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भारतीयों के वीज़ा को लेकर ब्रिटेन की गृह मंत्री ने खोल दिया है मोर्चा

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भारतीयों के वीज़ा को लेकर ब्रिटेन की गृह मंत्री ने खोल दिया है मोर्चा

सुएला ब्रेवरमैन भारतीय मूल की हैं
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ब्रितानी गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने भारत के साथ हो रहे व्यापार समझौते को लेकर चिंताएं ज़ाहिर की हैं.

सुएला ब्रेवरमैन ने कहा है कि भारत के साथ व्यापार समझौते की वजह से ब्रिटेन में आने वाले भारतीयों की संख्या बढ़ सकती है और इससे ब्रेग्ज़िट के मक़सद को भी नुक़सान पहुँच सकता है.

भारतीय मूल की सुएला ब्रेवरमैन ने ये बयान द स्पेक्टेटर मैग्ज़ीन को दिए साझात्कार में दिया है. ब्रेवरमैन का ये बयान ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज़ ट्रस के रुख़ से अलग है.

लिज़ ट्रस चाहती हैं कि भारत के साथ व्यापार समझौते को इस साल दीवाली तक पूरा कर लिया जाए.

द स्पेक्टेटर को दिए साक्षात्कार में सुएला ब्रेवरमैन ने कहा है, “मुझे भारत के साथ खुली सीमा की नीति को लेकर चिंताएँ हैं क्योंकि मुझे लगता है कि लोगों ने जब ब्रेग्ज़िट को चुना था, तब इसलिए वोट नहीं किया था.”

सुएला ने कहा कि ब्रिटेन में वीज़ा समाप्त होने के बाद सबसे ज़्यादा भारतीय प्रवासी ही रहते हैं. सुएला ने ये भी कहा कि छात्रों और कारोबारियों के लिए कुछ नरमी बरती जा सकती है.

सुएला ने कहा कि वो यूरोपीय संघ को छोड़ने के पक्ष में थीं और इसके लिए अभियान चलाया था.

ब्रिटेन की नई गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन का भारत कनेक्शन

अपनी पार्टी के 2019 के चुनावी घोषणापत्र की याद दिलाते हुए उन्होंने कहा कि ‘ये हमारे 2019 के घोषणापत्र में भी था.’

उन्होंने कहा कि अब तक ब्रिटेन आने वाले प्रवासियों की संख्या में कमी नहीं आई है. ये उसी स्तर पर है जो ब्रेग्ज़िट से पहले था.

ब्रिटेन के गृह मंत्रालय के आँकड़ों के मुताबिक़ साल 2020 में 20,706 भारतीय ब्रिटेन में अपने वीज़ा की अवधि समाप्त होने के बाद भी रह रहे थे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इस साल दीवाली तक दोनों देशों के बीच व्यापार समझौता करने की समय सीमा तय की थी.

दोनों देशों के बीच जब इसे लेकर बातचीत शुरू हुई थी तब मौजूदा प्रधानमंत्री ब्रिटेन की विदेश मंत्री और अंतरराष्ट्रीय कारोबार मामलों की मंत्री थीं.

भारत और ब्रिटेन के बीच हो रहे व्यापार समझौते में छात्रों और पेशेवरों के लिए वीज़ा अहम मुद्दा है और इसे लेकर अभी अंतिम फ़ैसला नहीं हुआ है.

हालांकि ऐसा प्रतीत होता है कि प्रधानमंत्री लिज़ ट्रस इस पर नरम रुख़ दिखा सकती हैं और इसे समझौते में शामिल कर सकती हैं.

भारत के उद्योग मंत्री पियूष गोयल के साथ दिल्ली में वार्ता करतीं ब्रिटेन की तत्कालीन उद्योग मंत्री एनी मैरी ट्रेवेलयान
इमेज कैप्शन,भारत के उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के साथ दिल्ली में वार्ता करती ब्रिटेन की तत्कालीन उद्योग मंत्री एनी मैरी ट्रेवेलयान

क्या है भारत ब्रिटेन व्यापार समझौता

भारत और ब्रिटेन ने जनवरी 2022 में दिल्ली में मुक्त व्यापार समझौते के लिए वार्ता शुरू की थी.

इसका मक़सद ऐसा व्यापार समझौता करना है जो दोनों देशों के बीच अरबों डॉलर के कारोबार को बढ़ावा दे.

ब्रिटेन ने ब्रेग्ज़िट के बाद भारत के साथ व्यापार समझौते को अपनी प्राथमिकता बनाया था क्योंकि ब्रिटेन अब दुनिया की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं की क्षमता का फ़ायदा उठाना चाहता है.

ब्रिटेन का कहना है कि इस समझौते से भारत के लिए होने वाला ब्रिटेन का निर्यात लगभग दोगुना हो जाएगा और 2035 तक दोनों देशों के बीच सालाना कारोबार 28 अरब पाउंड और बढ़ जाएगा. साल 2019 में दोनों देशों के बीच 23 अरब पाउंड का कारोबार हुआ था.

भारत के साथ कारोबारी समझौता करना ब्रिटेन सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी नीतियों में से एक है.

भारत साल 2050 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है.

जीडीपी के मामले में भारत हाल ही में ब्रिटेन से आगे निकल गया है.

ब्रिटेन को उम्मीद है कि भारत के साथ व्यापार समझौते से उसका अंतरराष्ट्रीय कारोबार बढ़ेगा
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ब्रिटेन भारत के साथ व्यापार समझौते को सुनहरे मौक़े के रूप में देखता है. वहीं भारत चाहता है कि भारतीयों के पास ब्रिटेन में काम करने और वहाँ रहने के अधिक अवसर हों.

ब्रिटेन के साथ किसी भी तरह के कारोबारी समझौते में भारत की प्राथमिकता भारतीय छात्रों और पेशेवरों के लिए वीज़ा नियमों में राहत हासिल करना ही होगी.

ब्रिटेन जहाँ भारत के साथ व्यापार समझौता करने की पूरी कोशिशें कर रहा है, वहीं इस दिशा में दूसरे देश भी क़दम बढ़ा रहे हैं.

यूरोपीय संघ भी भारत के साथ ऐसा ही समझौता करना चाहता है और दशकों से इस पर काम कर रहा है.

ब्रिटेन चाहता है कि भारत ब्रिटेन से व्हिस्की जैसे उत्पादों की ख़रीद को बढ़ाए.

ब्रिटेन को उम्मीद है कि अगर समझौता होता है तो भारत ब्रिटेन की ग्रीन टेक्नोलॉजी और ब्रितानी सेवाओं का बड़ा ख़रीदार बनेगा.

भारत में इस बात को लेकर चिंताएं हैं कि मुक्त व्यापार समझौतों का असर उसके छोटे कारोबारियों पर पड़ सकता है
इमेज कैप्शन,भारत में इस बात को लेकर चिंताएं हैं कि मुक्त व्यापार समझौतों का असर उसके छोटे कारोबारियों पर पड़ सकता है

कई दशकों तक भारत व्यापार समझौतों को लेकर आशंकित रहा है, लेकिन हाल के सालों में भारत ने इस दिशा में क़दम बढ़ाए हैं.

वैश्विक बाज़ारों तक पहुँच, करों में राहत और व्यापार के लिए गतिरोधों को कम करने के लिए भारत कई देशों के साथ व्यापार समझौतों पर बात कर रहा है.

इसी साल भारत ने संयुक्त अरब अमीरात के साथ कारोबारी समझौता किया है और ऑस्ट्रेलिया के साथ भी एक महत्वाकांक्षी व्यापार समझौता किया है. इस समझौते के तहत दोनों देशों के बीच करों में 85 फ़ीसदी तक की कटौती हो सकती है.

भारत ने यूरोपीय संघ के साथ भी कारोबारी समझौते के लिए बातचीत शुरू कर दी है.

भारत के उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने यूरोपीय संघ के साथ वार्ता शूरू होने के समय कहा था कि लंबे इंतज़ार के बाद समझौते के लिए बातचीत शुरू करना नए भारत को प्रदर्शित करता है जो विकसित दुनिया के साथ दोस्ताना संबंध बढ़ाना चाहता है.

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