रूप में सरकार पर सालाना एक करोड़ रूपए का खर्च क्यों ?
- नए पद सृजन के स्थान पर पुन: एएसपी के स्थान डीएसपी पद स्वीकृत करने का सुझाव दिया है.











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